NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

We have given detailed NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् Questions and Answers will cover all exercises given at the end of the chapter.

Shemushi Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत –

(क) यत्नेन के रक्षेत् वित्तं वतं वा?
उत्तर:
यत्लेन वृतं रक्षेत्।

(ख) अस्माभिः कीदृशं आचरणं न कर्त्तव्यम्? अथवा अस्माभिः किं न समाचरेत्?
उत्तर:
अस्माभिः आत्मनः प्रतिकूल न समाचरेत्।

(ग) जन्तवः केन विधिना तुष्यन्ति?
उत्तर:
जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति।

(घ) पुरुषैः किमर्थ प्रयत्न कर्त्तव्यम्?
उत्तर:
पुरुषैः गुणेषु एव प्रयत्न कर्त्तव्यम्।

(ङ) सज्जनानां मैत्री की दृशी भवति?
उत्तर:
सज्जनानां मैत्री दिनस्य परार्ध इव आरम्भे लवी पश्चात् च गुर्वी भवति।

(च) सरोवराणां हानिः कदा भवति?
उत्तर:
यदा हंसाः तान् परिव्यज्य अन्यत्र गच्छन्ति।

(छ) नद्याः जलं कदा अपेयं भवति?
उत्तर:
समुद्रतासाद्य नद्याः जलं अपेयं भवति।

प्रश्न 2.
‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि, तानि यथोचितं योजनत –

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 1
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् 2

प्रश्न 3.
अधोलिखितयोः श्लोकद्वयोः आशयं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत –

(क) आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण
लध्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्।
दिनस्य पूर्वार्द्धपराभिन्ना
छायवे मैत्री खलसज्जनानाम्

सरलार्थ – दुर्जन और सज्जनों की मित्रता दिन के पूर्वाध ‘तथा परार्ध (दोपहर पूर्व तथा दोवहर पश्चात्) की छाया की भाँति अलग-अलग स्थिति वाली होती है। दुर्जन की मित्रता तो मध्याह्न तक व्याप्त छाया के समान होती है जो आरम्भ में बड़ी (घनी) तथा उत्तरोत्तर क्रम से क्षीण (कम) होती हुई समाप्त हो जाती है। जबकि सज्जन की मित्रता मध्याह्न से पश्चात् की छाया के समान होती है जो आरम्भ में कम (लघ्वी तथा (क्रमश:) उत्तरात्तर बढ़ती जाती है। यही दोनों की मित्रता में भेद है।

(ख) प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात्तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता

सरलार्थ – इस संसार में मधुर वचन बोलने से सभी प्राणी प्रसन्न होते हैं अर्थात् प्राणिमात्र को प्रियवचनों से अनुकूल रखा जाता है। तब तो प्रत्येक को प्रिय वचन ही बोलने चाहिए, क्योंकि बोलने में कोई दरिद्रता (निर्धनता) नहीं आती।

प्रश्न 4.
अधोलिखितपदेभ्यः जिन्नप्रकृतिक पदं चित्वा लिखत –

(क) वक्तव्यम्, कर्तव्यम्, सर्वस्वम्, हन्तव्यम्।
उत्तर:
सर्वस्वम्,

(ख) यलने, वचने, प्रियवाक्यप्रदानने, मरालेन।
उत्तर:
वचने

(ग) श्रूयताम्, अवधार्यताम्. धनवताम्. क्षम्यताम्।
उत्तर:
धनवताम्

(घ) जन्तवः, नः, विभूतयः परितः।
उत्तर:
परितः।

प्रश्न 5.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्नवाक्यनिर्माणं कुरुत –

(क) वृत्ताः क्षीणः हतः भवति।
उत्तर:
कस्मात् क्षीणः हतः भवति।

(ख) धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।
उत्तर:
कम् श्रुत्वा अवधार्यताम्।

(ग) वृक्षाः फलं न खादन्ति।
उत्तर:
के फलं न खादन्ति।

(घ) खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वो भवति।
उत्तर:
केषाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति।

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि लोट्लकारे परिवर्तयत –
यथा- सः पाठं पठति। – सः पाठं पठतु।

(क) नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्ति। ……………….
(ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति। …………….
(ग) त्वं परेषा प्रतिकूलानि न समाचरसि। …………
(घ) ते वृतं यत्लेन संरक्षन्ति। …………
(ङ) अहम् परोपकाराय कार्य करोमि। ……….
उत्तर:
(क) नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्ति। नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्तु।
(ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति। सः सदैव प्रियवाक्यं वदतु।
(ग) त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचरसि त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाच
(घ) ते वृतं यत्नेन संरक्षन्ति। ते वृतं यत्नेन संरक्षन्तु
(ङ) अहम् परोपकाराय कार्य करोमि। अहंपरोपकाराय कार्य कराणि।

प्रश्न 7.
उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकेषु बत्तेषु शब्बेषु उचितां विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत –
यथा- तेषां मरालः विप्रयोगः भवति।

(क)……….सह छात्रः शोधकार्य करोति। (अध्यापक)
(ख) ………. सह पुत्रः आपणं गतवान्। (पितृ)
(ग) कि त्वम् ……. सह मन्दिरं गच्छसि? (मुनि)
(घ) बाल: ………… सह खेलितुं गच्छति। (मित्रम्)
उत्तर
(क) अध्यापकेन सह छात्रः शोधकार्य करोति।
(ख) पित्रा सह पुत्रः आपणं गतवान्।।
(ग) कि त्वम् मुनिना सह मन्दिर गच्छसि? (
घ) बालः मित्रैः सह खेलितुं गच्छति।

व्याकरणात्मकः बोध:

1. पदपरिचय: – (क)

  • आत्मन: – आत्मन् शब्द, षष्ठी विभक्ति, एकवचन। अपने (स्वयं) से।
  • परेषाम् – पर सर्व.शब्द, षष्ठी विभक्ति, बहुवचन। दूसरों
  • तस्माद् – तत् पु,शब्द, पंचमी विभक्ति, एकवचन। कारणाद् क विशेषण के रूप में प्रयुक्त। उस कारण से।
  • अम्भ: – भस् शब्द, द्वितीया विभक्ति, बहुवचन। जल को।
  • सस्यम् – सस्य शब्द, द्वितीया विभक्ति, एकवचन। फसल (पौधों) को।
  • ईश्वरैः – ईश्वर शब्द, तृतीया विभक्ति बहुवचन। स्वामियों (धनियों) के।
  • वृतम् – वृत शब्द, द्वितीया विभक्ति एकवचन। चरित्र, आचरण को।

पदपरिचय: – (ख)

  • संरक्षेन् – सम् + रक्षु धातु, विधिलिङ्, एकवचन। सब प्रकार से रक्षा करे।
  • एति – आ + इण् धातु, लट्लकार, प्रथमपुरुष एकवचन। आता है।
  • श्रूयताम् – श्रू धातु (कर्म), लोट्लकार, प्र.पु. एकवचन। (आप) सुनिये)
  • अवधार्यताम् – अब + धृ + लोट् (कर्म) प्र यु एकवचन। (धारण कीजिए)

