NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 Sources of Energy (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14 Sources of Energy (Hindi Medium)

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Chapter 14. उर्जा के स्रोत

पाठगत-प्रश्न:

प्रश्न 1: उर्जा का उतम स्रोत किसे कहते है ?
उत्तर –
उर्जा का उतम स्रोत वह है जो –

  1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे |
  2. जो आसानी से उपलब्ध हो |
  3. भंडारण तथा परिवहन में आसान हो |
  4. वह सस्ता हो |
  5. जलने पर प्रदुषण न फैलाए |

प्रश्न 2: उतम ईंधन किसे कहते है ?
उत्तर –
उतम ईंधन में निम्नलिखित गुण होने चाहिए –

  1. दहन के बाद प्रति एकांक द्रव्यमान से अधिक ऊष्मा मुक्त हो |
  2. यह आसानी से, सस्ती दर पर उपलब्ध हो |
  3. जलने पर अत्याधिक धुआं उत्पन्न न करे |
  4. इसका ज्वलन ताप उपयुक्त हो तथा उष्मीयमान अधिक हो |

प्रश्न 3:  यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी उर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते है , तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों ?
उत्तर –
हम LPG गैस या विद्द्युतीय उपकरण का उपयोग करेंगे क्योंकि –

  1. इससे अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है |
  2. इसके दहन से धुआं नहीं निकलता है |
  3. यह आसानी से उपलब्ध है तथा इसका उपयोग सुगमतापूर्वक किसी भी समय किया जा सकता है |
  4. यह सस्ता है तथा इसका भंडारण तथा परिवहन आसानी से किया जा सकता है |
  5. इससे वांछित ऊर्जा आवश्यकता अनुसार प्राप्त कर सकते है |

प्रश्न 4: जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ है ?
उत्तर –
जीवाश्मी ईंधन की निम्नलिखित हानियाँ है –

  1. जीवाश्मी ईंधन को बनने में कड़ोरो वर्ष लागतें है तथा इनके भंडार सीमित है |
  2. जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत है |
  3. जीवाश्मी ईंधन जलाने से वायु प्रदुषण होता है |
  4. वायु में कार्बन की मात्र बढ़ने के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव होता है |

प्रश्न 5: हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों कि ओर क्यों ध्यान दे रहे है ?
उत्तर –
हम जानते है कि जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत है | अतः इन्हें बचाने कि आवश्यकता है | पृथ्वी के अंदर कोयले , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस आदि सीमित मात्रा में मौजूद है | यदि हम इनका प्रयोग इसी प्रकार करते रहे तो ये शीघ्र ही समाप्त हो जाएंगे | अतः हमें ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों कि ओर ध्यान देना चाहिए |

प्रश्न 6: सौर कूकर के लिए कौन सा दर्पण – अवतल , उत्तल , अथवा समतल – सर्वाधिक उपयुक्त है ?
उत्तर –
सौर कूकर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त दर्पण अवतल दर्पण है , क्योंकि यह एक अभिसारी दर्पण है | जो सूर्य कि किरणों को एक बिन्दु पर फोकसित करता है ,जिसके कारण शीघ्र ही इसका ताप और बढ़ जाता है |

प्रश्न 7: महासागरो से प्राप्त होने वाली ऊर्जा कि क्या सीमाए है ?
उत्तर – 
महासागरो से प्राप्त होने वाली ऊर्जा कि निम्न सीमाए है –

  1. तरंग ऊर्जा के व्यापारिक उपयोग के लिए तरंगो का अत्यंत प्रबल होना आवश्यक है |
  2. ज्वार भाटे के समय जल के स्तर चढ़ने  तथा गिराने से ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है | बाँध के द्वार पर स्थित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदल देते है | परन्तु ये बांध केवल कुछ ही क्षेत्रो में सफल है |
  3. ऊर्जा संयत्रों के निर्माण कि लागत बहुत अधिक होती है तथा ऊर्जा का उत्पादन कम होता है |

