NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15 मेघ आए
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर:
हवा का तेज चलना। दरवाजे-खिड़कियों का खुलना। पेड़ों का झुकना। आँधी चलना, धूल उड़ना। पीपल का डोलना। तालाब में लहरें उठना।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?
(क) धूल
(ख) पेड़
(ग) ताल
(घ) नदी
(ङ) लता
उत्तर:
धूल – किशोरी लड़कियाँ जो भाग-भाग कर मेहमान के आने की खबर दे रही हैं।
पेड़ – गाँव के पुरुष।
नदी – गाँव की महिलाएँ, विवाहिताएं।
लता – नवविवाहिता, जिसका पति शहर से गाँव आया है।
ताल – स्वागतकर्ता
प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
उत्तर:
वर्ष भर वर्षा न होने से लता व्याकुल थी “उसने व्याकुलता से किवाड़ की ओट में होकर मेहमान को देखा जैसे व्याकुल नवविवाहिता देखने को उत्सुक तो रहती है पर शर्म के कारण सबके सामने न देखकर दरवाजे की ओट से देखती है।
प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, चूंघट सरके।
उत्तर:
भाव
(क) विरहिणी नायिका को भ्रम था कि उसके पति ने एक बरस से उसकी सुध नहीं ली। उसे भूल न गया हो। पर वह साल भर बाद जब वह गाँव आया तो उसके मन का भ्रम टूट गया
(ख) नदी को नायिका का प्रतीक माना गया है जो अपने पति को घूघट की आड़ से देखने का प्रयत्न करती है। चूंघट सरक जाने के बहाने से वह उसे देखने के लिए रुक जाती है।
प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर:
सनसनाती हवा चले लगी।
- हवा से दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं।
- पेड़ झुकने लगे, पीपल जैसे पेड़ भी डोलने लगे।
- बेलें हर्षित हुईं।
- तालाब में आशा की लहरें आने लगीं।
प्रश्न 6.
मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर:
चूँकि भारतीय परंपरा में दामाद बन-ठन कर ही ससुराल जाते हैं, और कवि ने बादलों को दामाद की संज्ञा दी है इस कारण उसने कहा है कि मेघ बन-ठनकर संवर कर आए। दूसरा कारण है कि वर्षा कालीन बादल जल से भरे होते हैं और मेघों का जल युक्त होना ही उनका बनना-ठनना और संवरना है।
प्रश्न 7.
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:
कविता में मेघों का, बयार का, पेड़ों का, धूल का, नदी का, पीपल के वृक्ष पर लता का, ताल का, बिजली का मानवीकरण किया गया है। तथा क्षितिज अटारी में रूपक अलंकार है।
प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दामाद का बन ठन कर, सज संवर कर अपनी सुसराल जाना।
- स्वागत में गाँव के लोगों की भागीदारी।
- विवाहिताओं का पुरुष से घूघट करना, पर उत्सुकता होने पर थोड़ा घूघट सरकाकर तिरछी नजर से देख लेना।
- परात में जल लाकर मेहमान के पैर धोना।
प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर:
आकाश में बादल:
नए बादल बन ठन कर आ पहुँचे। उनके आने पर हवा सनसनाती हुई चली तो दरवाजे खिड़कियाँ खुलने लगीं। आँधी चली, धूल उड़ने लगी। पेड़ हिलने-डोलने लगे। तालाब में खुशी की लहर दौड़ गई। नदी भी प्रसन्न हुई। लताएँ बहुत व्याकुल थीं। उन्हें लगता था बादल न आए तो वे मर जाएंगी। उनका भ्रम दूर हुआ। क्षितिज पर बादल गहराए बिजली चमकी और रिमझिम वर्षा होने लगी।
गाँव में मेहमान:
शहर से दामाद गाँव में बन ठन कर पहुँचे। उसकी आने की खबर हवा की तरह फैली। पुरुष झुककर उसे देखने लगे। स्त्रियाँ भी घूघट सरकाकर तिरछी नजर से देखने लगीं। गली-गली में दरवाजे-खिड़कियाँ खोल लोग उसे देखने लगे। किसी ने बढ़कर जुहार की तो कोई पानी भरकर ले आया। उसकी बिरहनी पत्नी को पहले शिकायत थी। वह सबके सामने नहीं मिली। किवाड़ की ओट से देखती रही। फिर एकांत में उसने क्षमा माँग ली और मिलन की बेला में उसके आँसू झरने लगे।
प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य लिखिए-
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सवर के।
उत्तर:
यहाँ कवि ने बादल को शहरी मेहमान के रूप में चित्रित किया है। ‘पाहुन ज्यों आए हे गाँव में शहर के’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है। ‘बड़े बन ठन’ में अनुप्रास अलंकार है। प्रवाह पूर्ण एवं चित्रात्मक भाषा है। बादलों का मानवीकरण किया गया है। अतः मानवीकरण है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु में प्राकृतिक परिवर्तन
जिस दिन पहली वर्षा हुई उसके अगले ही दिन प्रकृति बदली-बदली सी थी। खेतों की मिट्टी से अनोखी गंध आ रही थी। मुरझाते खेत लहलहाने लगे थे। दो-चार दिन में तो चारों ओर हरियाली छा गई। पेड़ धूले-धूले से लग रहे थे। हवा में भी ताजगी थी। धूप में चमक बढ़ गई थी। वह कभी चमकता, कभी बादलों के पीछे छिप जाता। वातावरण में नमी बढ़ गई थी। पार्कों और उपवनों की शोभा को तो जैसे चार चाँद लग गए। मोर मोरनी के सामने पंख फैलाकर नाचने लगे। घने पेड़ों से कभी-कभी कोयल का स्वर भी सुनाई पड़ता। कहते हैं कोयल वंसत में ही नहीं कूकती। पहली वर्षा का समाचार देने पर भी कूकती है। रिमझिम वर्षा में नहाने का मजा ही और है। कभी-कभी इंद्रधनुष मन को मोह लेता है।
प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।
उत्तर:
पीपल का पेड़ बड़ा और दीर्घ जीवी होता है। वह हजारों पक्षियों और अन्य जीव-जंतुओं कीट-पतंगों को आसरा देता है और उनका पोषण करता है। बड़े बुजुर्ग की ही भाँति उसके तने में दाढ़ी सी लटकती है। संभवतः इसीलिए कवि ने उसे बड़ा-बुजुर्ग कहा है।
प्रश्न 13.
कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
उत्तर:
दामाद को परिवार के अन्य सदस्यों जैसा ही सम्मान प्राप्त है।
अब यह बात नहीं रही कि लड़की उसी पर आश्रित है अतः उसे नारज नहीं करना। आज लड़की का स्वतंत्र व्यक्तित्व है। वह उस पर आश्रित नहीं है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 14.
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर:
सुधि लेना:
अपने में ही मस्त रहते हो, कभी मित्रों की सुधि भी ले लिया करो।
गाँठ खुलना:
शैलजा के प्रति मेरे मन में जो गाँठ थी, उसकी विनम्रता देखकर वह खुल गई।
बाँध टूटना:
मेरे सब्र का बाँध टूट गया है, अब तुम नहीं बच सकते।
प्रश्न 15.
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर:
बयार, पाहुन, घाघरा, बाँकी, जुहार, बरस बाद सुधि लीन्हीं, किवार, ओट, हरसाया, परात, भस्म, ढरकना।
प्रश्न 16.
मेघ आए कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शब्द स्तर पर ‘मेघ आए’ कविता की भाषा बड़ी सहज-सरल है। पूरी कविता में केवल तीन ही तत्सम शब्द हैं-दामिनि, मिलन और अश्रु। ये भी प्रचलित और सरल हैं। शेष संपूर्ण कविता में तद्भव देशज शब्दों का प्रयोग हुआ है जैसे
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न 17.
वसंत ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
वसंत-ऋतु के आगमन पर सम्पूर्ण प्रकृति में हरियाली आ जाती है। सब पेड़-पौधे खुशी से झूम जाते हैं। फूल खुशबू बिखरते हैं। तितलियाँ, भँवरे वसंत के आगमन का संदेश देते हैं। धरती का सारा सूखापन, उसकी प्यास मानो बुझ जाती है। प्रकृति जो धूल के कारण धूमिल हो गई थी। अपना मूल रंग खो बैठी थी। वह अपना मूल रंग पाकर हरी-भरी हो जाती है। अपनी जीवन अवस्था में आ जाती है।
प्रश्न 18.
प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
धिन-धिन-धा धमक-धमक
मेघ बजे
दामिनि यह गई दमक
मेघ बजे
दादुर का कंठ खुला
मेघ बजे
धरती का हृदय धुला
मेघ बजे
पंक बना हरिचंदन
मेघ बजे
हल का है अभिनंदन
मेघ बजे
धिन-धिन-धा………….
(क) ‘हल का है अभिनंदन’ में किसके अभिनंदन की बात हो रही है और क्यों?
(ख) प्रस्तुत कविता के आधार पर बताइए कि मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
(ग) ‘पंक बना हरिचंदन’ से क्या आशय है?
(घ) पहली पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
(ङ) ‘मेघ आए’ और ‘मेघ बजे’ किस इंद्रिय बोध की ओर संकेत हैं?
उत्तर:
(क) ‘हल’ का अभिनंदन में कृषक के अभिनंदन की बात हो रही है, क्योंकि मेघ आने पर ही कृषक खेतों में हल जोतते हैं, जिससे खेती हो सके।
(ख) मेघों के आने पर प्रकृति में परिवर्तन आ जाता है पानी भरे मेघ गर्जन करते हैं। दामिनी दमकती है। मेंढक टर्र-टर्र करते हैं। सूखी धरती सिक्त होकर वर्षा का पानी आने में समा लेती है। किसान खेती करने के लिए हल उठाए भागते हैं। सब तरफ मधुर ध्वनी फैल जाती है।
(ग) हरिचंदन का अर्थ होता है पूजा का तिलक। यहाँ वर्षा के पानी से बनी इसको हरिचंदन इसलिए कहा गया है, क्योंकि इसी को अभिषेक कर कृषक खेत जोतने का शुभ-कर्म आरंभ करता है।
(घ) पहली पंक्ति में ‘घिन’ और ‘धमक’ शब्द की पुनरावृत्ति क्रमशः हो रही हैं, अतः यहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
‘धिन-धिन-धा धमक धमक’
यहाँ ‘ध’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार भी है।
(ङ) ‘मेघ आए’ में दृश्य-बिंब तथा ‘मेघ बजे’ में श्रव्य-बिंब हाने के कारण क्रमशः चक्षु और कर्ण इंदियों का बोध होता है।