2. प्रकृतिप्रत्यय विभाग:-

  • वक्तव्यम् – वच् + तव्यत् (विध्यर्थं में तव्यत् प्रत्यय)
  • कर्तव्यः – कृ + तव्यत्
  • गर्वी – गुरु + डीप् (स्त्यर्थ में ङीप् प्रत्यय)
  • वृद्धिमती – वृद्धि + मतुप् + डीप्
  • भिन्न – भिद् + क्तः + टाप् (पृथक्)
  • आस्वाद्य – आ + स्वद् + प्यत् (आस्वादन के योग्य)
  • वित्ततः – वित्त + तसिल् (त:) वित्त से (होन) अर्थ में)
  • वृततः – वृत + तसिन् (त:) (सच्चरित्र से हीन अर्थ में)

3. परियोजनाकार्यम् –
(क) परोपकारविषयकं श्लोकद्वयं लिखत –

(i) अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम्।
परोपकारः पुण्याय, पापाय परपीडनम्।

(ii) परोपकाराय वहन्ति नद्यः परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः।
परोपकाराय काशते सूर्यः परोपकारार्थमिद्र शरीरम्।।

(ख) नद्या एक सुन्दर चित्र निर्माय वर्णयत सत् तस्याः तीरे मनुष्याः पशवः खगाश्च निर्विघ्नं जलं पिबन्ति –

  • एतद् नद्याः चित्रं वर्तते।
  • नद्याः तटे अनेके पशवः चरन्ति।
  • केचन पशवः नद्या जले पियन्ति।
  • नद्यां अनेकेखगा अपि जलं पिबन्ति।
  • नद्या निर्मल शीतक च जलं अस्ति।
  • नद्याः तटे विविधाः वृक्षाः अपि शोभन्ते।

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् Summary Translation in Hindi

वृत्तं यत्नेन संग्क्षेद् वित्तमेति च याति च।
अक्षीप्पो वित्ताः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः
-मनुस्मृतिः

अन्वयः – वृतं यत्नेन संरक्षेद् वित्तं च एति च याति। वित्ततः (क्षीण:) तु अक्षीणः (किंतु), वृततः क्षीणः हतः हतः।

सन्दर्भ: – प्रस्तुत श्लोक हमारी संस्कृत की पाठ्य-पुस्तक “शेमुषी’ (प्रथमोभागः) के “सूक्तिमौक्तिकम्” नामक पाठ से संकमित किया गया है। इस श्लोक का मूलग्रन्थ ‘मनुस्मृति’ नामक स्मृतिग्रन्थ है जिसमें मनुष्य को सदाचार की शिक्षा देते हुए मनु कहते हैं।

सरलार्थ – मनुष्य को सदाचार (सच्चरित्र) की दृढ़ता पूर्वक रक्षा करनी चाहिए अर्थात् सदैव सदाचार की रक्षा में प्रयत्मशील रहना चाहिए। धन तो अस्थिर होता है। अर्थात् आता-जाता रहता है। धन के क्षीण (कम) होने से मनुष्य क्षीण नहीं होता अर्थात् निर्धन नहीं होता अपितु सदाचार से क्षीण (हीन होने पर निश्चय ही उसका विनाश हो जाता है।

भाव – मनुष्य को सदाचारी होना चाहिए। सच्चा धन नहीं, किंतु सदाचार सच्चरित्रता रूपी धन ही होता है। जैसा कि अन्यत्र भी कहा गया है-आचारः प्रथमो धर्मः।

श्रूयतां धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।।
-विदुरनीतिः

अन्वयः – धर्मसर्वस्वं श्रूयताम् च श्रुत्वा एव अवधार्यताम्। आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेतृ।।

सन्दर्भ: – हमारी पाठ्य-पुस्तक “शेमुषी” (प्रथमोभागः) के “सूक्तिमौक्तिकम्” नामक पाठ में सकलित यह श्लोक महाम्मा विदुर रचित ‘किदुरनीति:’ नामक नीति ग्रन्थ से लिया गया है जिसमें विदुर ने मानवधर्म तथा व्यवहार की शिक्षा देते हुए कहा है

सरलार्थ – मानव को धर्म का सार सुनना चाहिए और उसे सुनकर मन में धारण (ग्रहण) करना चाहिए तथा स्वयं के प्रतिकूल (अप्रिय) आचरण दूसरों के प्रति नहीं करना चाहिए। अर्थात् जो व्यवहार तथा कार्य हमें स्वयं को प्रिय नहीं लगता, वह व्यवहार हमें दूसरों के साथ भी नहीं करना चाहिए।

भाव – मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में अपने परिवार बन्धु, मित्रों, पड़ोसियों के साथ सामञ्जस्य बैठाकर जीना होता है। इसके लिए आवश्यक है-वह धर्म पर तत्वपरक शिक्षाओं को सुनकर ग्रहण करे उन्हें अपने आचरण में शमिल करे तथा दूसरों के साथ अनुकूल आचरण करे।

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्माक तदेव वक्यव्यं वचने का दरिद्रता
-चाणक्यनीतिः

अन्वयः – सर्वे जन्तवः प्रियवाक्य प्रदानेत तुष्यन्ति। तस्मात् (सर्वैः) तदेव वक्तव्यम् वचने का दरिद्रता।।

सन्दर्भ – हमारी पाठ्य-पुस्तक “शेमुषी” (प्रथमोभागः) के “सूक्मिौक्तिकम्” नामक पाठ में संग्रहीत प्रस्तुत श्लोक “चाणक्यनीति” नामक मूल प्रस्तक से चयनित किया गया है। इसमें मधुरभाषिता वाणी के महत्व को प्रकट करते हुए कौटिल्य चाणक्य कहते हैं

सरलार्थ – इस संसार में मधुर वचन बोलने से सभी प्राणी प्रसन्न होते हैं अर्थात् प्राणिमात्र को प्रिय वचनों से अनुकूल रखा जाता है। तब तो प्रत्येक को प्रिय वचन ही बोलने चाहिए, क्योंकि बोलने में कोई दरिद्रता (निर्धनता) नहीं आती।

भाव – प्रिय वचनों में असीम शक्ति होती है। ये सभी को अनुकूल बना लेते हैं। मधुरोक्तियाँ सभी को खुश रखती है। जबकि कटूवचनों से विरोधी जन्मते हैं, अतः सर्वदा सरस, मधुर वाणी बोली जानी चाहिए। कोयल मधुरवाणी (कूक) के कारण सबकी प्रिय है।

पिबन्ति नद्यः स्वयमेवनाम्भः
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभूतयः
-सुभाषितरत्नभाण्डागारम्

अन्वय: – नद्यः स्वयमेव अम्भः न पिबन्ति, वृक्षाः फलानि स्वयं न खादन्ति।
वारिवाहाः सस्यं खलु न अदन्ति (एवं) सतां विभूतयः परोपकाराय (भवन्ति, न तु आडम्बराय)।

सन्दर्भ – “शेमुषी” (प्रथमोभागः) में चयनित प्रकृत श्लोक ‘सुभाषितरत्नभाण्डागारम्” नामक मूलग्रन्थ से अवतरित है। इसमें “परोनकार” रूपी महान् गुण, पुण्यकार्य की महिमा का वर्णन किया जा रहा है।

सरलार्थ – नदियाँ अपना जल स्वयं ही नहीं पीती। वृक्ष (वनस्पतिया) अपने फल स्वयं नहीं खाते। बादल सस्यों (कृषि कर्म द्वारा उगाई फसलों) को कभी नहीं खाते अर्थात् यह सब इनके परोपकारात्मक स्वभाव के कारण है। इसी प्रकार सज्जनों (श्रेष्ठ लोगों) की सम्पत्तियाँ (साधन) भी परोपकार के लिए ही होता है, स्वार्थ के लिए नहीं।