प्रश्न 8: भूतापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर –
जब भूमिगत जल तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है | जब यह भाप चट्टानों के बीच फंस जाती हैं तो इसका दाब बढ़ जाता है | उच्च दाब पर यह भाप पाइपों द्वारा निकाल ली जाती है, यह भाप विद्युत जनरेटर की टरबाइन को घुमती है तथा विद्युत उत्पन्न की जाती है | इन तप्त स्थलों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा भूतापीय ऊर्जा कहलाती है |

प्रश्न 9: नाभिकीय  ऊर्जा का क्या महत्व है ?
उत्तर –
नाभिकीय  ऊर्जा से उत्पन्न  ऊर्जा को नाभिकीय  ऊर्जा  कहते है | इस प्रकिया के  द्वारा  अत्याधिक मात्रा में  ऊर्जा मुक्त होती है | इस  ऊर्जा का उपयोग भाप बनाकर  विद्युत्  उत्पन्न करने में किया जाता है |

प्रश्न 10:  क्या कोई  ऊर्जा  स्रोत प्रदुषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नही ?
उत्तर –
नही , ऐसा कोई  ऊर्जा  का स्रोत नही है जो प्रदुषण मुक्त हो |  सौर सेल हालाँकि प्रदुषण मुक्त है परन्तु उस युक्ति को जुटाने में पर्यावरण क्षति ग्रस्त हो सकता है |

प्रश्न 11: रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जा रहा है ? क्या आप इसे CNG की तुलना मे अधिक स्वच्छ ईंधन मानते है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर –
हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है क्योंकि ये CO2 उत्पन्न नहीं करता बल्कि यह दहन होने पर जल उत्पन्न  करता  है अतः प्रदुषण नहीं फैलता है |

प्रश्न 12: ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हे आप नवीकरणीय मानते है | अपने चयन के लिए तर्क दीजिए |
उत्तर-
(a) पवन ऊर्जा :

  1. पवनों से ऊर्जा उन्हीँ जगहों पर पाई जाती है जहाँ वर्षा के समय तेज गति से पवने चलती हो |
  2. टरबाइनो कि गति के लिए पवनो की न्यूनतम चाल 15 km/h से अधिक होनी ऊर्जा चाहिए |
  3. इसके उपयोग के लिए सचायक सेलों की भी सुविधा होनी चाहिए |

(b) जल विद्युत ऊर्जा :

  1. ये भी ऊर्जा के  नवीकरणीय  स्रोत है |
  2. जल विधुत जल से उत्पन्न होती है |
  3. इसकी लागत कुछ सीमा तक महगी है |

प्रश्न 13: ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते है | अपने चयन  के लिए तर्क दीजिए |
उत्तर –
कोयला एव पेट्रोलियम के वे स्रोत है जो समापन योग्य है | इनके भण्डार प्रक्रति में सीमित है एव एक ना एक दिन अवश्य समाप्त हो जायेगे | इन ईधन को निर्मित होने में करोड़ो वषों का समय लगा | अत : इन्हें पुन : निर्मित करना असम्भव है |

अभ्यास :

प्रश्न 1. गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते-
(a) धुप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन
उत्तर :
(b) बादलों वाले दिन |

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी

(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d)  कोयला
उत्तर :
(c) नाभिकीय ऊर्जा |

प्रश्न 3. जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें सेअधिकाश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं।
निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है?
(a) भूतापीय ऊर्जा

(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा
उत्तर :
(c) नाभिकीय ऊर्जा |

प्रश्न 4. ऊर्जा स्रोत के  रूप में जीवाश्मी ईधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।

उत्तर :
जीवाश्मी ईधनों : 

  1. ये समापन योग्य है |
  2. ये  ऊर्जा के महगे स्रोत है |
  3. ये ग्रीन -हाउस को भी प्रभावित करते है |

 सूर्य :

  1. यह  समापन योग्य नही है |
  2. ये  ऊर्जा के सस्ते  स्रोत है |
  3. यह उपकरण स्वच्छ उर्जा के स्रोत है |

