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NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7

January 13, 2021 by Kishen

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

आपके विचार से

प्रश्न 1. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैआपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
उत्तर :
लेखक द्वारा इस तथ्य को स्वीकार करने के बाद भी कि उसने लोगों से धोखा खाया है, फिर भी वह निराश नहीं है, क्योंकि
(क) लेखक जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखने वाला व्यक्ति है
(ख) वह ठगे जाने या धोखा खाने जैसी घटनाओं का बहुत कम हिसाब रखता है
(ग) उसके हाथ छल-कपट जैसी घटनाएँ हुई हैं, पर विश्वासघात नहीं या बहुत कम हुआ है
(घ) लेखक के साथ ऐसी बहुत-सी घटनाएँ हुई हैं जब लोगों ने अकारण ही उसकी मदद की है

प्रश्न 2. समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविज़न पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया होऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।
उत्तर :
ऐसे दो समाचार जिसमें ईमानदारी तथा बिना लालच के दूसरों के लिए काम किया गया है
1. अड़चनें भी डिगा नहीं पाईं शिक्षिका का हौसला-सहयोगियों का मिला भरपूर सहयोग(नोएडा) जहाँ एक ओर शिक्षा का व्यापार करके लोग रात-दिन अपनी जेब भरने में व्यस्त हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो तमाम अड़चनों के बावजूद मानसिक व शारीरिक रूप से असहाय बच्चों की सेवा करते हुए उनके जीवन में ज्ञान की रोशनी फैला रहे हैंऐसी ही शिक्षिका हैंसलारपुर स्थित बचपन डे केयर की सीमा पांडे।

दिसंबर, 2006 में लखनऊ निदेशालय, विकलांग विभाग की ओर से स्थापित बचपन डे केयर में सीमा ने बतौर शिक्षिका काम शुरू किया थाउस समय वहां एक कोआर्डिनेटर और दो अन्य शिक्षिकाएँ भी कार्यरत थीं लेकिन वर्ष 2007 से फंड की कमी और लखनऊ निदेशालय की ओर से सेंटर को बंद किए जाने के आदेश के बाद धीरे-धीरे अन्य स्टाफ नौकरी छोड़ गया सीमा ने हिम्मत नहीं हारी, मानसिक व शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों के हक को लेकर वे विभागीय अधिकारियों के सामने भी डटकर खड़ी हो गईंतब से वे अकेले ही शिक्षिका व प्रभारी का कार्य संभालते हुए 25 से अधिक बच्चों के जीवन में ज्ञान की ज्योति जला रही हैंयह सीमा और उनके सहयोगियों का साहस ही था कि उनके निरंतर प्रयास से विभाग के डायरेक्टर ए.के. बरनवाल ने 2008-09 तक सेंटर चलाने की लिखित अनुमति दे दीसीमा बताती हैंकि डायरेक्टर के आदेश के आधार पर उन्होंने बैंक में जमा फंड में से सेंटर और वाहन के किराए का भुगतान कर दिया लेकिन कुछ विभागीय अधिकारीफंड होते हुए भी बच्चों पर खर्च किए जाने वाली राशि के आवंटन में रोड़े अटका रहे हैंअब अधिकारियों ने सेंटर बंद कराने का नया दाँव खेला हैपिछले सात महीने से पूरे स्टाफ की तनख्वाह यह कहकर रोकी हुई है कि जो पैसा सेंटर और वाहन के किराए में खर्च हुआ है उसके बदले में तनख्वाह काटी जा रही है।

इसके बावजूद सीमा सहित अन्य स्टाफ पूरी निष्ठा के साथ बच्चों की देखभाल में व्यस्त हैंसीमा का कहना है कि इन बच्चों को पढ़ाने और इनकी देखभाल करने से एक अलग सुकून मिलता है और जितना हो सकेगा, मैं इन बच्चों के लिए प्रयास करूंगी

2. गरीब बच्चों के लिए समर्पित जीवन – नोएडा के सेक्टर-12 में पिछले 19 वर्षों से एक महिला शिक्षक अनाथ व गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हैशिक्षा देने वाली इस महिला ने बच्चों की खातिर अपना घर तक नहीं बसायाहर साल यहाँ पर आने वाले अनाथ बच्चों को साक्षर बनाना उनके जीवन का उद्देश्य बन गया है।

शिक्षक होने के बावजूद भी उनके प्रेम, लगाव और व्यवहार की वजह से ही बच्चे उन्हें ‘माँ’ कहते हैं37 अनाथ बच्चों के इस बसेरे को बसाने वाली और बच्चों को शिक्षा दे रहीं अंजना राजगोपाल ने अभी तक शादी नहीं कीयह प्रेरणा औरों के लिए भी काम कर गई।

आज गरीब और बेसहारा के लिए साईं कृपा की ओर से सेक्टर-41 और सेक्टर-135 में स्कूल चलाया जा रहा है, जिसमें आने वाले सभी 18 शिक्षक बिना किसी पारिश्रमिक के बच्चों को पढ़ा रहे हैंहिंदुस्तान दैनिक 05 सितंबर 2009 दिल्ली संस्करण टिप्पणी-(समाचार 1 हेतु)

इस समाचार को पढ़कर हमारे मन में उन बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है जो किसी कारण से स्कूल नहीं जा पा रहे हैंहमें उनकी शिक्षा हेतु सार्थक कदम ‘विद्यादान महादान’ वाली कहावत चरितार्थ करना चाहिए

टिप्पणी – (समाचार नं 2 हेतु)-इस समाचार पत्र को पढ़कर अंजना राजगोपाल का त्याग एवं समर्पण के प्रति मन श्रद्धानत हो जाता हैहमें भी इस तरह के कार्य करने के लिए आगे आना चाहिए।

प्रश्न 3. लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई हैआप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों
उत्तर :
आज समाचार-पत्रों में नकारात्मक घटनाओं-हिंसा, लूट, मार-पीट आदि की घटनाओं को प्रमुखता से तथा बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता हैइन समाचार-पत्रों में किसी की नि:स्वार्थ भलाई करने की घटनाएँ कभी-कभी ही छपती हैंऐसा नहीं कि समाज में ऐसी घटनाएँ घटती ही नहीं हैऐसी घटनाएँ होती तो हैं, पर वे यदा-कदा ही प्रकाश में आ पाती हैंऐसी ही एक घटना का वर्णन मैं कर रहा हूँ जो सत्य है तथा मेरे आसपास से ही जुड़ी है।

प्रतिभा कब, कहाँ, किस रूप में पैदा हो जाती है, इसका अनुमान लगाना कठिन हैमेरे पिताजी के एक मित्र हैं जो खेती करके अपना गुजारा मुश्किल

से कर पाते हैंउनका बड़ा बेटा शुरू से ही पढ़ाई में बड़ा होनहार हैदसवीं में उसने 90% से अधिक अंक प्राप्त किएग्यारहवीं में विज्ञान विषय से अपनी पढ़ाई शुरू कर दीविज्ञान की पढ़ाई खेती के सहारे पूरी करा पाना संभव न था, फिर भी जैसे-तैसे तथा छात्रवृत्तियों के सहारे उसने बारहवीं की परीक्षा 92% अंकों से उत्तीर्ण कीआई.आई.टी.की परीक्षा के लिए उसने फार्म भर दिया थाउसका चयन भी हो गया, पर उसके पिताजी आई.आई.टी. की फीस देने में सर्वथा असमर्थ थेबच्चे के भविष्य का सवाल थामेरे पिताजी ने अपने एक एन.आर.आई. मित्र से फोन पर इस बारे में बात कीसारी बातें जानकर उन्होंने आई.आई.टी.का सारा खर्च उठाने की जिम्मेदारी लेते हुए एक लाख रुपये पिताजी के पास भेज दिये, जिसे लेकर पिताजी उसका प्रवेश दिलाने चले गएसंयोग की बात है कि उसका साढे चार साल का पाठ्यक्रम पूरा होने से पहले ही अमरीका की एक कंपनी ने अच्छा वेतन देते हुए उसका चयन कर लियाआज वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर है किंतु अपने घरवालों के साथ पिताजी और उनके मित्र के इस भलाई के कार्य हेतु कृतज्ञतापूर्वक याद करता है।

पर्दाफ़ाश

प्रश्न 1. दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उत्तर :
दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले लेता है जब उसका उद्देश्य केवल आलोचना करते हुए मजाक उड़ाना ही रह गया होइस पर्दाफ़ाश के पीछे किसी के दोष को सुधारने का उद्देश्य न होकर उसकी बदनामी कराना होइसके अलावा इस पर्दाफ़ाश के पीछे किसी की भलाई का लक्ष्य न हो, किसी संस्था या प्रतिष्ठान को बदनाम करना हो, सत्यता को बिना जाने-समझे लोगों के सामने लाना, अपनी निजी वैमनस्यता या बदला लेने की भावना हो तथा स्वयं की महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति करने की इच्छा हो तथा अपने चैनल आदि की प्रसिधि बढ़ानी हो

प्रश्न 2. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफाश कर रहे हैंइस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
उत्तर :
आजकल बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल दोषों का पर्दाफाश कर रहे हैंइस तरह के कार्यक्रमों की सार्थकता है क्योंकि इनको पढ़कर या देखकर व्यक्ति जागरूक हो जाएँवे अपराधियों या दोषियों से बच सकें तथा अपने आसपास घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने देंइन कार्यक्रमों की सार्थकता तभी है जब इन पर्दाफाश करने वाले कार्यक्रमों के पीछे सच्चाई, ईमानदारी तथा जनकल्याण की भावना छिपी होयदि इनके पीछे स्वार्थ, धनोपार्जन या चैनलों की प्रसिधि बढ़ाने की लालसा छिपी हो तो इन कार्यक्रमों की कोई सार्थकता नहीं है।

कारण बताइए

प्रश्न 1. निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे – “ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।” परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा

  1. “सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।” ………………..
  2. “झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।” ………………..
  3. “हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।” ………………..