भाव – यह समस्त संसार परोपकार पर ही टिका हुआ है। सम्पूर्ण प्रकृति प्राणिमात्र के हितसाधन, कल्याण हेतु उद्यत है, जैसे-नदियां, वनस्पति, बादल सूर्य, चन्द्रमा तथा भूमि इत्यादि।
एवमेव महान् लोगों की सम्पत्ति, साधन तथा सर्वस्व ही जनहित के लिए होता है। जैसे महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियाँपरहित हेतु दान कर दी। “रामचरितमानस” में भी तुलसीदास जी ने कहा है
“परहितसरिस धर्म नहीं भाई”। इसी प्रकार व्यास जी ने भी पुराणों के सारस्वरूप निन्नलिखित वचन कहे हैं-” परोपकार: पुण्याय”।

गुणेष्वेव हि कतव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा।
गुणयुक्तो दरिद्रोऽपि नेश्वरैरगुणैः समः।।
-मृच्छकटिकम्

अन्वयः – पुरुष सदा हि गुणेषु एव प्रयत्नः। कर्त्तव्यः। (यतः) गुणयुक्तः, दरिद्रः अपि, अगुण (युक्तैः) ईश्वरैः समः न। (अपितु श्रेष्ठः भवति)।

सन्दर्भ – महाकवि शूद्रक द्वारा रचित “मृच्छकटिकम्” नामक नाट्यग्रन्थ से संग्रहीत तथा “शेमुषी” के प्रथम भाग के “सूक्तिमौक्तिकम्” नामक पाठ में चयनित प्रस्तुत में “गुणग्राह्यता” में प्रयासरत रहने की आवश्यकता बताई जा रही है।

सरलार्थ – मनुष्य को सदा गुणों को ग्रहण (धारण) करने में ही प्रयत्न करना चाहिए। क्योंकि संसार में गुणों से युक्त निर्धन व्यक्ति भी गुणों से होन-धनी व्यक्तियों से बढ़कर (श्रेष्ठ) होता है अर्थात् गुणहीन निर्धन व्यक्ति ही उससे श्रेष्ठ होता है।

भाव – धन नश्वर है, जबकि गुण जीवन पर्यन्त मनुष्य की निधि बनकर उसके साथ रहते हैं। धन, शरीर द्वारा अर्जित शरीर केलिए ही केवल कुछ सुविधाएं, साधन उपस्थित करता है, जबकि ‘गुण’ आत्मा के धर्म स्वरूप हैं। गुणों के उत्कर्ष से ही मनुष्य सच्चा मनुष्य बनता है। “आत्मोदय” के साधन गुण ही हैं, धन नहीं। अतः मनुष्य को गुणग्राह्यता के लिए सचेष्ट रहना चाहिए। धन के पीछे नहीं भटकना चाहिए।

आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण
लध्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्।
दिनस्य पूर्वार्द्धपरार्द्धभिन
छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्।।
-नीतिशतकम्

अन्वयः – दिनस्य पूर्वार्द्ध भिन्न छाया इव खल्सज्जनानां मैत्री-आरम्भगुर्वी (पश्चात् च) क्रमेणक्षयिणी, (तथा च) पुरा पश्चात् च वृद्धिमती (भवति)।

सन्दर्भ – महाकवि भर्तृहरिरचित ‘नीतिशतकम्’ नामक पुस्तक से संग्रहीत तथा “शेमुषी’ के ‘सूक्तिमौक्तिकम्’ नामक पाठ में सम्मिलित प्रस्तुत श्लोक में दुर्जन तथा सज्जन की मैत्री के विषय में प्रकृतिपरक उदाहरण के द्वारा भेद दिखाया जा रहा है।

सरलार्थ – दुर्जन और सज्जनों की मित्रता दिन के पूर्वाध , ‘ तथा परार्ध (दोपहर पूर्व तथा दोपहर पश्चात्) को छाया की भाँति अलग-अलग स्थिति वाली होती है। दुर्जन की मित्रता तो मध्याह्न तक व्याप्त छाया के समान होती है जो आरम्भ में बड़ी (धनी) तथा उत्तरोत्तर क्रम से क्षीण (कम) होती हुई समाप्त हो जाती है। जबकि सन्जन की मित्रता मध्याह्न से पश्चात् की छाया के समान होती है जो आरम्भ में कम (लध्वी तथा (क्रमश:) उत्तरात्तर बढ़ती जाती है। यही दोनों की मित्रता में भेद है।

भाव – दुर्जन की मित्रता स्वार्थाधारित जबकि सज्जन को मित्रता स्वार्थरहित होती है। जब तक स्वार्थ सिद्धि नहीं हो जाती, दुर्जन की मैत्री प्रगाझ रूप में दिखाई देती है। स्वार्थ सिद्धि के उपरान्त वह समाप्त हो जाती है। अत: वह मित्रता नहीं केवल मित्रता का स्वार्थवश प्रदर्शन होता हैं। जबकि सजन की मैत्री चिरस्थायी होती है, क्योंकि उसमें स्वार्थता (स्वाहितसाधनेच्छा) नहीं होती। जैसे कि कहा भी गया है

नारिकेल समाकाराः दृश्यन्ते सुहृजनाः।
अन्ये तु बदरिकाकाराः बहिरेव मनोहराः

अर्थात् सच्चे मित्र नारियल के समान बाहर से कठोर जबकि अन्दर से मृदु होते हैं तथा स्वार्थी मित्र ‘बेर’ के समान केवल बाहर-बाहर से ही मनोहरी होते हैं।

यत्रापि कुत्रापि गता भवेयु –
हंसा महीमण्डलमण्डनाय।
हानिस्तु तेषां हि सरोवराणां
येषां मरालैः सह विप्रयोगः।।
-भामिनीविलासः

अन्वयः – हंसा: महीमण्डलमण्डनाय यत्र अपि कुत्र अपि गताः भवेयुः (तथा भूते) हानि: तु तेषां सरोवराणां हि (भवति) येषां मरालैः सह (तेषां) विप्रयोगः (भवति)।

सन्दर्भ – पण्डितराज जगन्नाथ रचित “भामिनीविलासः” नाम ग्रन्थ से समाहृत प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक “शेमुषी’ (प्रथमोभागः) में “सूक्तिमौक्तिकम्” नामक पाठ में समाहित है। इसमें गुणी (उत्तम) पुरुषों के महत्व को प्रतिपादित किया गय है।

सरलार्थ – हंस, पृथ्वी की शोभा बढ़ाने को जहाँ कहीं भी चले गए हों, इसमें हानि तो उन सरोवरों (तालाबों) की ही होती है जिन्हें छोड़कर हंस चले गए अर्थात् शोभाकारक हंसो से जिनका बिछुराव हो गया।

भाव – जैसे हंस के वहां रहने से सरोवर की शोभा द्विगुणित हो जाती है और चले जाने से शून्यता आ जाती है, वैसे ही श्रेष्ठ (उत्तम) लोगों के तद्वासित स्थान, नगरी को छोड़ने में उनकी नहीं अपितु उस स्थान की शोभा थी। वहां शान्ति, धर्म, परोपकार, दयालुता, स्नेह आदि गुणकर्मो व्यवहार होता था जो उनके वहां से चले जाने पर नहीं रहेगा।

गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति
ते निर्गुण प्राप्य भवन्ति दोषाः।
आस्वाद्यतोयाः प्रवहन्ति नद्यः
समुद्रतासाद्य भवन्यपेयाः।।
-हितोपदेशः

अन्वयः – गुण: गुणज्ञेषु (एव) गुणः भवन्ति, ते (गुणा:) निर्गुणं प्राप्य दोषाः भवन्ति। (यथा) नद्यः आस्वाद्यतोयाः (सति) प्रवहन्ति (किंतु) (ताः एव) समुद्रं आसाद्य अपेयाः भवन्ति।

सन्दर्भ – नाराया पण्डित द्वारा रचित लोकप्रिय ग्रन्थ “हितोपदेश’ से समाहत प्रकृत श्लोक हमारी संस्कृत की पाठ्य-पुस्तक “शेमुषी” प्रथमोभागः के “सूक्तिमौक्तिकम्” नामक पाठ में संग्रहीत है। यहां ‘गुण व गुणज्ञ’ के सम्बन्ध पर प्रकाश डाला जा रहा है।

सरलार्थ – गुण, तभी तक गुणरूप में रहते हैं जब तक वे गुणज्ञ (गुणग्राही) जनों में होते हैं। वही गुण निर्गुण पात्र में पहुँचकर दोषो का रूप ग्रहण कर लेते हैं। अर्थात् मूखों में आकर वे ही गुण दोष बन जाते हैं। जैसे नदियों का स्वादिष्ट (पेय) जल समुद्र में पहुँचकर अपेय अर्थात् न पीने योग्य (खारी) बन जाता है। सारा भेद संसर्ग का है।

भाव – तुच्छ जन भी महान् लोगों की संगति में आकर जीवन को धन्य कर लेते है। संसार में आदिकाल से लेकर आज तक अनेकों ऐसे उद्धरण भरे हैं जिनमें प्रारम्भमें दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को महान् पुरुषों की संगति में आने के बाद श्रेष्ठ जीवन धारण करते हुए तत्सम्बन्धित क्षेत्रों में अत्यधिक उत्कर्ष को प्राप्त किया तथा चतुर्दिक यश प्राप्त किया। अत: संगति का प्रभाव अनिवार्य तथा अक्षुण्ण रूप से मनुष्य पर होता है। जैसे प्रस्तुत उदाहरण में ‘जल’ तो एक ही है, परन्तु नदियों के अन्दर मधुर तथा समुद्र में पहुँच वही जल खारी हो जाता है। अत: सज्जन भी कुसंगति में पड़कर दुर्बन तथा दुर्जन सत्संगति में आकर सन्जन बन जाता है। जैसे-महर्षि वाल्मीकि। महात्मा गांधी ने कहा भी है

सत्सङ्गतिरतो भविष्यसि, भविष्यसि।
दुर्जनससर्गे पतिष्यसि, पतिष्यसि ।।

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Units

Chapters

Marks Allocated

Total

Part 1

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40

Part 2

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40

Part 3

project

20

100

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Chapter 4 – Poverty
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Chapter 6 – Rural Development
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Chapter 8 – Infrastructure
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NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम्

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NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

अभ्यास के प्ररनौं के उत्तर

प्रश्न: 1.
उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 2

प्रश्न: 2.
अधोलिखितानां पदानां लिङ्गगं, विभक्तिं वचनञ्च लिखत
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 4

प्रश्न: 3.
श्लोकांशान् योजयत
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 5
उत्तर
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 6

प्रश्न: 4.
एकपदेन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत

(क) कः पशुः ?
उत्तर
विद्याविहीनः पशुः।

(ख) का भोगकरी ?
उत्तर
विद्या भोगकरी।

(ग) के पुरुष न विभूषयन्ति ?
उत्तर
केयूराः पुरुषं न विभूषयन्ति।

(घ) का एका पुरुषं समलङ्करोति ?
उत्तर
वाणी एका पुरुष समलङ्करोति।

(ङ) कानि क्षीयन्ते ?
उत्तर
अखिल भूषणानि क्षीयन्ते।

प्रश्न: 5.
रेखाङ्कितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) विद्याविहीनः नरः पशुः अस्ति।
(ख) विद्या राजसु पूज्यते।
(ग) चन्द्रोज्वला: हाराः पुरुषं न अलकुर्वन्ति।
(घ) पिता हिते नियुङ्क्ते।
(ङ) विद्याधनं सर्वप्रधानं धनमस्ति।
(च) विद्या दिक्षु कीर्तिं तनोति।
उत्तर
(क) विद्याविहीनः कः पशुः अस्ति?
(ख) का राजसु पूज्यते?
(ग) चन्द्रोज्ज्वलाः के पुरुषं न अलकुर्वन्ति?
(घ) कः हिते नियुङ्क्ते?
(ड.) विद्याधनं कथं धनमस्ति?
(च) विद्या कुत्र कीर्तिं तनोति?

प्रश्न: 6.
पूर्णवाक्येन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) गुरूणां गुरुः का अस्ति ?
उत्तर
गुरूणां गुरुः विद्या अस्ति।

(ख) कीदृशी वाणी पुरुषं समलकरोति ?
उत्तर
संस्कृता धार्यते वाणी पुरुषं समलङ्करोति।।

(ग) व्यये कृते किं वर्धते ?
उत्तर
व्यये कृते विद्या वर्धते।

(घ) भाग्यक्षये आश्रयः कः?
उत्तर
भाग्यक्षये आश्रयः विद्या अस्ति।

प्रश्न: 7.
मञ्जूषातः पुंल्लिङ्ग-स्त्रीलिङ्ग-नपुंसकलिङ्गपदानि चित्वा लिखत
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 7
उत्तर
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् 8

बहुविकल्पी प्रश्न

(i) सर्वधनप्रधानम् किं ?
(A) धनं
(B) राज्ञ
(C) विद्या
(D) भ्राता
उत्तर
(C) विद्या

(ii) किं व्यये कृते वर्धते ?
(A) विद्याधनं
(B) धनं
(C) तस्याः धनं
(D) भ्रातुः धनं
उत्तर
(A) विद्याधनं

(iii) गुरूणाम् गुरुः का ?
(A) धनं
(B) राज्ञ
(C) विद्या
(D) भ्राता
उत्तर
(C) विद्या

(iv) कः पशुः समान: ? ङ्केत :
(A) राजसपूज्यते
(B) बंधुजनाः
(C) भ्राता
(D) विद्याहीनः
उत्तर
(D) विद्याहीनः

(v) वाण्येका कम् समलंकरोति ?
(A) विद्याहीनम्
(B) पुरुषं
(C) भूपतिं
(D) बंधुजनम्
उत्तर
(B) पुरुषं

(vi) अस्माभ्यम् किं करणीयम् ?
(A) विद्याधिकारं करणीयम्
(B) महिमा करणीयम्
(C) विद्याधिकारं न करणीयम्
(D) महिमा न करणीयम्
उत्तर
(A) विद्याधिकारं करणीयम्

Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम् Summary Translation in Hindi

1. न चौरहार्यं न च राजहार्य
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धत एव नित्यं
विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥1॥

शब्दार्था:-
चौरहार्यम् = चोरों के द्वारा चुराने के योग्य, = राजहार्यम् = राजा के द्वारा छीनने के योग्य,
भातृभाज्यम् = भाइयों के द्वारा बाँटने योग्य
कृते = के लिए
विद्याधनं = विद्या रूपी धन
प्रधानम् = श्रेष्ठ