प्रश्न 5. जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर :
जैवमात्रा :

  1. ये ऊर्जा के नवीकरणीय  स्रोत है |
  2. इसकी लागत ज्यादा नही है |
  3. बायो गैस की उत्पति के करके है |

जल विधुत :

  1. ये भी ऊर्जा के  नवीकरणीय  स्रोत है |
  2. जल विधुत जल से उत्पन्न होती है |
  3. इसकी लागत कुछ सीमा तक महगी है |

प्रश्न 6. निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए?
(a) पवनें
(b)  तरंगें 
(c)
  ज्वार-भाटा
उत्तर :
(a) पवनें :

  1. पवनों से ऊर्जा उन्हीँ जगहों पर पाई जाती है जहाँ वर्षा के समय तेज गति से पवने चलती हो |
  2. टरबाइनो कि गति के लिए पवनो की न्यूनतम चाल 15km/h से अधिक होनी ऊर्जा चाहिए |
  3. इसके उपयोग के लिए सचायक सेलों की भी सुविधा होनी चाहिए |

(b)  तरंगें :

  1. तरगों से उत्पन्न ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए तरगों का प्रबल होना आवश्यक है
  2. इसका उपयोग करते समय एक – समान विधुत शक्ति प्राप्त नही की जा सकतीं है |
  3. इसके किए आवश्यक उपकरण महगे है |

(c)  ज्वार-भाटा :

  1. इस तरह की ऊर्जा प्राप्ति के लिए बाध का निमार्ण करना आवश्यक है |
  2. ज्वार-भाटा से उत्पन्न ऊर्जा  का प्रयोग सीमित है |
  3. इसके निमार्ण के लिए जमीन की लागत आधिक है |

प्रश्न 7. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे ?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b)  समाप्य तथा अक्षय
क्या (a) तथा (b)के विकल्प समान हैं?
उत्तर :
(a)  नवीकरणीय ऊर्जा वे ऊर्जा होती है जिनका उपयोग हम लंबे समय तक आसीमित रूप से कर सकते है | इसका भंडार अक्षय रहता है | जैसे : सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा |
अनवीकरणीय ऊर्जा वे ऊर्जा होती है जिनका उपयोग यदि हम एक बार कर लेते है तो उनकी पुनः प्राप्ति नहीं की जा सकती है और इनका भंडार समाप्य रहता है | जैसे : जीवाश्मी ईंधन ( कोयला , पैट्रॉल , प्राकृतिक गैस )|
(b)  (a) और (b) के विकल्प सामान है क्योंकि  नवीकरणीय ऊर्जा अक्षय है परन्तु  अनवीकरणीय ऊर्जा समाप्य है |

प्रश्न 8. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
उत्तर : 
ऊर्जा के आदर्श स्रोत के गुण :-

  1. सरलता से प्राप्त हो सके |
  2. सस्ता भी होना चहिए |
  3. प्रति एकाक आयतन एव द्रव्यमान अधिक कार्य करे |

प्रश्न 9. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर :
सौर कुकर का उपयोग करने के लाभ : 

  1. यह उपकरण सस्ता है |
  2. इसका उपयोग करने से प्रदुषण नही होती है |
  3. इनमे कोई गतिमान पुर्जा नही होता है |

सौर कुकर की हानियाँ :

  1. ये उपकरण केवल सूर्य के प्रकाश में ही इसका उपयोग किया जाता है |
  2. यह भोजन पकाने में sय अधिक लेता है |

हां , ऐसे अनेक  क्षेत्र है  सौर -सेल महगे होते है |  जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है उदाहरण : अधिक बरसात वाले क्षेत्र , पहाड़ी  क्षेत्र आदि |