उत्तर :

  1. परिणाम-लोगों की सच्चाई में आस्था नहीं रह जाएगीचारों ओर झूठ का बोलबाला होगा
  2. परिणाम-ईमानदारी लुप्त होती जाएगी तथा भ्रष्टाचार बढ़ेगा
  3. परिणाम-लोग एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करेंगेसच्चे व्यक्ति पर भी विश्वास करना कठिन हो जाएगा

दो लेखक और बस यात्रा।

आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ाइससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैंयदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए
उत्तर :
दो लेखक और बस यात्रा-इससे पहले पाठ में लेखक हरिशंकर परसाई द्वारा अपनी बस यात्रा का वर्णन किया गया हैजिसमें बस खराब होने के कारण वे समय पर गंतव्य तक पहुँचने की आशा छोड़ देते हैंइस पाठ में लेखक यात्रा करते हुए कुछ नया एवं अलग अनुभव करता हैये दोनों लेखक जब मिलते तो कुछ इस तरह बातचीत करते

हरि – नमस्कार भाई हजारी, कहो कैसे हो?
हजारी – नमस्कार मैं तो ठीक हूँ, पर तुम अपनी सुनाओकुछ सुस्त से दिखाई दे रहे होक्या बात है?
हरि – भाई क्या बताऊँ, परसों मैंने ऐसी बस से यात्रा की जिसे मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगाउसकी थकान अब तक नहीं उतरी है
हजारी – क्या उस बस में सामान रखने की जगह नहीं थी या सामान ज्यादा था जिसे लेकर तुम बैठे रहे?
हरि – यार मेरे पास सामान तो था ही नहींवह बस बिल्कुल टूटी-फूटी, खटारा थीवह किसी बुढ़िया जैसी कमजोर तथा जर्जर हो रही थी
हजारी – टूटी-फूटी बस से थकान कैसी? तुम तो सीट पर बैठे थे न
हरि – मैं तो सीट पर बैठा था पर जब बस स्टार्ट हुई और चलने लगी तो पूरी बस बुरी तरह हिल रही थीलगता था कि हम इंजन पर बैठे हैंबस का खिड़कियों के काँच टूटे थेजो बचे थे वे भी गिरकर यात्रियों को चोटिल कर सकते थेमैं तो खिड़की से दूर बैठ गयाआठ-दस मील चलते ही हम टूटी सीटों के अंदर थेपता नहीं लग रहा था कि हम सीट पर हैं या सीटें हमारे ऊपर
हजारी – क्या तुम अपने गंतव्य पर समय से पहुँच गए थे?
हरि – ऐसी बस से भला समय पर गंतव्य तक कैसे पहुँचा जा सकता हैबस रास्ते में दसों बार खराब हुईउसकी लाइट भी खराब हो गई थीमैंने तो यह सोच लिया था कि जिंदगी ही इसी बस में बीत जाएगीमैंने तो गंतव्य पर पहुँचने की आशा छोड़कर आराम से मित्रों के साथ गपशप करने लगातुम अपनी सुनाओ बड़े खुश दिखाई दे रहे हो क्या बात है?
हजारी – मित्र मैंने भी तो कल बस की यात्रा की थी, और मेरी भी यात्री अविस्मरणीय है, पर तुम्हारी यात्रा से अलग है
हरि – कैसे?
हजारी – मैं बस में अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ यात्रा कर रहा था कि एक सुनसान जगह पर हमारी बस खराब हो गई
हरि – सुनसान जगह पर क्या बस को लुटेरों ने लूट लिया?
हजारी – नहीं हमारे बस का कंडक्टर एक साइकिल लेकर चलता बना
हरि – चलता बनी कहाँ चला गया वह? कहीं वह लुटेरों से तो नहीं मिलाथा?
हजारी – मित्र सभी यात्री ऐसा ही सोच रहे थेकुछ नौजवानों ने ड्राइवर को अलग ले जाकर बंधक बना लिया कि यदि लुटेरे आते हैं तो पहले इसे ही मार दें
हरि – फिर क्या हुआ? क्या लुटरे आ गए?
हजारी – नहीं लुटरे तो नहीं आए, पर कंडक्टर दूसरी बस लेकर आयासाथ में मेरे बच्चों के लिए दूध और पानी भी लायाउस बस से हम सभी बारह बजे से पहले ही बस अड्डे पहुँच गए
हरि – बहुत अच्छा कंडक्टर था वह तोऐसे कंडक्टर कम ही मिलते हैंपर उस ड्राइवर का क्या हुआ?
हजारी – हम सभी ने कंडक्टर को धन्यवाद दिया और ड्राइवर से माफी माँगीहमने उसे समझने में भूल कर दी थी
हरि – मित्र हम सभी इंसान हैंजाने-अनजाने में हमसे भी गलतियाँ हो जाती हैंहमें सभी को अविश्वास की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए
हजारी – मित्र यह हमारा दोष नहीं हैसमाज में गिरते मानवीय मूल्यों का परिणाम है यहहर किसी को अविश्वास की दृष्टि से देखा जाने लगा है
हरि – अच्छा, अब मैं चलता हूँफिर मिलेंगे, नमस्कार।
हजारी – नमस्कार

सार्थक शीर्षक

प्रश्न 1. लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
उत्तर :
लेखक ने इस लेख का शीर्षक क्या निराश हुआ जाए’ इसलिए रखा होगा क्योंकि आज हिंसा, भ्रष्टाचार, तस्करी, चोरी, डकैती, घटते मानवीय मूल्य से जो माहौल बन गया है उसमें आदमी का निराश होना स्वाभाविक हैऐसे माहौल में भी लेखक निराश नहीं है, तथा वह चाहता है कि दूसरे भी निराश न हों, इसलिए उनसे ही पूछना चाहता है कि क्या निराश हुआ जाए? अर्थात् निराश होने की आवश्यकता नहीं हैइसका अन्य शीर्षक ‘होगा नया सवेरा’, या, “बनो आशावादी’ भी हो सकता

प्रश्न 2. यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए।-,?.;-, …।
उत्तर :
‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद मैं प्रश्नवाचक चिह्न (?) लगाऊँगा क्योंकि लेखक समाज से ही पूछना चाहता है कि क्या निराश का वातावरण पूरी तरह बन गया हैयदि लोगों का जवाब हाँ होगा तो वह उन्हें निराशा त्यागने की सलाह देगा।

प्रश्न 3. “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत ही कठिन है। इस बात से मैं पूर्णतया सहमत हूँ। जैसे हम कहते हैं कि ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। आखिर कितने लोग इसका पालन करते हैं? जरा सा अधिकार मिलते ही व्यक्ति भाई-भतीजावाद या ‘अंधा बांटे रेवड़ी पुनि-पुनि अपने को देय’ की नीति अपनाने लगते हैं। हाँ, जिनके हाथ में कुछ नहीं होता। वे ईमानदारी का राग जरूर अलापते हैं। वास्तव में ईमानदारी का पालन करते समय हमारी स्वार्थपूर्ण मनोवृत्ति सामने या आड़े आ जाती है।

सपनों का भारत
“हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।”
प्रश्न 1. आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।
उत्तर :
मेरे विचार में हमारे मनीषियों ने उस भारत का सपना देखा था, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि विभिन्न धर्मों एवं मतों को मानने वाले मिलजुलकर रहें। उनके बीच आपसी सौहार्द्र हो। वे एक दूसरे से भाईचारा, प्रेम तथा बंधुत्व बनाए रखें। भारत प्राचीन काल में विश्व के लिए आदर्श था, वह भविष्य में भी अपना आदर्श रूप बनाए रखे। लोग भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को अपनाएँ तथा इसे बनाए रखें।

प्रश्न 2. आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।
उत्तर :
‘मैं चाहता हूँ कि मेरे सपनों के भारत में सभी स्वस्थ, निरोग, शिक्षित, संपन्न तथा ईमानदार हों। वे जाति, धर्म, प्रांत, संप्रदाय आदि की भावना से ऊपर उठकर एक दूसरे के साथ प्रेम तथा सद्भाव से रहें यहाँ भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बेकारी, गरीबी तथा अशिक्षा का नामोंनिशान न हो। इस देश को आतंकवाद सांप्रदायिकता से मुक्ति मिले। देश में विज्ञान, कृषि, उद्योग धंधों का विकास हो देश आत्मनिर्भर तथा समृद्ध हो यहाँ ज्ञान-विज्ञान की इतनी उन्नति हो कि भारत पुन: विश्वगुरु बन जाए।

भाषा की बात

प्रश्न 1. दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक दूसरे में वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम-परम, भीरु-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।

‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। दुवंद्व समास के बारह उदाहरण हूँढ़कर लिखिए।

उत्तर :
पाठ से द्वंद्व समास के बारह उदाहरण

  • आरोप-प्रत्यारोप
  • कायदे-कानून
  • काम-क्रोध
  • दया-माया
  • लोभ-मोह
  • सुख-सुविधा
  • झूठ-फरेब
  • मारने-पीटने
  • गुण-दोष
  • लेन-देन
  • भोजन-पानी
  • सच्चाई-ईमानदारी

प्रश्न 2. पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर :
पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 6

January 13, 2021 by Kishen

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 6 भगवान के डाकिए

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

कविता से

प्रश्न 1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए बताया गया है क्योंकि
(क) पक्षी और बादल वह चिट्ठियाँ लाते हैं, जिसमें भगवान द्वारा भेजा गया संदेश होता है।
(ख) ये इंसानी डाकियों के विपरीत मनुष्य द्वारा बनाई सीमा में बँधकर काम नहीं करते हैं।
(ग) इनकी लाई चिट्ठियों को मनुष्य नहीं पढ़ पाता है। इन चिट्ठियाँ को पेड़, पर्वत, पौधे, पानी तथा पहाड़ पढ़ते हैं।
(घ) इनमें निहित संदेश किसी व्यक्ति विशेष के लिए न होकर सारे संसार के लिए होता है। दूसरे शब्दों में ये विश्वबंधुत्व को संदेश फैलाते हैं।