सरलार्थ:-
विद्यारूपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा छीन नहीं सकता, भाइयों में उसे बाँटा नहीं जा सकता, उसका भार नहीं लगता, (और) खर्च करने से बढ़ता है। सचमुच, विद्यारूपी धन सर्वश्रेष्ठ है।

2. विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्।
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवता
विद्या राजसुपूज्यतेन हि धनं विद्या-विहीनः पशुः॥2॥

शब्दार्था:-
नरस्य = व्यक्ति का
प्रच्छन्नगुप्तं = गुप्त धन
विदेशगमने = विदेश में
राजसु = राजाओं में
विद्या-विहीनः = विद्या विहीन/रहित विद्या इन्सान का विशिष्ट रूप है, गुप्त धन है। वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है। विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है। विद्या बड़ी देवता है, राजाओं में विद्या की पूजा होती है। धन की नहीं इसलिए विद्या विहीन/रहित पशु के समान ही है।

3. केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वला
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालङ्कृता मूर्धजाः।
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते
क्षीयन्तेऽखिलभूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम्।।

शब्दार्था:-
केयूराः = बाजूबन्द,
चन्द्रोज्ज्वला, = चन्द्रमा के समान चमकदार
विलेपनम् = शरीर पर लगाया जाने वाला लेप (चन्दन केसर आदि),
नालंकृता = न सजाया हुआ
मूर्धजा – वेणी/चोटी, वाण्येका
(वाणी+एका = एकमात्र वाणी,
समलंकरोति = अच्छी तरह सुशोभित करती है,
संस्कृता = संस्कारयुक्त,
धार्यते = धारण की जाती है,
क्षीयन्ते+अखिलभूषणानि = सम्पूर्ण आभूषण नष्ट हो जाते हैं।

सरलार्थ:-बाजूबन्द (बाजू पर बाँधे जाने वाले आभूषण) पुरुष को शोभायमान नहीं करते हैं और ना ही चन्द्रमा के समान उज्जवल हार, न स्नान, न चन्दन का लेप, न फूल और | ना ही सजे हुए केश ही शोभा बढ़ाते हैं। केवल सुसंस्कृत प्रकार से धारण की हुई वाणी ही | उसकी भली भाँति शोभा बढ़ाती है। साधारण आभूषण नष्ट हो जाते हैं परन्तु वाणी रूपी आभूषण हमेशा रहने वाला आभूषण है।

4. विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयः
धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा
सत्कारायतनं कलस्य महिमा रत्नैर्विना भषणम
तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु।।

शब्दार्था:-
भाग्यक्षये = अच्छे दिन बीत जाने पर,
आश्रयः = सहारा
कामदुधा = इच्छानुसार फल देने वाली,
सत्कारायतनम् = सम्मान का केन्द्र या समूह
रत्तैर्विना = रत्नों के रहित
विद्याधिकारम् = विद्या पर अधिकार,
तस्मादन्यमुपेक्ष्य (तस्मात्+अन्यम्+उपेक्ष्य) = अतः दूसरे सबको छोड़कर।

सरलार्थ-विद्या अनुपम कीर्ति है, भाग्य का नाश होने पर वह आश्रय देती है, कामधेनु है, विरह में रति समान है, तीसरा नेत्र है, सत्कार का मंदिर है, कुल-महिमा है, रत्नों का आभूषण है, इसलिए अन्य सब विषयों को छोड़कर विद्या का अधिकारी बन।

NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1

NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 1 शब्द परिचयः 1

अभ्यासः

पाठ का सम्पूर्ण सरलार्थ-

शब्दपरिचयः
NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1 1 NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1 2

NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1 3
एषः कः?
एषः केशवः।
केशवः किं करोति?
केशवः नमति।
किं सः लिखति?
नहि, सः न लिखति,
सः नमति।

हिन्दी सरलार्थ
यह कौन है?
यह केशव है।
केशव क्या करता है?
केशव नमस्कार करता है।
क्या वह लिखता है?
नहीं, वह नहीं लिखता है।
वह नमस्कार करता है।

NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1 4
एते के?
एते मयूराः।
मयूराः किं कुर्वन्ति?
मयूराः नृत्यन्ति।
किं ते विचरन्ति?
नहि, ते न विचरन्ति,
ते तु नृत्यन्ति।

हिन्दी सरलार्थ
ये सब कौन हैं?
ये सब मोर हैं।
मोर क्या करते हैं?
मोर नाचते हैं।
क्या वे घूमते हैं?
नहीं, वे नहीं घूमते हैं,
वे तो नाचते हैं।

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्नः 1.
मौखिकम् उच्चारणं कुरुत
शिक्षक – शिक्षकः
युवक – युवकः
घट – घटः .
दीपक – दीपकः
कुक्कुर – कुक्कुरः
राष्ट्रध्वज – राष्ट्रध्वजः
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं उच्चारण करें।

प्रश्नः 2.
(क) पदानां वर्णविच्छेदं प्रदर्शयत
NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1 5
उत्तर:
करोति = क् + अ + र् + ओ + त् + इ.
बालकाः = ब् + आ + ल् + अ + क् + आः
छात्रः = छ् + आ + त् + र् + अः
अश्वाः = अ + श् + व् + आः

(ख) वर्णसंयोजनेन पदं लिखत-
यथा-
1. द् + ऋ + श् + य् + अ + म् = दृश्यम्
2. क् + आ + न् + अ + र् + अः = ……….
3. प् + अ + ठ् + अ + न् + त् + इ = ……….
4. क् + उ + र् + व् + अ + न् + त् + इ = ……….
5. ध् + आ + व् + अ + न् + त् + इ = ……….
उत्तर:
2. वानरः
3. पठन्ति
4. कुर्वन्ति
5. धावन्ति

प्रश्नः 3.
उदाहरणं दृष्ट्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
यथा-
पिकः – पिको – पिकाः
………. – काको – ……….
कच्छपः – ………….. – …………
………. – ………. – बिडालाः
…………. – मृगौ – …………
घटः – ……………. – ………….
उत्तर:
काकः – काको – काकाः
कच्छपः – कच्छपौकच्छपाः
बिडालःबिडालौ – बिडालाः
मृगः – मृगौ – मृगाः
घटः – घटौघटाः

प्रश्नः 4
चित्राणि दृष्ट्वा संस्कृतपदानि लिखत-
NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1 6
उत्तर:
1. घटः
2. काकः
3. बिड़ालः
4. मयूरः

प्रश्नः 5.
चित्रं दृष्ट्वा उत्तरं लिखत
NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 1 शब्द परिचयः 1 7
उत्तर:
1. अश्वौ धावतः।
2. छात्राः प्रार्थनाम् कुर्वन्ति।
3. वानराः खादन्ति।
4. मयूरौ नृत्यतः।
5. गजः चलति।

प्रश्नः 6.
पदानि संयोज्य वाक्यानि रचयत-
वृक्षः – गायति
गजाः – गायति
सिंहौ – पठतः
गायकः – नृत्यन्ति
बालको – गर्जतः
भल्लूकाः – फलति
उत्तर:
1. वृक्षः – फलति।
2. गजाः – चलन्ति।
3. सिंहौं – गर्जतः।
4. गायकः – गायति।
5. बालकौ – पठतः।
6. भल्लूकाः – नृत्यन्ति।