प्रश्न 10. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के  उपाय लिखिए।
उत्तर :
आज का युग मशीनी युग हो गया है आज की जनसंख्या जीवाश्म ईधन पर्यावरण को प्रदुषण करने के लिए उपयोग करती है | सौर-सेल को उपयोग करने से  पर्यावरणीय सभव है | अनेक प्रकार कि बीमारियाँ बढ़ रही है |
ऊर्जा की खपत को कम करने के  उपाय निम्न है :-

  1. कोयला , जीवाश्म ईधन का कम से कम उपयोग |
  2. मशीनों पर निर्भर  न रहकर स्वय पर  निर्भर  रहना |

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 15 Our Environment (Hindi Medium)

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Chapter 15. हमारा पर्यावरण

अभ्यास-समीक्षा :

  • विभिन्न पदार्थों का चक्रण पर्यावरण में अलग-अलग जैव-भौगोलिक रासायनिक चक्रों में होता है। इन चक्रों में अनिवार्य पोषक, जैसे- नाइट्रोजन, कार्बन, ऑक्सीजन एवं जल एक रूप से दूसरे रूप में बदलते हैं।
  • एंजाइम अपनी क्रिया में विशिष्ट होते हैं। किसी विशेष प्रकार के पदार्थ के पाचन/अपघटन के लिए विशिष्ट एंजाइम की आवश्यकता होती है।
  • वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, ‘जैव निम्नीकरणीय’ कहलाते हैं।
  • वे पदार्थ जो इस जैविक प्रक्रमों द्वारा अपघटित नहीं होते ‘अजैव निम्नीकरणीय’ कहलाते हैं।
  • अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ सामान्यतः ‘अक्रिय (inert) होते है और लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं अथवा पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुँचाते हैं।
  • परितंत्र : किसी विशेष क्षेत्र के सभी जीवों के जैव एवं अजैव घटक मिलकर एक परितंत्र का निर्माण करते हैं ।
  • एक परितंत्र में रहने वाले सभी सजीवों को जैव घटक कहा जाता है जैसे किसी तालाब में रहने वाले सभी मछली, मेंढक, साँप और कवक और पेड़-पौधें आदि ।
  • एक परितंत्र में मौजूद सभी भौतिक कारक अजैव घटक कहलाते हैं । जैसे -ताप, वर्षा, वायु, मृदा एवं खनिज इत्यादि अजैव घटक है |
  • किसी परितंत्र में उपस्थित अजैव घटक वहाँ के सभी जैव घटकों की वृद्धि, जनन एवं अन्य क्रियाकलापों को प्रभावित करते हैं ।
  • परितंत्र दो प्रकार के होते है : –
    • प्राकृतिक परितंत्र
    • कृत्रिम परितंत्र
  • वन, तालाब और झील प्राकृतिक परितंत्र के उदाहरण है |
  • बगीचा और खेत मानव निर्मित परितंत्र के उदाहरण हैं |
  • जीवन निर्वाह के आधार पर जीवों को तीन वर्गों में बाँटा गया है –
    • उत्पादक
    • उपभोक्ता
    • अपघटक
  • सभी हरे पौधों एवं नील-हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है, उत्पादककहलाते हैं।
  • सभी जीव प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अपने निर्वाह हेतु उत्पादकों पर निर्भर करते हैं|
  • वे जीव जो उत्पादकों द्वारा उत्पादित भोजन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निर्भर रहते हैं उपभोक्ता कहलाते हैं  |
  • जीवाणु और कवक जैसे कुछ जीव मृत जैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं और जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल कार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं इसलिए इन्हें अपघटक या अपमार्जक कहते है |
  • आहार श्रृंखला (Food Chain) : जीवों की वह श्रृंखला जिसके प्रत्येक चरण में एक पोषी स्तर का निर्माण करते हैं जिसमें जीव एक-दुसरे का आहार करते है | इस प्रकार विभिन्न जैविक स्तरों पर भाग लेने वाले जीवों की इस श्रृंखला को आहार श्रृंखला कहते हैं |
    उदाहरण :
    (a) हरे पौधे ⇒ हिरण ⇒ बाघ
    (b) हरे पौधे ⇒टिड्डा ⇒मेंढक ⇒साँप ⇒गिद्ध /चील
    (c) हरे पौधे ⇒बिच्छु ⇒मछली ⇒बगूला
  • जैव आवर्धन (Biological Magnification) :आहार श्रृंखला में जीव एक दुसरे का भक्षण करते हैं | इस प्रक्रम में कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला के माध्यम से एक जीव से दुसरे जीव में स्थानांतरित हो जाते है | इसे ही जैव आवर्धन कहते है |
  • कई आहार श्रृखलाओं में जीवों कई बार अन्य आहार श्रृंखलाओं के जीवों को भी अपना आहार बनाते हैं इसप्रकार एक शाखान्वित श्रृंखलाओं का जाल बनता है इसे ही आहार जाल कहा जाता है |
  • आहार श्रृंखला का एक दूसरा आयाम यह भी है कि हमारी जानकारी के बिना
    ही कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला से होते हुए हमारे शरीर में प्रविष्ट हो जाते हैं। इसी से जैव आवर्धन का सूत्रपात होता है |
  • दो परमाणु वाले ऑक्सीजन के अणु O2 जिससे हम साँस लेते है जो जीवन दायनी है जबकि तीन परमाणु वाला ऑक्सीजन अणु O3 को ओजोन कहते है | यह एक विषैला पदार्थ है |
  • परंतु वायुमंडल के उपरी स्तर में ओजोन एक आवश्यक प्रकार्य संपादित
    करती है। यह सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है। यह पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है। उदाहरण : यह गैस मानव में त्वचा का कैंसर उत्पन्न करती हैं।
  • क्लोरोफ्लुओरो कार्बन (CFCs) से ओजोन को नुकसान पहुँचता है | इसका प्रयोग रेफ्रीजिरेटर एवं अग्निशमन के लिए किया जाता है |