प्रश्न 2. पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।
उत्तर :
पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को मनुष्य नहीं पढ़ पाते हैं। इन चिट्ठियों को प्रकृति के विभिन्न अंग पेड़, पौधे, पहाड़, पानी आदि पढ़ पाते हैं।

प्रश्न 3. किन पंक्तियों का भाव है
(क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर :

(क)
पक्षी और बादल, 
ये भगवान के डाकिए हैं, 
जो एक महादेश से 
दूसरे महादेश को जाते हैं। 
हम तो समझ नहीं पाते हैं। 
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ 
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ 
बाँचते हैं।

(ख)

एक देश की धरती दूसरे 
देश को सुंगध भेजती है। 
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए 
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है। 
और एक देश का भाप 
दूसरे देश में पानी 
बनकर गिरता है।

प्रश्न 4. पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
उत्तर :
पक्षी और बादल की लाई चिट्ठियों में पौधे, पेड़, पानी और पहाड़ यह पढ़ पाते हैं कि प्रकृति में उनके आस-पास जो सौरभ उड़ रहा है तथा जल जो वाष्प रूप में चारों ओर विद्यमान है, उसे दूर-दूर तक पहुँचाना है। इस काम का प्रसार दूर-दूर तक अन्य देशों में भी चाहिए। इस कार्य को बिना किसी भेदभाव के स्वच्छंदतापूर्वक संपन्न करना है।

प्रश्न 5. “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है”-कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है’ पंक्ति का भाव यह है कि धरती के लिए इसे पृथ्वी के सभी मनुष्य एक समान हैं। वे कहीं के भी वासी क्यों न हो। प्रकृति (धरती) स्थान का भेदभाव किए बिना अपने-पराए की भावना से ऊपर उठकर सुगंध भेजती है। इस सुगंध में प्रेम, एकता, सद्भाव तथा समानता का संदेश छिपा होता है।

पाठ से आगे

प्रश्न 1. पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
उत्तर :
पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम प्रेम, एकता, समानता और सद्भाव के आदान-प्रदान के रूप में देखते हैं। इन चिट्ठियों में भगवान द्वारा भेजा गया संदेश छिपा होता है, जिसे हम समझ पाने में असमर्थ होते हैं। भगवान का यह संदेश किसी जाति, धर्म, संप्रदाय, स्थान विशेष पर रहने वालों के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के लोगों के लिए होता है।

प्रश्न 2. आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर :
पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों में भगवान द्वारा भेजा गया संदेश होता है, क्योंकि ये चिट्ठियाँ भगवान की होती हैं। इन चिट्ठियों को मनुष्य नहीं पढ़ पाता है। इनको प्रकृति के विभिन्न अंग पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। इन चिट्ठियों में निहित संदेश किसी व्यक्ति या स्थान विशेष पर रहने वालों के लिए नहीं होता है। सामान्यतया इनमें विश्वबंधुत्व, प्रेम, सद्भाव तथा एकता का संदेश निहित होता है। इसके विपरीत इंटरनेट वर्तमान में प्रचलित संचार के साधनों में प्रमुख है। यह विज्ञान की अद्भुत खोज है। जिसकी मदद से संदेश भेजा तथा प्राप्त किया जा सकता है। इससे व्यक्ति अपने जान-पहचान वालों को जब चाहे, जहाँ चाहे संदेशों का आदान-प्रदान कर सकता है। ये संदेश नितांत निजी होते हैं, जिन्हें आसानी से पढ़ा जा सकता है। इससे संदेशों का आदान-प्रदान तुरंत हो जाता है।

प्रश्न 3. हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
उत्तर :
डाकिया वह सरकारी कर्मचारी होता है जिसका हमारे जीवन से घनिष्ठ संबंध होता है। वह पत्र, मनीऑर्डर आदि हम तक पहुँचाता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है। डाकिए का महत्त्व आज के दौर में और भी बढ़ जाता है। जब संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, और लोग अपनी रोटी-रोजी के लिए दूरदराज शहरों में बस रहे हैं। वह हमारे प्रियजनों, निकट संबंधियों की सभी खबरें लाता है जो कभी तो मनुष्य को खुशी से भर देती हैं तो कभी गम के सागर में डुबो देती हैं हमारी अर्थव्यवस्था में मनीऑर्डर के महत्त्व को ग्रामीण लोगों से बेहतर भला कौन समझ सकता है। दूरदराज तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मनीऑर्डर हेतु डाकिए की राह देखी जाती है कि कब वह ‘देवदूत’ आए और घरों का चूल्हा जले। इसके अलावा वे अपनी अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी डाकिए का इंतजार करते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि डाकिए का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. डाकिया इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू: www) तथा पक्षी और बादल-इस तीनों संदेश वाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। ‘चिट्ठियों की अनूठी दुनिया’ पाठ का सहयोग ले सकते
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5

January 13, 2021 by Kishen

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

पाठ से

प्रश्न 1. पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता ?
उत्तर :
पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश नहीं दे सकता है क्योंकि
(क) पत्रों का आकार बड़ा तथा उनका अस्तित्व स्थाई होता है, जिन्हें भविष्य के लिए संभालकर रखा जा सकता है
(ख) पत्रों में आत्मीयता, प्रेम तथा गहरा लगाव समायी रहता है
(ग) पत्रों को संग्रहित कर पुस्तक का आकार दिया जा सकता है जबकि एसएमएस को नहीं
(घ) पत्र संदेश भेजने का सस्ता साधन है जबकि एसएमएस महँगा साधन है
(ङ) पत्र पाने वाले के पास कोई साधन होना आवश्यक नहीं है पर एसएमएस पाने के लिए मोबाइल फोन होना आवश्यक होता है

प्रश्न 2. पत्र को खत, कागद, उत्तरम्, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता हैइन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए
उत्तर :
पत्र को विभिन्न भाषाओं में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है, जो निम्नलिखित

पत्र के विभिन्न नाम           भाषा
पत्र                                 संस्कृत
कागद                             कन्नड़
कडिद                             तमिल
खत                                  उर्दू
उत्तरम्, जाबू, लेख              तेलुगु

प्रश्न 3. पत्र-लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए ? लिखिए
उत्तर :
पत्र-लेखन की कला का विकास हो इसके लिए स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र लेखन को विषय के रूप में शामिल किया गयाभारत के अलावा अन्य देशों तथा विश्व डाक संघ की ओर से पत्र-लेखन को बढ़ावा दिया गयाइसके अलावा विश्व डाक संघ ने 1972 से 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पत्र-लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम शुरू किया

प्रश्न 4. पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं ? तर्क सहित अपना विचार लिखिए
उत्तर :
पत्र लिखित रूप में होते हैंइन्हें भविष्य के लिए सँभालकर रखा जा सकता हैउपयोगी एवं शिक्षाप्रद पत्रों को पुस्तक के रूप में रखा जा सकता हैमहान हस्तियों के पत्र संग्रहालय एवं पुस्तकालयों से प्राप्त किया जा सकता हैएसएमएस संक्षिप्त तथा मोबाइल फोन पर होते हैंउन्हें सहेजकर भविष्य के लिए रखना संभव नहीं है

प्रश्न 5. क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं ?
उत्तर :
संचार के बढ़ते साधनों-फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल आदि का प्रचार-प्रसार तथा लोकप्रियता बढ़ती जा रही हैलोग अपनी सुविधानुसार उनका प्रयोग भी करते हैं और इनसे पत्रों की संख्या में कमी आई है पर ये साधन पत्र का स्थान कभी भी नहीं ले सकते हैंव्यापारिक तथा विभागीय कार्यों को पत्रों के माध्यम से किया जाता था, किया जाता है और किया जाता रहेगाइसके अलावा पत्रों से जो आत्मीयता, प्रेम तथा लगाव मिल जाता हैवह संचार के इन साधनों द्वारा नहीं मिल सकती है।

पाठ से आगे

प्रश्न 1. किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफाफे पर सही पता लिखकर पत्र बेरंग भेजने पर कौन-सी कठिनाई आ सकती है? पता कीजिए
उत्तर :
बिना टिकट के यदि पत्र भेज दिया जाए तो निम्नलिखित कठिनाइयाँ आ सकती हैं
(क) संभवत: पत्र गंतव्य तक पहुचे ही न।
(ख) प्राप्तकर्ता को निश्चित टिकट के मूल्य का दूना दाम चुकाना पड़ सकता है
(ग) प्राप्तकर्ता के पास उस समय पैसे न होने पर अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है
(घ) पत्र के लिए उचित राशि न दिए जाने पर पत्र वापस आ सकता है और हमारा संदेश बिना पहुँचे रह जाएगा

प्रश्न 2. पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे?
उत्तर :
सुनने में संक्षिप्त-सा लगने वाला पिन कोड शब्द का पूरा नाम ‘पोस्टल इन्डेक्स नंबर’ हैयह छ: अंकों का होता हैइसके हर अंक अपने में कुछन-कुछ छिपाए हुए हैंइसका पहला अंक राज्य को, अगले दो अंक उपक्षेत्र को तथा अंतिम तीन अंक संबंधित डाकघर को सूचित करते हैं इस आधार पर कह सकते हैं कि पिन कोड संख्याओं के रूप में लिखा गया एक पता ही होता है।

प्रश्न 3. ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गांधी इंडिया’ पता लिखकर आते थे ?
उत्तर :
महात्मा गांधी भारत में ही नहीं, विश्व के चर्चित व्यक्ति थेहालाँकि भारत में वे सर्वाधिक लोकप्रिय थेवे देश में कहाँ होते थे, लोगों को पता होता थावास्तव में वे कहीं भी रहें, पत्र उन तक पहुँचा दिया जाता था और उन्हें मिल जाता था वे किसी एक परिवार या स्थान के न होकर पूरे भारत के प्रतिनिधि थे, इसलिए महात्मा गांधी-इंडिया पता लिखकर उन्हें पत्र भेजा जाता था