प्रश्नः 7.
मञ्जूषातः पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
नृत्यन्ति गर्जतः धावति चलतः फलन्ति खादति
(क) मयूराः …………।
(ख) गजौ …………..।
(ग) वृक्षाः …………..।
(घ) सिंहौ ……………..।
(ङ) वानरः ………….।
(च) अश्वः ……………।
उत्तर:
(क) नृत्यन्ति
(ख) चलतः
(ग) फलन्ति
(घ) गर्जतः
(ङ) खादति
(च) धावति

प्रश्नः 8.
सः, तौ, ते इत्येतेभ्यः उचितं सर्वनामपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
यथा-अश्वः धावति। – सः धावति।
(क) गजाः चलन्ति। – चलन्ति।
(ख) छात्रौ लिखतः। – लिखतः।
(ग) वानराः क्रीडन्ति। – क्रीडन्ति।
(घ) गायकः गायति। – गायति।
(ङ) वृक्षौ फलतः। – फलतः।
उत्तर:
(क) ते
(ख) तौ
(ग) ते
(घ) सः
(ङ) तौ

NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit

NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई

We have given detailed NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 5 पण्डिता रमाबाई Questions and Answers will cover all exercises given at the end of the chapter.

NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 5 पण्डिता रमाबाई

अभ्यास के प्ररनौं के उत्तर

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) ‘पण्डिता’ ‘सरस्वती’ इति उपाधिभ्यां का विभूषिता ?
उत्तर
रमाबाई।

(ख) रमा कुतः संस्कृतशिक्षा प्राप्तवती ?
उत्तर
स्वमातुः।

(ग) रमाबाई केन सह विवाहम् अकरोत् ?
उत्तर
विपिनबिहारीदासेन।

(घ) कासां शिक्षायै रमाबाई स्वकीयं जीवनम् अर्पितवती ?
उत्तर
नारीणाम्।

(ङ) रमाबाई उच्चशिक्षार्थं कुत्र अगच्छत् ?
उत्तर
इंग्लैण्डदेशम्।।

प्रश्न 2.
रेखाकितपदानि आधुत्य प्रश्ननिर्माण कुरुत
(क) रमायाः पिता समाजस्य प्रतारणाम् असहत।
(ख) पत्युः मरणानन्तरं रमाबाई महाराष्ट्र प्रत्यागच्छत्।
(ग) रमाबाई मुम्बईनगरे ‘शारदा-सदनम्’ अस्थापयत्।
(घ) 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई-महोदयायाः निधनम् अभवत्।
(ङ) स्त्रियः शिक्षा लभन्ते स्म।
उत्तर
(प्रश्ननिर्माणम्)
(क) कस्याः पिता समाजस्यप्रतारणाम् असहत् ?
(ख) कस्य मरणानन्तरं रमाबाई महाराष्ट्र प्रत्यागच्छत् ?
(ग) रमाबाई कस्मिन् नगरे ‘शारदा-सदनम्’ अस्थापयत्।
(घ) 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे कस्याः निधनम् अभवत् ।
(ङ) का: शिक्षा लभन्ते स्म ?

प्रश्न 3.
प्रश्नानामुत्तराणि लिखत

(क) रमाबाई किमर्थम् आन्दोलनं प्रारब्धवती ?
उत्तर
रमाबाई बालिकानां स्त्रीणां च कृते संस्कृतस्य वेदशास्त्रादिकस्य च शिक्षायै आन्दोलनं प्रारब्धवती।।

(ख) निःसहायाः स्त्रियः आश्रमे किं लभन्ते स्म ?
उत्तर
निःसहायाः स्त्रियः आश्रमे मुद्रण-टङ्कण काष्ठकलादीनां प्रशिक्षणं लभन्ते स्म।

(ग) कस्मिन् विषये रमाबाई-महोदयायाः योगदानम् अस्ति ?
उत्तर
स्त्रीशिक्षायाम्, समाजसेवायाम् लेखनक्षेत्रे च रमाबाईमहोदयायाः योगदानम् अस्ति।

(घ) केन रचनाद्वयेन रमाबाई प्रशंसिता वर्तते ?
उत्तर
‘स्त्रीधर्मनीति’ ‘हाईकास्ट हिन्दू विमेन’ इति
रचनाद्वयेन रमाबाई प्रशंसिता वर्तते।

प्रश्न 4.
अधोलिखितानां पदानां निर्देशानुसारं पदपरिचयं लिखत
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई 1
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई 2

उत्तर
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई 3

प्रश्न 5.
अधोलिखितानां धातूनां लकार पुरुष वचनञ्च लिखत
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई 4
उत्तर
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई 5

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि घटनाक्रमानुसारं लिखत
(क) रमाबाई-महोदयायाः विपिनबिहारीदासेन सह विवाहः अभवत्।
(ख) 1858 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई जन्म अलभत ।
(ग) सा उच्चशिक्षार्थम् इंग्लैण्डदेशं गतवती।
(घ) 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई-महोदयायाः निधनम् अभवत्।
(ङ) सा मुम्बईनगरे शारदा-सदनम् अस्थापयत्।
(च) सा स्वमातुः संस्कृतशिक्षा प्राप्तवती।
उत्तर
(घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि)
1. (ख) 1858 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई जन्म अलभत।
2. (च) सा स्वमातुः संस्कृतशिक्षा प्राप्तवती।
3. (क) रमाबाई-महोदयायाः विपिनबिहारीदासेन सह विवाहः अभवत्।
4. (ग) सा उच्चशिक्षार्थम् इंग्लैण्डदेशं गतवती।
5. (ङ) सा मुम्बईनगरे शारदा-सदनम् अस्थापयत्।
6. (घ) 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई-महोदयायाः निधनम् अभवत्।

बहुविकल्पी प्रश्न

(i) ‘पण्डिता’ ‘सरस्वती’ इति उपाधिभ्यां का विभूषिता ?
(A) रमाबाई
(B) विद्याबाई
(C) योधाबाई
(D) लक्ष्मीबाई।
उत्तर
(A) रमाबाई

(ii) रमा कुतः संस्कृतशिक्षा प्राप्तवती ?
(A) शिक्षकात्
(B) अध्यापकात्
(C) पितुः
(D) मातुः।।
उत्तर
(D) मातुः।।

(iii) रमाबाई केन सह विवाहम् अकरोत् ?
(A) विपिनेन
(B) दासेन .
(C) बिहारेण
(D) विपिनबिहारीदासेन।
उत्तर
(D) विपिनबिहारीदासेन।

(iv) कासां शिक्षायै रमाबाई स्वकीयं जीवनम् अर्पितवती ?
(A) युवकानाम्
(B) बालकानाम्
(C) नारीणाम्
(D) प्रौढानाम्।
उत्तर
(C) नारीणाम्

(v) रमाबाई उच्चशिक्षार्थ कुत्र अगच्छत् ?
(A) भारतदेशम्
(B) इंग्लैण्डदेशम्
(C) बांग्लादेशम्
(D) नेपालदेशम्।
उत्तर
(B) इंग्लैण्डदेशम्

(vi) कस्याः पिता समाजस्य प्रतारणाम् असहत ?
(A) रमायाः
(B) विद्यायाः
(C) मनोरमायाः
(D) सुविधायाः।
उत्तर
(A) रमायाः

(vii) कस्य मरणानन्तरं रमाबाई महाराष्ट्र प्रत्यागच्छत् ?
(A) पितुः
(B) भ्रातुः
(C) मातुः
(D) पत्युः
उत्तर
(D) पत्युः