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘ भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्यपुस्तक में हैउसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए
उत्तर :
मनुष्य जिज्ञासु प्राणी हैवह अपनों के बारे में जानने को इच्छुक रहता हैउसकी इसी इच्छा के फलस्वरूप शायद पत्र अस्तित्व में आए होंगेपत्रों के आदान-प्रदान का यह सिलसिला कबूतरों से शुरू होकर आज मोबाइल, फैक्स तथा ई-मेल तक पहुँच गया हैयद्यपि संचार के इन आधुनिकतम साधनों ने पत्रों की आवाजाही को प्रभावित भी किया है, परंतु इन सबके बाद भी पत्र अपना अस्तित्व बनाए हुए है और वह लोकप्रिय भी हैग्रामीणजीवन में पत्रों की गहरी पैठ हैवहाँ की अनेक क्रियाएँ डाक विभाग की मदद से ही चलती हैंवहाँ डाकिए को देवदूत के रूप में देखा जाता हैइसी प्रकार पक्षी और बादल भी डाकिए हैं, पर ये भगवान के डाकिए हैंये भगवान के संदेश को हम तक पहुँचाते हैंइन प्राकृतिक डाकियों की लाई चिट्ठियों को हम भले न पढ़ पाएँ पर उनमें प्रेम, सद्भाव और विश्वबंधुत्व का संदेश छिपा होता हैये प्राकृतिक डाकिए किसी स्थान विशेष की सीमा में बँधकर काम नहीं करते हैंये डाकिए लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं करते हैं और सबको समान रूप से लाभान्वित करते हैं

प्रश्न 2. संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास ने बादल को संदेशवाहक बनाकर ‘मेघदूत’ नाम का काव्य लिखा है’मेघदूत’ के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए
उत्तर :
मेघदूत विश्व प्रसिद्ध कवि एवं नाटककार कालिदास की रचना हैयह काव्य संस्कृत भाषा में रचित हैइसका कथ्य इस प्रकार हैकुबेर अलकापुरी नरेश थे, जिनके दरबार में अनेक यक्ष रहते थेये यक्ष कुबेर की सेवा किया करते थेइन्हीं यक्षों में एक यक्ष की नई-नई शादी हुई थीवह अपनी पत्नी को बहुत चाहता थावह अपनी नवविवाहिता पत्नी की यादों में खोया रहता तथा राजदरबार के कार्य में प्रमाद दिखाता थाकुबेर को यह अच्छा नहीं लगा और उन्होंने उसे अपनी नवविवाहिता पत्नी से अलग रामगिरि पर्वत पर रहने का श्राप दे दियाश्रापित यक्ष रामगिरि पर्वत पर रहने लगासमय बीतने के साथ ही वर्षा ऋतु का आगमन हुआ और आकाश में उमड़ते, घुमड़ते काले बादलों को देखकर यक्ष अपनी पत्नी के विरह से विकल हो उठता हैवह जड़-चेतन का भेद भूलकर इन्हीं काले बादलों अर्थात् मेघ को दूत बनाकर अपनी पत्नी के पास भेजता हैवह मेघ को रास्ता, रास्ते में पड़ने वाले विशिष्ट स्थान तथा मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को समझाता हैकुबेर से यक्ष की विरह व्यथा नहीं देखी जाती हैवह यक्ष को श्रापमुक्त कर देते हैंयक्ष खुशी-खुशी अपनी पत्नी के साथ अलकापुरी में रहने लगाइसी कथा का ‘मेघदूत’ नामक काव्य में सुंदर वर्णन है।

प्रश्न 3. पक्षी को संदेशवाहक बनाकर अनेक कविताएँ एवं गीत लिखे गए हैंएक गीत है-‘जा-जा रे कागा विदेशवा, मेरे पिया से कहियो संदेशवा’इस तरह के तीन गीतों का संग्रह कीजिएप्रशिक्षित पक्षी के गले में पत्र बाँधकर निर्धारित स्थान तक पत्र भेजने का उल्लेख मिलता हैमान लीजिए आपको एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना हो तो आप वह पत्र किसे भेजना चाहेंगे और उसमें क्या लिखना चाहेंगे
उत्तर :
प्रश्न के आधार पर तीन गीतों का संग्रह

  • जारे कारे बदरा, बलमू के पास, वो हैं ऐसे बुद्धू न समझे ये प्यार
  • कबूतर जा, जा, जा पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आ
  • उड़ जा काले कागा, तेरे मुँह बिच खंड पावा

यदि मुझे किसी पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना पड़े तो मैं यह पत्र ‘ईश्वर’ को भेजना चाहँगाइस पत्र में मैं लिखेंगा कि हे ईश्वर लोगों को ऐसी सुबुधि प्रदान करें; जिससे सर्वत्र प्रेम, सद्भाव, त्याग जैसे मानवीय गुणों का विकास हो तथा घृणा, छुआछूत, ऊँच-नीच आदि की भावना समाप्त हो जाए

प्रश्न 4. केवल पढ़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता ‘चिट्ठियाँ’ को ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिए कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों के बारे में है ? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट हैपत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बाक्स की भाँति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं ? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार-विमर्श कीजिए
उत्तर :
इस विषय पर छात्र स्वयं विचार-विमर्श करें

भाषा की बात

प्रश्न 1. किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैसे-प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र आप भ पत्र के योग से बननेवाले दस शब्द लिखिए
उत्तर :
पत्र जोड़ने से बनने वाले दस शब्द निम्नलिखित हैं

  • प्रमाण पत्र
  • संधि पत्र
  • मान पत्र
  • प्रेम पत्र
  • प्रार्थना पत्र
  • आवेदन पत्र
  • बधाई पत्र
  • त्याग पत्र
  • निमंत्रण पत्र
  • शिकायती पत्र

प्रश्न 2. व्यापारिक’ शब्द व्यापार के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना हैइक प्रत्यय के योग से बननेवाले शब्दों को अपनी पाठ्यपुस्तक से खोजकर लिखिए
उत्तर :
पाठ्यपुस्तक से खोजे गए ‘इक’ प्रत्यय युक्त शब्द
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया 1

प्रश्न 3.
 दो स्वरों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं, जैसे-रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुआ है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं-दीर्घ, गुण, वृधि और यण।। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे-संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा।
इस प्रकार के कम-से-कम दो उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका शिक्षक को दिखाइए।
उत्तर :
संधि के चार प्रकार और उनके उदाहरण
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया 2

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 3

January 13, 2021 by Kishen

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 3 बस की यात्रा

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

कारण बताएँ
1. “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।”

• लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?

उत्तर :
लेखक के मन में कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए इसलिए श्रद्धा जाग गई क्योंकि
(क) कंपनी का हिस्सेदार थोड़े से पैसों के लिए अपनी तथा यात्रियों की जान की परवाह नहीं कर रहा था
(ख) वह घिसे टायर लगाकर बस चलवा रहा था और जान जोखिम में डालकर यह काम कर रहा था
(ग) अपनी उत्सर्ग की भावना का परिचय वह कुछ ही रुपयों के बदले दे रहा था
(घ) उनके साहस और बलिदान की भावना को देखते हुए उन्हें किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए

2. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते

• लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

उत्तर :
लोगों ने लेखक को यह सलाहे इसलिए दी क्योंकि वे बस की दयनीय दशा से भली-भाँति परिचित थेउन्हें यह भी पता था कि यह बस कहाँ खराब हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता हैयह जीर्ण-शीर्ण हैइसके खराब होने पर ठीक होने की संभावना भी कम हैयात्रा के बीच में कहाँ रुककर सारी रात बितानी पड़े, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है

3. “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”

• लेखक को ऐसा क्यों लगा?

उत्तर :
लेखक को ऐसा इसलिए लगा, क्योंकि स्टार्ट होने पर बस के इंजन में ही कंपन होना चाहिए था, पर यहाँ तो सारी बस ही बुरी तरह खड़-खड़ करती हुई हिलने लगीपूरी बस में तेज कंपन होने लगाखिड़कियों के काँच पूरे शोर के साथ हिलने लगेलेखक की सीट भी इस कंपन से काँप रही थीइससे लेखक तथा उसके साथी भी हिलने लगे थे।

4. “गज़ब हो गयाऐसी बस अपने आप चलती है।”

• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर :
ऐसी बस अपने आप चलती है, यह बात सुनकर लेखक को इसलिए हैरानी हुई क्योंकि वह सोच रहा था, ऐसी खटारा बस चलने के योग्य तो है ही नहींउसकी जर्जर अवस्था देखकर वह विश्वास ही नहीं कर पाता था कि यह बस बिना धक्का दिए चलती होगी, पर कंपनी का भागीदार इसे अपने-आप चलने की बात कर रहा था, जिसे सुनकर लेखक हैरान था

5. “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।”

• लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?