(viii) रमाबाई कस्मिन् नगरे ‘शारदा-सदनम्’ अस्थापयत् ?
(A) दिल्लीनगरे
(B) यमुनानगरे
(C) मुम्बईनगरे
(D) कोलकातानगरे।
उत्तर
(C) मुम्बईनगरे

(ix) 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे कस्याः निधनम् अभवत् ?
(A) विपिनबिहारीदासस्य
(B) रमायाः
(C) सरस्वत्याः
(D) मनोरमायाः।
उत्तर
(B) रमायाः

(x) काः शिक्षां लभन्ते स्म ?
(A) स्त्रियः
(B) बालकाः
(C) वृद्धाः
(D) युवकाः ।
उत्तर
(A) स्त्रियः

Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई Summary Translation in Hindi

1. रमाबाई संस्कृतवैदुष्येण ‘पण्डिता’ ‘सरस्वती’ इति उपाधिभ्यां विभूषिता। सा 1858 तमे ख्रिष्टाब्दे जन्म अलभत। तस्याः पिता अनन्तशास्त्री डोंगरे माता च लक्ष्मीबाई आस्ताम्। तस्मिन् काले स्त्रीशिक्षायाः स्थितिः चिन्तनीया आसीत्। स्त्रीणां कृते संस्कृतशिक्षणं प्रायः प्रचलितं नासीत्। किन्तु पण्डितः अनन्तशास्त्री डोंगरे रूढिबद्धां धारणां परित्यज्य स्वपत्नी संस्कृत-मध्यापयत्। एतदर्थं रमायाः पिता समाजस्य प्रतारणाम् अपि असहत। अनन्तरं रमा अपि स्वमातुः संस्कृतशिक्षा प्राप्तवती।
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई 6

शब्दार्थाः-
संस्कृतवैदुष्येण = संस्कृत की विद्वत्ता के कारण।
उपाधिभ्याम् = उपाधियों से।
विभूषिता = विभूषित की गई थी।
ख्रिष्टाब्दे = ईस्वी में।
जन्म अलभत = जन्म लिया।
स्त्रीणां कृते = स्त्रियों के लिए।
रूढिबद्धाम् = रूढिबद्ध, रूढ़िवादी।
परित्यज्य = छोड़कर।
अध्यापयत् = पढ़ाया।
एतदर्थम् = इसीलिए।
प्रतारणाम् = ताड़ना को।
असहत = सहन किया।
अनन्तरम् = उसके बाद।
स्वमातुः = अपनी माता से।

सरलार्थ:- रमाबाई संस्कृत की विद्वत्ता के कारण ‘पण्डिता’ तथा ‘सरस्वती’-इन उपाधियों से विभूषित की गई। उन्होंने 1858 ईस्वी में जन्म लिया। उनके पिता श्री अनन्तशास्त्री डोंगरे तथा माता लक्ष्मीबाई थी। उस समय में स्त्री शिक्षा की स्थिति चिन्ताजनक थी। स्त्रियों के लिए प्रायः संस्कृत की शिक्षा का प्रचलन नहीं था। किन्तु पण्डित अनन्त शास्त्री डोंगरे ने रूढ़िवादी धारणा को छोड़कर अपनी पत्नी को संस्कृत पढ़ाई। इसीलिए रमा के पिता ने समाज की ताड़ना को भी सहन किया। इसके बाद रमा ने भी अपनी माता से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की। भी सहन किया। इसके बाद रमा ने भी अपनी माता से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की।

2. कालक्रमेण रमायाः पिता विपन्नः सञ्जातः । तस्याः | पितरौ ज्येष्ठा भगिनी च दुर्भिक्षपीडिताः दिवङ्गताः। तदनन्तरं रमा स्व-ज्येष्ठभ्रात्रा सह पद्भ्यां समग्रे भारते भ्रमणं कुर्वती कोलकातां प्राप्ता। तत्र सा ब्रह्मसमाजेन प्रभाविता वेदाध्ययनम् अकरोत्। पश्चात् सा बालिकानां स्त्रीणां च कृते संस्कृतस्य वेदशास्त्रादिकस्य च शिक्षायै आन्दोलनं प्रारब्धवती। 1880 तमे ख्रिष्टाब्दे सा विपिनबिहारीदासेन सह न्यायालये विवाहम् अकरोत्। साढेकवर्षानन्तरं तस्याः पतिः दिवङ्गतः।

शब्दार्थाः-
कालक्रमेण = कालक्रम से, समय बीततेबीतते।
विपन्नः = निर्धन।
सञ्जातः = हो गए
पितरौ = माता-पिता।
ज्येष्ठा = बड़ी।
भगिनी = बहन।
दुर्भिक्षपीडिताः = अकाल से पीड़ित होकर।
दिवङ्गताः = मृत्यु को प्राप्त हो गए।
पद्भ्याम् = पैरों से,
पैदल। समग्रे = सम्पूर्ण ।
कुर्वती = करती हुई।
प्रारब्धवती = आरम्भ किया।
सार्द्वकवर्षानन्तरम् = साढ़े ग्यारह वर्ष बाद।

सरलार्थ:- समय बीतते-बीतते रमा के पिता निर्धन हो गए। उसके माता-पिता और बड़ी बहन अकाल से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए। उसके बाद रमा अपने बड़े भाई के साथ पैदल ही सम्पूर्ण भारत में भ्रमण करती हुई कोलकाता पहुँची। वहाँ उसने ब्रह्मसमाज से प्रभावित होकर वेद का अध्ययन किया। इसके बाद उसने बालिकाओं तथा स्त्रियों के लिए संस्कृत तथा वेदशास्त्र आदि की शिक्षा के लिए आन्दोलन आरम्भ किया। 1880 ईस्वी में उसने विपिन बिहारीदास के साथ न्यायालय (कोर्ट) में विवाह कर लिया। साढ़े ग्यारह वर्ष के बाद उनके पति मृत्यु को प्राप्त हो गए।

3. तदनन्तरं सा पुत्र्या मनोरमया सह महाराष्ट्र प्रत्यागच्छत्। नारीणां समुचितसम्मानाय शिक्षायै च सा स्वीकीयं जीवनम् अर्पितवती। सर्वकारेण संघटिते उच्चशिक्षा-आयोगे रमाबाई नारीशिक्षाविषये स्वमतं प्रस्तुतवती। सा उच्चशिक्षार्थम् इंग्लैण्डदेशं गतवती। तत्र ईसाईधर्मस्य स्त्रीविषयकैः उत्तमविचारैः प्रभाविता जाता।

शब्दार्थाः-
प्रत्यागच्छत् = लौट आई।
अर्पितवती = अर्पण किया।
सर्वकारेण = सरकार द्वारा।
संघटिते = संगठित (में)।
स्वमतम् = अपना विचार/मत।
प्रस्तुतवती = प्रस्तुत किया।

सरलार्थः- उसके बाद वे पुत्री मनोरमा के साथ महाराष्ट्र लौट आईं। नारियों के समुचित सम्मान और शिक्षा के लिए उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया। सरकार द्वारा संगठित उच्चशिक्षा-आयोग में रमाबाई ने नारी शिक्षा के सम्बन्ध में अपना विचार प्रस्तुत किया। वे उच्चशिक्षा के लिए इंग्लैण्ड भी गईं। वहाँ ईसाई धर्म के स्त्रीविषयक उत्तम विचारों से प्रभावित हो गईं।