उत्तर :
लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन इसलिए समझ रहा था क्योंकि बस के एक-एक पुरजे खराब हो रहे थे और बस बार-बार रुक रही थीबस से उसका विश्वास उठ चुका थाउसे लग रहा था कि बस की ब्रेक फेल हो सकती है, स्टेयरिंग टूट सकता है और बस अनियंत्रित होकर सड़क के किनारे के पेड़ों से टकरा सकती है

पाठ से आगे

1. ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए
उत्तर :
सविनय अवज्ञा आंदोलन महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सन् 1930 में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध शुरू किया गयाउस समय भारतीय समाज गरीबी में दिन बिता रहा थालोगों को मुश्किल से दो जून की रोटी नसीब हो रही थीवे मुश्किल से नमक-रोटी खाकर गुजारा कर रहे थेअंग्रेजों ने नमक पर भी टैक्स लगा दियाइससे नाराज गांधीजी ने नमक बनाकर कानून भंग कियासविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित उद्देश्य थे
(क) भारतीय किसान व्यावसायिक खेती करने पर विवश थेव्यापार में मंदी और गिरती कीमतों के कारण वे बहुत परेशान थे
(ख) उनको आय कम होती जा रही थी और वे लगान का भुगतान नहीं कर पा रहे थे।
(ग) ब्रिटिश सरकार के शोषण के विरुद्ध इसे हथियार बनाया गया

2. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए
उत्तर :
सविनय अवज्ञा का उपयोग लेखक ने बस की जीर्ण-शीर्ण तथा खटारा दशा होने के बावजूद उसके चलने या चलाए जाने के संदर्भ में किया हैयह आंदोलन 1930 में अंग्रेजी सरकार की आज्ञा न मानने के लिए किया गया था12 मार्च 1930 को डांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा गयाअंग्रेजों की दमनपूर्ण नीति के खिलाफ भारतीय जनता विनयपूर्वक संघर्ष के लिए आगे बढ़ती रही, यह खटारा बस भी जर्जर होने के बावजूद चलती जा रही थी

3. आप अपनी किसी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए
उत्तर :
पिछली गर्मी की छुट्टियों की बात हैमुझे अपने मित्र के बड़े भाई की शादी में लखनऊ जाना थानियत तिथि पर जाने के लिए मैंने टिकट आरक्षण करवा लिया दुरभाग्य से उस दिन किसी कारण से दिल्ली-वाराणसी समर स्पेशल निरस्त कर दी गईमजबूरन मुझे बस अड्डे जाना पड़ावहाँ दो घंटे से पहले कोई बस न थीशाम के आठ बज चुके थेतभी एक व्यक्ति ‘लखनऊ चलो ए.सी. बस से लखनऊ चलो’ की आवाज लगाता आयामैंने जैसे ही उससे कुछ पूछना चाहा, उसके साथी मेरा सामान उठाकर बस की ओर चल पडेबस थोड़ी दूर बाहर खड़ी थीमेरे जैसी उसमें सात-आठ सवारियाँ और भी थींबस कंडक्टर ने अपने साथियों को और सवारी लाने भेज दियायात्रियों द्वारा शोर करने पर बस रात बारह बजे चलीए.सी. चलाने के लिए कहने पर कंडक्टर ने बताया कि ए.सी. अभी-अभी खराब हुआ हैगाजियाबाद से आगे जाते ही ड्राइवर ने बस एक होटल पर रोक दीड्राइवर-कंडक्टर के मुफ्त में खाए भोजन का खर्च हमें देना पड़ाखैर अलीगढ़ से चलने के पंद्रह मिनट बाद ही चार नवयुवकों ने हाथ में चाकू निकाल लिए और यात्रियों से नकदी व सामान देने को कहाघबराए यात्रियों ने उनके आदेशों का पालन किया और वैसा ही करने लगे जैसा नवयुवकों ने कहा थाइसी बीच किसी लोकल यात्री ने सामान निकालने के बहाने बस का नंबर बताकर अलीगढ़ के डी.एस.पी. को फोन पर मैसेज भेज दिया, जो उसके रिश्तेदार थेलुटेरे बेफिक्री से अपना काम कर रहे थे कि आधे घंटे बाद सामने से आती पुलिस की गाड़ियों ने बस को रुकवा लिया और लुटेरों के भागने से पहले धर दबोचासब अपने-अपने सामान एवं नकदी पाकर बहुत प्रसन्न हुएमैसेज भेजने वाले व्यक्ति का साहस पूर्ण कार्य तथा उसका फोटो अगले दिन लखनऊ से प्रकाशित समाचार-पत्रों में प्रकाशित हुआखैर इस घटना के बाद बस सकुशल लखनऊ पहुँच गईमैं तीसरे दिन लखनऊ मेल से दिल्ली वापस आ गयाआज भी हम उस व्यक्ति को मन-ही-मन धन्यवाद देते हैं।

मन बहलाना

1. अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए
उत्तर :
बस यदि जीवित प्राणी होती तो अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को कुछ इस तरह कहती
मैं एक पुरानी तथा जीर्ण-शीर्ण बस हूँआज से करीब तीस साल पहले मैं भी नई-नवेली, जवान तथा सुंदर थीमेरा ड्राइवर मुझे फूल-मालाओं से सजाता।मेरी सीट पर बैठने से पहले वह मेरे पैर छूता जरा भी गंदगी अंदर-बाहर दिख जाने पर कंडक्टर को डाँटता, पर आज लगता है कि यह सब सपने की बातें हैंआज मैं वृद्धा अवस्था में पहुँच गई हूँ तब से अब तक कई ड्राइवर तथा कंडक्टर बदल गए हैंइस समय जो ड्राइवर है, वह मेरा ध्यान नहीं रखता हैमेरी साफ-सफाई किए बिना ही मुझ पर सवार हो जाता हैशाम को मेरी सीटों पर बैठकर भोजन करता है और मुझे गंदा करके छोड़ जाता हैविश्वकर्मा पूजा के दिन के अलावा अब कभी मेरे ऊपर फूल माला नहीं चढ़ाई जाती हैमेरा चलने को मन नहीं होता है पर यह धक्के दे-देकर मुझे जबरदस्ती चलवाता हैसवारियाँ इतनी लाद लेता है कि मेरा अंग-अंग टूटने लगता है और लगता है कि अब दम निकल ही जाएमेरी आँखें खराब हो चुकी हैं तथा हाथ-पैर जवाब दे रहे हैं, पर मेरा ड्राइवर इन बातों से अनभिज्ञ है क्योंकि उसे पैसे कमाना है

भाषा की बात

1. बस, वश, बस तीन शब्द हैं-इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगामेरे वश में नहीं हैअब बस करो।

• उपर्युक्त वाक्यों के समान तीनों शब्दों से युक्त दो-दो वाक्य बनाइए

उत्तर :
तीनों शब्दों से बने दो-दो वाक्य निम्नलिखित हैं
बस – (सवारी के अर्थ में)
(क) मेरे पास पैसे कम हैं, इसलिए बस से जाऊँगा।
(ख) बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर लेना ही ठीक रहेगा

वश – (अधीनता के अर्थ में)
(क) इस व्यक्ति को हराना आपके वश का नहीं है
(ख) भारत को हराना श्रीलंका के वश में नहीं है।

बस – (सिर्फ / मात्र के अर्थ में)
(क) बस अब खाना बंद करो अन्यथा पेट खराब हो जाएगा।
(ख) बस अब लड़ना-झगड़ना बंद भी कर दीजिए

2. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।” ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैंऐसे शब्दों को कारक कहते हैंइसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि’ का प्रयोग होता है।

• कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए

उत्तर :
कारक चिह्न युक्त वाक्य
(क) बस कंपनी के हिस्सेदार भी उसी बस से जा रहे थे
(ख) डॉक्टर मित्र ने कहा, “डरो मत चलो।”
(ग) मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था
(घ) क्षीण चाँदनी में वृक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी
(ङ) धीरे-धीरे वृद्धा की आँखों की ज्योति जाने लगी

‘कि’योजक शब्द युक्त वाक्य
(क) हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है
(ख) मालूम हुआ कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है
(ग) मैं उम्मीद कर रहा था कि थोड़ी देर बाद बस कंपनी के हिस्सेदार इंजन को निकालकर गोद में रख लेंगे
(घ) लोग इसलिए इसमें सफर नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा

3. “हम फौरन खिड़की से दूर सरक गएचाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थीदिए गए वाक्यों में आई “सरकना’ और ‘रेंगना’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैंऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैसे-घूमना इत्यादिउन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर :
गति के लिए प्रयोग होने वाली कुछ क्रियाएँ और उनके वाक्य प्रयोग
टहलना-मरीज अब धीरे-धीरे टहलने लगा है
चलना-इस चिकने फर्श पर संभलकर चलना।
दौड़ना-पुलिस वालों को प्रतिदिन व्यायाम में दौड़ना पड़ता है।
धड़कना-तेज दौड़ने से उसका दिल जोर से धड़कने लगा।
चक्कर लगाना-पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।

4. काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।”
इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में।
नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक ही
शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।
(क) जल (ख) फल (ग) हार
उत्तर :
अनेकार्थी शब्द वाक्य प्रयोग
(क) जल जल के बिना यह पृथ्वी आग के समान जल सकती है।
(ख) फल फल की चिंता किए बिना वह बाग में फल तोड़ने लगा।।
(ग) हार फूलों के हार की आशा लगाए बैठे नेताजी को चुनाव में हार मिली।

5. भाषा की दृष्टि से देखें तो हमारी बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फस्र्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण
खोजकर लिखिए।
उत्तर :
संख्यावाचक तथा गुणवाचक विशेषण के कुछ उदाहरण संख्यावाचक विशेषण-पाँच मित्रों, चार बजे, आठ-दस मील, पंद्रहबीस मील, फर्स्ट क्लास, दूसरा टायर। गुणवाचक विशेषण-समझदार, वयोवृद्ध, अनुभवी, विश्वसनीय, जवान, हरे-भरे, क्षीण, वृद्धा, क्रांतिकारी, महान।

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 2

January 13, 2021 by Kishen

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 लाख की चूड़ियाँ

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

कहानी से
1. बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
उत्तर :
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव बहुत चाव से जाया करता था क्योंकि उसे वहाँ रहने वाला बदलू मनिहार रंग-बिरंगी लाख की गोलियाँ दिया करता था जो उसे बहुत ही प्रिय थींवह बदलू मामा कहने के बजाय बदलू काका इसलिए कहता था क्योंकि उसके मामा के गाँव के बच्चे बदलू को ‘बदलू काका’ कहते थे

2. वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित प्रद्धति क्या है?
उत्तर :
वस्तु-विनिमय वह पद्धति है जिसमें किसी वस्तु को देकर अपनी मनचाही वस्तु खरीदी जाती हैइस प्रकार वस्तुएँ पाने के लिए हम पैसे की जगह वस्तुओं से ही वस्तुओं का लेन-देन करते हैंबदले समाज में आज वस्तुओं से वस्तुएँ नहीं खरीदी जाती हैंआज ऐसा करना संभव नहीं है इसलिए रुपये-पैसों के बदले वस्तुएँ ली-दी जाती हैं

3. ‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।’-इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?
उत्तर :
‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं’ -पंक्ति के माध्यम से मशीनों का अंधाधुंध प्रयोग करने से उत्पन्न बेकारी और बेरोजगारी की ओर संकेत किया गया हैचूंकि सैकड़ों मनुष्यों का काम करने के लिए केवल कुछ ही मशीनें काफी हैंऐसे में बहुत से कुशल कारीगर बेकार हो जाते हैंवे बेरोजगार होकर भूखों मरने के कगार पर पहुँच जाते हैंकारीगरों की इसी व्यथा की ओर संकेत किया गया है

4. बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी?
उत्तर :
चूड़ियाँ बनाने वाले कुशल कारीगर बदलू का काम छिन चुका थावह उपेक्षित, असहाय तथा लाचार हो गया थाजिन काँच की चूड़ियों से उसे चिढ़ थी वही हर ओर दिखाई पड़ रही थींअब कारीगरी के बदले कम सुंदरता तथा चमक को महत्त्व दिया जा रहा हैयह व्यथा लेखक से छिपी ने रह सकी।

5. मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर :
मशीनी युग के कारण बदलू का काम छिन गयावह बेरोजगार हो गयाउसे गरीबी में जीवन बिताना पड़ाउसे अपनी गाय बेचनी पड़ीवह कमजोर तथा वृद्ध हो गयाउसके माथे पर नसें उभर आईंवह बीमार तथा चिंतित रहने लगा

कहानी से आगे

1. आपने मेले-बाज़ार आदि में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगाआपके मन में किसी चीज़ को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए
उत्तर :
मैंने मेले-बाजार में हाथ से बने रंग-बिरंगे खिलौने, रंगीन तथा सफेद मोमबत्तियाँ, हाथ के पंखे, जूट के बने सामान देखे हैंये सामान अत्यंत मनमोहक होते हैंमैंने एक कलाकार के पास जूट से बने सामानों को बनाना सीखना शुरू कर दियालगभग छह महीने सीखने के उपरांत मैं अपने-आप सामान बनाकर बेचने लगाइससे मुझे अतिरिक्त आमदनी होने लगी

2. लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए
उत्तर :
लाख से बनी वस्तुओं का निर्माण भारत के राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश आदि में होता हैलाख से सुंदर-सुंदर खिलौने, घर की सजावटी वस्तुएँ, आभूषण, मूर्तियाँ, चूड़ियाँ, डाकखाने में मुहर तथा पैकिंग सील बनाई जाती हैं।

अनुमान और कल्पना

1. घर में मेहमान के आने पर आप उसका अतिथि-सत्कार कैसे करेंगे?
उत्तर :
घर में मेहमान आने पर मैं उन्हें यथोचित प्रणाम कर बैठक में उन्हें बिठाऊँगाउन्हें जलपान कराकर उनसे आने का कारण पूछूगाउसे यदि पिताजी से काम है तो वे कब तक आएँगे यह बताऊँगायदि वे रुककर इंतजार करते हैं तो उनके साथ प्रेमपूर्वक बातें करूँगा तथा उनकी सुविधा का ध्यान रचूँगा

2. आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए
उत्तर :
मुझे छुट्टियों में अपने नाना-नानी के घर जाना सबसे अच्छा लगता हैवहाँ की दिनचर्या यहाँ की दिनचर्या से बिल्कुल अलग होती हैवहाँ मामा के लड़के तथा लड़की के साथ खेलते हुए खेतों की ओर, बाग में पेड़ पर चढ़ना, गर्मियों में आम तोड़ना, बाग में पेड़ों की छाया में अनेक खेल खेलना अच्छा लगता हैशाम को नानी से कहानियाँ सुनना, एक साथ बैठकर गपशप करना अच्छा लगता है

3. मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैंआप अपने आसपास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए
उत्तर :
मशीनी युग में अनेक परिवर्तन हम कहीं भी देख सकते हैंअपने आसपास हुए परिवर्तन का एक उदाहरण मैं प्रस्तुत कर रहा हूँमेरी कॉलोनी से कुछ दूर पर खेत हैकुछ समय पहले तक खेती को अधिकांश काम बैलों तथा हाथों से किया जाता था किंतु आज-कल जुताई ट्रैक्टर से, बुवाई सीडड्रिल से, निराई-गुड़ाई कल्टीवेटर से, खरपतवार हटाने के लिए खरपातीनाशी का मशीनों से छिड़काव, कटाई हारवेस्टिंग मशीन से तथा मड़ाई का कार्य प्रेशर से कर भूसा तथा अनाज ट्रैक्टर से ढोकर घर तक लाते हैं

4. बाज़ार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता हैआप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए
उत्तर :
आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग हैआज नित नए आविष्कार होने से तरह-तरह की वस्तुएँ बाजार में आ रही हैंबाजार में वस्तुएँ असीमित मात्रा में उपलब्ध हैंलोगों की रुचि, आवश्यकता तथा उनकी आय देखकर वस्तुएँ बनाई जाने लगी हैंखाने-पहनने तथा नित्य प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा में विविधता बढ़ती जा रही हैनित नए फैशन के कपड़ों से बाजार भरा पड़ा है

5. हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा हैइस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए
उत्तर :
विज्ञान के इस युग में जब सब कुछ बदल रहा हैहमारे खान-पान, रहन सहन और कपड़े भी इस बदलाव से अछूते नहीं हैंइस बदलाव का असर सब पर देखा जा सकता हैकुछ लोगों की बातचीत को आधार मानकर कहा जा सकता है कि कुछ लोगों के विचार से यह बदलाव अच्छा है तथा कुछ इतनी तेजी से हो रहे बदलाव को शुभ संकेत नहीं मानते हैंइस विषय पर दो समूह बनाकर पक्ष-विपक्ष में अपनी बात रखते हुए छात्र स्वयं चर्चा करें तथा बातचीत के आधार पर आलेख तैयार करें।

भाषा की बात

1. ‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से और बदलू स्वयं कहता है-“जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?” ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैंदूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा हैउसमें व्यंग्य भी हैहारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होतेकुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए
उत्तर :
पाठ से लिए गए कुछ व्यंग्य-वाक्य

  • बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से
  • जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है, लाख की चूड़ियों में कहाँ संभव है?
  • शहरं की बात और है लला वहाँ तो सभी कुछ होता है
  • नाजुक तो फिर होता ही है लला
  • कहा, जाओ शहर से ले आओअर्थ

(क) इस वाक्य से चूड़ी बनाने वाले बदलू की मनोदशा प्रकट होती हैवाक्य में काँच की चूड़ियों को मशीनी युग का प्रचलन बताया गया हैजिससे उस जैसे कारीगर का रोज़गार छिना जा रहा हैये चूड़ियाँ उसे अंदर-ही-अंदर दुख और पीड़ा पहुँचा रही हैं
(ख) काँच की चूड़ियों को लाख की चूड़ियों से अधिक सुंदर बताकर कारीगरी को भूलकर, बनावटी सुंदरता और चमक-दमक को महत्त्व देने वालों पर व्यंग्य किया गया हैयह वाक्य अपने में गहरा दर्द छिपाए हुए है
(ग) यहाँ शहरी संस्कृति पर व्यंग्य किया गया हैपाश्चात्य संस्कृति के नाम पर शहरी लोग हर अच्छी-बुरी बातें, आदतें तथा रिवाज अपनाते जा रहे हैं, पर गाँवों में वैसा उन्मुक्त वातावरण नहीं हैभले ही गाँवों को पिछड़ा कहा जाए
(घ) लोगों को कारीगरी तथा मजबूती नहीं चाहिएउन्हें बनावटी कोमलता पसंद हैयह कोमलता समय/असमय उन्हें भारी पड़ती जा रही है, पर इसकी फिक्र नहीं।
(ङ) इस वाक्य से बदलू के व्यक्तित्व की दृढ़ता प्रकट होती हैवह कम दाम पाने पर जमींदार जैसे व्यक्ति का प्रतिरोध कर सकता है, किंतु दबाव में आकर झुकता नहीं है

2. ‘बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्र हैं और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा हैकिसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैंसंज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा,जैसे-लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि (ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे-चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा (ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे-सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन परंतु उसका अनुभव होता हैपाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए
उत्तर :
व्यक्तिवाचक संज्ञा-बदलू, जनार्दन, नीम, आम, रज्जो।
जातिवाचक संज्ञा-गाँव, बच्चे, मकान, शहर, वृक्ष, अनाज, नव-वधू, मरद, गाय, सड़क, चित्र, लड़की, स्कूल, जमींदार, घरवालीभाववाचक संज्ञा-महत्त्व, पढ़ाई, जिद, सुंदरता, व्यथा, शांति, व्यक्तित्व

3. गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैंकहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता हैइस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं
उत्तर :
मूल शब्द                        बदला हुआ रूप
मर्द                                        मरद
भैया                                       भइया
वक्त                                       बखत
उम्र                                        उमर
अंजुली                                    अंजलि

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 1

January 13, 2021 by Kishen

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 1 ध्वनि

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

कविता से
1. कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर :
कवि का अंत अभी नहीं होगा, उसे ऐसा विश्वास इसलिए है क्योंकि कवि जीवन के प्रति निराश नहीं हैवह उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ हैउसके उपवन में अभी-अभी वसंत का आगमन हुआ हैउसे युवकों को उत्साहित करने जैसे अनेक कार्य करने हैं तथा स्वयं की रचनाओं तथा कार्यों की खुशबू चारों ओर बिखेरनी है।

2. फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
उत्तर :
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए तथा उनकी महक बनाए रखने के लिए कवि उनका आलस्य छीन लेना चाहता हैवह उन्हें अनंत समय तक खिले रहने के लिए प्रेरित करना चाहता हैवह उनकी आँखों की बोझिलता दूर करना चाहता हैकवि उन फूलों को अपने नवजीवन के अमृत से अभिसिंचित करना चाहता है

3. कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर :
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर करने के लिए अपने स्वप्निल तथा कोमल हाथ फेरना चाहता है, जिससे पुष्प चुस्त, सजग तथा महक बिखेरते हुए पुष्पित-पल्लवित हो सकेंवह उनको वसंत के मनोहर प्रभात का संदेश देना चाहता हैऐसा करते हुए कवि चाहता है कि फूल खिलकर वसंत के सौंदर्य को और भी मनोहारी बना दें।

कविता से आगे

1. वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए
उत्तर :
भारतवर्ष में क्रमश: आने वाली छह ऋतुओं से पाँच के अपने गुण तो हैं पर उनकी हानियाँ तथा नकारात्मक प्रभाव भी हैंवसंत ऋतु में न वर्षा ऋतु जैसा कीचड़ होता है न ग्रीष्म ऋतु जैसी तपन, उमस और पसीने की बदबू इसी प्रकार ने शिशिर ऋतु की ठंडक, न हेमंत ऋतु की हाड़ कॅपाती सर्दी और चारों ओर पाले की मार, वृक्षों की पत्तियाँ तक गिर जाती हैवसंत ऋतु में सर्दी-गर्मी समान होने से मौसम अत्यंत सुहावना होता हैपेड़ों पर लाल-लाल पत्ते, कोपलें तथा हरे-भरे पत्तों के बीच रंग-बिरंगे फूलों के गुच्छे तो पेड़ों के गले में हार के समान दिखाई देते हैंमदमाती कोयल का गान, तन-मन को महकाती हवा तथा पूरे यौवन का जोश लिए प्रकृति की छटा देखते ही बनती हैयह ऋतु मनुष्य, पशुपक्षी तथा अन्य जीवों को प्रसन्न कर देती है, इसलिए इस ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है

2. वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए
उत्तर :
वसंत ऋतु का समय फाल्गुन, चैत तथा वैसाख माह के आरंभिक दिनों अर्थात् मार्च-अप्रैल होता हैइसकी अवधि लगभग दो माह होती हैइस ऋतु में निम्नलिखित त्योहार मनाए जाते हैं
(क) वसंत पंचमी-इस त्योहार पर लोग पीले वस्त्र धारण करते हैंकिसान शाम को पूजन के उपरांत नई फसल का अनाज मुँह में डालते हैं? इसी दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती हैजगह-जगह पंडालों में सरस्वती की मूर्तियाँ स्थापित कर उनकी स्तुति तथा अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
(ख) महाशिवरात्रि-इस दिन लोग व्रत रखते हैंवे शिवालय में जाकर भगवान शिव, पार्वती और गणेश की पूजा करते हैं
(ग) बैसाखी-पंजाब प्रांत में फसलों के पक जाने की खुशी में किसानों दूद्वारा यह त्योहार अत्यंत धूमधाम एवं उत्साह के साथ मनाया जाता हैइसी दिन हिंदू धर्म की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को अर्पित करने वाले वीर हकीकत राय की याद में बैसाखी का त्योहार मनाया जाता

निबंध – होली – भारत पर्व-त्योहारों का देश हैवर्ष में शायद ही ऐसी कोई ऋतु या महीना हो जब यहाँ कोई पर्व ने मनाया जाता हो यहाँ रक्षाबंधन, दीपावली, दशहरा, ईद, होली, गुडफ्राइडे, ओणम् आदि त्योहार मनाए जाते हैंइनमें होली के त्योहार का अपना अलग ही महत्त्व है जो पूरे देश में अत्यंत धूमधाम एवं उल्लास के साथ मनाया जाता हैबच्चे, बूढ़े, जवान, युवक-युवतियाँ सभी उम्र के व्यक्ति इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाते हैंयह त्योहार उल्लास से सराबोर करने वालाहै, जिसमें लोगों के मन की कटुता बह जाती है।

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला सबसे मुख्य त्योहार हैयह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैऐसा लगता हैकि यह त्योहार ऋतुराज वसंत के आगमन की सूचना देता हैहेमंत ऋतु में सर्दी की अधिकता से पेड़-पौधे अपनी पत्तियाँ गिराकर ढूँठ जैसे दिखाई देते हैंऋतुराज वसंत के स्वागत में ये पेड़ नई-नई पत्तियाँ, कोमल कलियाँ एवं फूल धारण कर लेते हैंइससे प्रकृति का सौंदर्य बढ़ जाता है, जो इस त्योहार की मस्ती और आनंद को कई गुना बढ़ा देता हैयह वसंत की मादकता का ही असर है कि रंग और गुलाल से सराबोर होने पर भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

इस त्योहार को मनाने के पीछे अनेक जनश्रुतियाँ प्रचलित हैंएक पौराणिक आख्यान के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक दानव अत्यंत क्रूर और अत्याचारी थावह ईश्वर के महत्त्व तथा अस्तित्व को नहीं मानता थावह लोगों को ईश्वर-पूजा के लिए मना करता और ऐसा न करने वालों को वह अत्यंत क्रूरता से दंडित करता थावह स्वयं को भगवान समझता था और लोगों से अपनी पूजा करवाता थाउसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का अनन्य भक्त थावह अपने पुत्र द्वारा ईश्वर की पूजा-अर्चना सह न सका और उसने उस पर तरह-तरह के अत्याचार करना शुरू कर दियावह चाहता था कि उसका पुत्र भी उसे ही भगवान मानकर उसकी पूजा करता रहेप्रहलाद द्वारा ऐसा न करने पर वह प्रहलाद को मारने के लिए तरह-तरह के उपाय आजमाने लगाजब हिरण्यकश्यप के सभी उपाय बेकार हो गए तो उसने अपनी बहन होलिका को बुलवायाहोलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग से जल नहीं सकतीहोलिका और हिरण्यकश्यप ने इस वरदान का दुरुपयोग करना चाहा और योजनानुसार होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई, जिससे प्रहलाद जल कर मर जाए, किंतु परिणाम उनकी सोच के विपरीत निकलाहोलिका जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गयाबुराई पराजित हुईउसी की याद में पूर्णिमा की रात में होलिका दहन कर बुराइयों को भस्म किया जाता है।

अगले दिन प्रात:काल से चारों ओर रंग और गुलाल उड़ता दिखाई पड़ता हैसभी वर्ग के लोग इस त्योहार को अत्यंत धूमधाम से मनाते हैंवे रंगों से सराबोर होकर अबीर-गुलाल लगाते हुए एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएँ देते फिरते हैंइस दिन धनी-निर्धन का, बालक-वृद्ध का, विद्वान-मूर्ख का भेद मिट जाता हैचेहरे पर रंग पुते होने से लोगों की असलियत का पता नहीं चलता हैसभी रंगों की मस्ती में डूबे होते हैंगलियाँ, सड़कें रंग तथा अबीर से लाल, हरी, पीली दिखती हैंबच्चे रंग-बिरंगी पिचकारियों में तरह-तरह के रंग भरकर एक-दूसरे पर डालते फिरते हैंसड़कों तथा गलियों में युवक एक-दूसरे को रंग में भिगोते, एक-दूसरे पर अबीर मलते तथा हुड़दंग मचाते घूमते फिरते हैंग्रामीणों में इस त्योहार का उत्साह देखते ही बनता हैवे झाँझ, मृदंग और करताल लेकर फाग गाते हैं‘होरी खेले रघुबीरा अवध में होरी खेले रघुबीरा’ की गूंज चारों ओर सुनाई देती हैब्रजक्षेत्र के बरसाने की होली भारत में ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हैइसी दिन दोपहर बाद लोग नए एवं साफ कपड़े पहनकर लोगों से मिलने-जुलने जाते हैंइस दिन विशेष पकवानगुझियाँ तथा अन्य मिठाइयाँ आने-जाने वालों को खिलाई जाती हैं।

लोग इस दिन अपने मन का मैल धोकर एक-दूसरे से गले मिलते हैंऔर संबंधों को पुनर्जीवित करते हैंहोली का त्योहार हमें भाईचारा तथा आपसी सौहार्द बढ़ाने का संदेश देता हैलोग अपना वैर-भाव त्यागकर एक-दूसरे से गले मिलते हैंकुछ लोग इस त्योहार को विकृत करने की कोशिश करते हैंवे रंगों की जगह तारकोल, पेंट, ग्रीस, तेल आदि लोगों के चेहरे पर मलते हैं जो अत्यंत हानिप्रद होता हैइससे आँखों की ज्योति जाने का खतरा होता हैइस दिन कुछ लोग शराब पीकर हुड़दंग मचाते हैं और त्योहार की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं।

रंगों एवं मस्ती के इस त्योहार को हमें अत्यंत शालीनतापूर्वक मनाना चाहिएरंग और अबीर मलने के लिए किसी के साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहिएहमें इस त्योहार की पवित्रता बनाए रखना चाहिए जिससे हमारे बीच प्रेम, सद्भाव तथा मेल-जोल बढ़ सके, तथा ‘होली आई, खुशियाँ लाई’ चरितार्थ हो सके।

3. “ऋतु परिवर्तन को जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है”-इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर :
विभिन्न ऋतुएँ साल के विभिन्न महीनों में बारी-बारी से आती हैं और अपनी सुंदरता बिखेर जाती हैंऋतुओं के परिवर्तन का मानव जीवन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैहमारा खान-पान, पहनावा तथा हमारी गतिविधियाँ इससे प्रभावित होती हैंमुख्य ऋतुएँ और उनके प्रभाव को हम इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं

ग्रीष्म ऋतु – पसीने से सराबोर करने वाली इस ऋतु में हम सूती तथा हल्के वस्त्र पहनना पसंद करते हैंहमारे खाद्य तथा पेय पदार्थों में तरावट पहुँचाने वाली वस्तुओं-लस्सी, सिकंजी, छाछ, शीतल पेय पदार्थ आदि की मात्रा बढ़ जाती है।

वर्षा ऋतु – इस ऋतु में चारों ओर कीचड़ फैल जाता हैवातावरण में नमी बढ़ जाती हैरोगों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

शीत ऋतु – हड्डियाँ कँपा देने वाली इस ऋतु में हम ऊनी कपड़े, कोट, शॉल, स्वेटर आदि का प्रयोग करते हैंचाय, कॉफी, गर्म दूध तथा गर्माहट पहुँचाने वाली वस्तुओं का अधिक प्रयोग करते हैं।

वसंत ऋतु – इसे सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता हैइस ऋतु में न अधिक सर्दी होती है और न गर्मीस्वास्थ्य की दृष्टि से यह सर्वोत्तम ऋतु हैइस समय चारों ओर फैली प्राकृतिक सुषमा मनोरम लगती हैयह सब देख मन अनायास ही प्रसन्न हो उठता है।

अनुमान और कल्पना

1. कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?