4. इंग्लैण्डदेशात् रमाबाई अमरीकादेशम् अगच्छत्। तत्र सा भारतस्य विधवास्त्रीणां सहायतार्थम् अर्थसञ्चयम् अकरोत् । भारतं प्रत्यागत्य मुम्बईनगरे सा ‘शारदा-सदनम्’ अस्थापयत्। परम् इदं सदनं पुणेनगरे | स्थानान्तरितं जातम् । अस्मिन् आश्रमे निस्सहायाः स्त्रियः निवसन्ति स्म। तत्र स्त्रियः मुद्रण-टङ्कणकाष्ठकलादीनाञ्च प्रशिक्षणमपि लभन्ते स्म। तदनन्तरं पुणेनगरस्य समीपे केडगाँव-नाम्नि स्थाने ‘मुक्तिमिशन’ | नाम संस्थानं तया स्थापितम्। अत्र अधुना अपि | निराश्रिताः स्त्रियः ससम्मानं जीवनं यापयन्ति ।
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 पण्डिता रमाबाई 7

शब्दार्थाः
अर्थसञ्चयम् = धन-सञ्चय, धन इकट्ठा।
प्रत्यागत्य (प्रति + आगत्य) = लौटकर।
अस्थापयत् = स्थापित किया।
स्थानान्तरितम् = स्थानान्तरित, एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदल गया।
निस्सहायाः = असहाय, बेसहारा।
मुद्रणम् = छपाई।
टङ्कणम् = टाइपिंग।
प्रशिक्षणम् = सिखलाई।
निराश्रिताः (निर् + आश्रिताः) = बेसहारा।
यापयन्ति = बिताते हैं/बिताती हैं।

सरलार्थः- इंग्लैण्ड से रमाबाई अमेरिका गई। वहाँ उन्होंने भारत की विधवा स्त्रियों की सहायता के लिए धन | इकट्ठा किया। भारत लौटकर मुम्बई नगर में उन्होंने ‘शारदा| सदन’ की स्थापना की। परन्तु यह सदन पूना नगर में ‘स्थानान्तरित हो गया। इस आश्रम में बेसहारा स्त्रियाँ रहती थीं। वहाँ स्त्रियाँ छपाई, टाइप करना, काष्ठकला आदि का प्रशिक्षण भी प्राप्त करती थी। उसके बाद पूना नगर के पास ‘केडगाँव’ नामक स्थान पर ‘मुक्तिमिशन’ नामक संस्थान भी उन्होंने स्थापित किया। यहाँ आज भी बेसहारा स्त्रियाँ सम्मानपूर्वक जीवन बिताती हैं।

5. 1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई-महोदयायाः निधनम् अभवत्। किन्तु स्त्रीशिक्षायां समाजसेवायाञ्च तस्याः कार्यम् अविस्मरणीयम् अस्ति। समाजसेवायाः अतिरिक्तं लेखनक्षेत्रे अपि तस्याः महत्त्वपूर्णम् अवदानम् अस्ति। ‘स्त्रीधर्मनीति”हाई कास्ट हिन्दू विमेन’ इति तस्याः प्रसिद्धं रचनाद्वयं वर्तते।

शब्दार्थाः-
निधनम् = मृत्यु, निधन।
अविस्मरणीयम् = न भुलाने योग्य, याद रखने योग्य।
अवदानम् = योगदान।
रचनाद्वयम् = दो रचनाएँ।

सरलार्थ:-1922 ईस्वी में रमाबाई महोदया का निधन हो गया। किन्तु स्त्रीशिक्षा और समाजसेवा में उनका कार्य अविस्मरणीय है। समाजसेवा के अतिरिक्त लेखन के क्षेत्र में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। ‘स्त्रीधर्मनीति’ तथा ‘हाई कास्ट हिन्दू विमेन’-ये इनकी दो प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। (पूरे पाठ के सरलार्थ में हिन्दी की शैली के अनुसार आदर के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। वह’ के स्थान पर ‘वे’ या ‘उन्होंने’ 1)

NCERT Solutions for Class 8 PDF

Are you studying in class 8 now? Or are you on this page while you are were looking for the right way to study class 8 CBSE for your kids? In any case, you are in the right place. Class 8 is often described as the last stage of formative years for any student. It is definitely true that for a student from any board, the results of class 10 and 12 matter the most.

However, before a student reaches the exams of class 10, he or she has to go through many stages of learning. And all these years of learning has its direct reflection on the results of the first big exam.

So, when you are thinking of performing really well in your boards or you want your kids to score remarkably high marks in class 10 as well as in class 12, it is highly recommended that they start preparing themselves from the very beginning. And in that, NCERT solutions for class 8 will be immensely helpful.

NCERT Solutions for the Students of Class 8

Now, if you are wondering how the NCERT solutions can help you out and why they are the most viable option for you to score well in class 8, then you have to read on. Well, class 8 is the last step of your formative academic years. This particular standard also marks the beginning of bigger learning that is class 9 onward.

Rather class 8 can be described as the year where you will get the taste of these both worlds together. That is why it is very obvious that you will get overwhelmed with the challenges it can pose in front of you. This is the year when you have to make the crucial decision of choosing the probable stream of studies too so that you prepare yourself for that in the next two years.

While you are aiming to prepare completely for your exams, it is necessary that you start reading systematically. After all being studious is not the only key to success. Along with hard work, you need to work smartly in you are aiming to stay ahead of your peers. For that, make sure you are choosing the right method to get prepared.

Class 8 NCERT solutions are designed keeping the needs and necessities of yours in mind. Hence, this is the best way to prepare yourself for the long run. Let’s take a look what the solutions consist of. There are 5 solutions that you can get from here in the form of PDFs.

Now, let’s take a look at the details of the above mentioned solutions.

  • NCERT solutions for class 8 maths covers the chapters like rational numbers, Quadrilaterals, practical geometry, data handling, square and cube, algebraic expressions and identities, mensuration, direct and inverse proportion and so on.
  • NCERT Solutions for class 8 science consists of crop production and management, microorganism, cell, fiber, conservation of plants and animals, coal, petroleum, light, sound, friction, solar system, pollution of air and water and so on.
  • NCERT solutions for class 8 English covers the chapters of Honeydew and It So Happened.
  • NCERT solutions for class 8 Hindi cover the basic of Hindi learning to make the students able to understand the language as well as its implications.
  • NCERT solutions for class 8 social science cover the chapters of geography, civics, and history.

The solutions are designed in a way that will essentially help the students in methodical studying and scoring well in the boards.

The Importance of Class 8 Results

Are you wondering what the actual significance is to score really well in class 8 whereas it is the results of class 10 and 12 that everyone wants to know about in case of further studies and in career courses? If yes, then you must take a look at the following points.

  • Class 8 is the time to buckle up for the bigger race. If you put down your mettle even for once, all your peers will race ahead of you when you will have a hard time to catch up with them. So, make sure that you are preparing well.
  • The results of each year decide which stream you are more interested in. It will not only help you to make the decision but will also help the school to understand why you are the right candidate for the stream that you want to study in the future. Make sure they get the right impression from your performance even before you reach class 9.
  • Class 8 results are surely a boost in your confidence so that you get all the more enthusiastic for further exams.

So, now as you know about the NCERT solutions of class 8 CBSE, what are you waiting for?