फूटे हैं आमों में बौर
भर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूटे हैं।

उत्तर :
काव्यांश में ‘आम में बौर आने’ तथा ‘होली की त्योहार’ का वर्णन हैइसके अलावा भौंरों के गुंजार करने तथा वातावरण में उन्मुक्त मस्ती छाने से पता चलता है कि ‘वसंत ऋतु का ही वर्णन’ है।

2. स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता हैफूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर :
फूल-पौधों के लिए मैं निम्नलिखित कार्य करना चाहूँगा
(क) फूल-पौधों को नष्ट होने से बचाने के लिए उनकी सुरक्षा का प्रबंध करूंगा
(ख) उनकी उचित वृधि के लिए समय पर सिंचाई, खाद तथा उचित देखभाल करूंगा
(ग) उन्हें खरपतवार तथा रोगों से बचाने का प्रयास करूंगा
(घ) प्रात:काल में पुष्पित पौधों पर प्यार से हाथ फेरूंगा
(ङ) इन पुष्पों को न मैं तोडूंगा, न किसी को इन्हें नष्ट करने देंगा ताकि वे दीर्घकाल तक अपनी महक तथा सौंदर्य बिखेर सकें।

3. कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा हैअनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का अन्य किन-किन संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है? जैसे नन्हे-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो।
उत्तर :
उपयुक्त कार्यों का निम्नलिखित संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है
(क) माली उपवन में उलझी लताओं को उचित स्थान पर फैला रहा है
(ख) छोटा बच्चा उपवन में उड़ती रंग-बिरंगी चिड़ियों के पीछे भाग कर उन्हें पकड़ने का प्रयास कर रहा है
(ग) मैं फूलों पर पड़ी ओस की बूंदों को निहारकर मुग्ध हो रहा हूँ
(घ) वृद्धजन पार्क में बच्चों को घास नष्ट न करने तथा पुष्पों को तोड़ने से मना कर रहे हैं तथा गिरे पौधों को सहारा देकर खड़ा कर रहे हैं।

भाषा की बात

1. ‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई हैकविता के हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैंयहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त हैऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एकवचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे-वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगाकविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है-“तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती हैजो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी हैएक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गयाइसे यमक अलंकार कहा जाता हैकभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे-मन का मनका।
ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति होऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों रात, घड़ी-घड़ी।
उत्तर :
एक शब्द के एक से अधिक अर्थ देकर चमत्कार पैदा करने वाले यमक अलंकार के कुछ उदाहरण
(क) तू पै वारो उरवशी सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उरवशी वै उरवशी समान।

यहाँ द्वितीय पंक्ति में पहले ‘उरवशी’ का अर्थ हृदय में रहने वाली तथा दूसरे ‘उरवशी’ का अर्थ है-उर्वशी नामक अप्सरा है।

(ख) कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय नर, वा पाए बौराय॥

यहाँ प्रथम पंक्ति में ‘कनक’ शब्द दो बार आया हैइनमें पहले कनक का अर्थ-धतूरा (एक मादक फल) है तथा दूसरे का अर्थ-सोना (एक कीमती धातु) है

पुनरुक्ति शब्द वाले कुछ अन्य वाक्य
(क) दिन भर काम करते-करते मजदूर थककर चूर हो गया
(ख) दूरदर्शन पर दुर्घटना से जुड़ी पल-पल की खबर आ रही थी
(ग) कल-कल करते झरनों का मधुर संगीत मन को भा रहा था।

पुनरावृत शब्दों का वाक्य-प्रयोग
(क) बातों-बातों-बातों-बातों में सुमन ने मेरा दिल जीत लिया
(ख) रह-रहकर-बादल बरसते रहे रह-रहकर बिजली चमकती रही
(ग) लाल-लाल-कश्मीर में पेड़ों पर लटके लाल-लाल सेब बहुत अच्छे लग रहे थे
(घ) सुबह-सुबह-सुबह-सुबह घूमने जाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है
(ङ) रातों-रात-उस पर लोगों का इतना कर्ज हो गया था कि उसने रातों रात मकान बेच दिया और अन्यत्र जा बसा
(च) घड़ी-घड़ी – आतंकवादी घड़ी-घड़ी पुलिस के सामने अपना बयान बदलता रहा।

2. ‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’ विशेषण जिसे संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते

ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमशः कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्द बता रहे हैं

हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैं-गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।
उत्तर :
यहाँ पाठ्यपुस्तक में कोई प्रश्न नहीं बन रहा है फिर भी छात्रों की सुविधा हेतु विशेषण के भेदों की संक्षिप्त परिभाषा तथा उदाहरण दिया जा रहा है
1. गुणवाचक विशेषण – जिस विशेषण शब्द द्वारा विशेष्य के रूप, रंग, गुण, आकार आदि का पता चले वह गुणवाचक विशेषण कहलाता हैजैसे परिश्रमी, वीर, साहसी, धनी, ईमानदार, लाल, पीला आदि।
2. परिमाणवाचक विशेषण – जो विशेषण शब्द विशेष्य की मात्रा का बोध कराए उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-थोड़ी सी चाय, दस किलो चावल, थोड़ी-सी चीनी, इसके दो भेद हैं
(क) निश्चित परिमाणवाची-जैसे – एक लीटर दूध, दस मीटर कपड़ा, एक पाव नमक।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाची-जैसे – कुछ चाय, थोड़ी-सी कॉफी, थोड़ा सा नमक

3. संख्यावाचक विशेषण – वे विशेषण शब्द जो विशेष्य के बारे में संख्या संबंधी जानकारी कराते हैं-जैसे-दस रुपये, कई लड़के, पाँचवाँ छात्र आदिइसके भी दो भेद हैं
(क) निश्चित संख्यावाचक-जैसे – पाँच सौ रुपये, दसवाँ छात्र, सात पुस्तकें
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक-जैसे – कई छात्र, अनेक आदमी, कुछ मनुष्य आदि

4. सार्वनामिक विशेषण – इसे संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं।
नोट – इस विशेषण के बाद संज्ञा शब्द का होना बहुत आवश्यक होता हैइस विशेषण के बाद शब्द न होने पर यह सर्वनाम बन जाता है, जैसे—यह मकान बहुत ऊँचा हैवे मजदूर बहुत ही परिश्रमी हैंये राहगीर ईमानदार हैवह छात्र कक्षा में प्रथम आया था।

कुछ करने को
1. वसंत पर अनेक सुंदर कविताएँ हैंकुछ कविताओं का संकलन तैयार कीजिए
उत्तर :
वसंत पर कविता

आए महंत वसंत।
मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टोला।
बैठे किंशुक छत्र लगा, बाँध पाग पीला, 
सँवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनंत।
आए महंत बसंत।
श्रद्धानत तरुओं की अंजलि से झरे पात 
कोयल के मुँदै नयन, थर-थर-थर पुलक गात, 
अगरु धूम लिए, झूम रहे सुमन-दिग्-दिगंत। 
आए महंत वसंत।
खड़-खड़ कर ताल बजा, नाच रही विसुध हवा, 
डाल-डाल अलि-पिक के गायन का बधाँ समाँ।
तरु-तरु की ध्वजा उठी जय-जये का है न अंत।
आए महंत वसंत।
                                                   -सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

2. शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द का अर्थ देखिए शब्दकोश में शब्दों के अर्थों के अतिरिक्त बहुत-सी अलग तरह की जानकारियाँ भी मिल सकती हैंउन्हें अपनी कॉपी में लिखिए
उत्तर :
शब्द कोश में वसंत के अर्थ

  • एक वर्ष में आने वाली छह ऋतुओं में से एक
  • फूलों का गुच्छा
  • एक राग

शब्दकोश में शब्दों के अर्थ के अलावा और भी जानकारियाँ मिल सकती हैं, जो निम्नलिखित हैं
(क) शब्द संक्षेप चिहन
स्त्री.-स्त्रीलिंग
पु.-पुल्लिग।
बहु.-बहुवचन
अ.-अव्यय
सर्व.-सर्वनाम
उप.-उपसर्ग
प्र.-प्रत्यय
अ.क्रि./स.क्रि-अकर्मक क्रियासक्रर्मक क्रिया
क्रि.वि.-क्रियाविशेषण
द्वि.क्रि.-विकर्मक क्रिया
प्रे.क्रि.-प्रेरणार्थक क्रिया

(ख)
 सं. संस्कृत
रू. रूसी
हिं. हिंदी
अ. अरबी
पु. पुर्तगाली
बो. बोलचाल

विषयों के संक्षेप चिह्न
(ग)
 ग. गणित
सा. साहित्य
का. कानून
ज्यो. ज्योतिष
व्या. व्याकरण

(घ)
 इनके अलावा मुहावरे, लोकोक्तियाँ, माप-तौल के पैमानों की सारिणी आदि भी मिलती हैं।

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