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 289 

प्रश्न 1. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
उत्तर :
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ वे होते है जो छोटे जीवो द्वारा जैविक प्रक्रम में सरल पदार्थ में अपघटित हो जाते है |इसके विपरीत अजैव  निम्नीकरणीय पदार्थ में लंबे समय तक बने रहते है | इनका अपघटन नहीं हो पता तथा ये हानिकारक होते है |

प्रश्न 2. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर :

  1. जैविक पदार्थ के अपघटन से वातावरण बदबूदार हो जाता है |
  2. इनके अपघटन के दैरान कुछ विषैली गैसों उत्पन्न होती है जैसे – CO2 ये पर्यावरण को दूषित करती है |

प्रश्न 3. ऐसे दो तरीके  बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर :

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित न हपने के कारण पर्यावरण में लंबे समय तक रहते है , अत: पर्यावरण को दूषित करते है |
  2. इनसे धरती पर गंदगी फ़ैल रही है | ये सीवरेज व्यवसाथ को भी प्रभावित कर रहे है | उदारहण – प्लास्टिक की थैलियँ |

पेज – 294 

प्रश्न 1. पोषी स्तर क्या हैं? एक आहार शृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए।

उत्तर :
विविध जैविक स्तरों पर हिस्सा लेने वाले जीवो की शृंखला , आहार  शृंखला बनती है |
इसका प्रत्येक चरण एक पोषी स्तर का निर्माण करता है |
घास – कीड़ा – मेढ़क – साँप – गिद्ध

  1. घास आहार  शृंखला का  प्रथम पोषी स्तर है | यह अपना भोजन स्वयं तैयार करती है |
  2. कीड़ा आहार  शृंखला का द्वितीय पोषी स्तर है |
  3. मेढ़क तृतीय पोषी स्तर है तथा यह घास खाता है |
  4. साँप इस  शृंखला  का चौथा पोषी है |
  5. गिद्ध इस  शृंखला  का पाँचवा व अंतिक पोषी स्तर है |

प्रश्न 2. परितंत्र  में अपमार्जकों की क्या भूमिका है?
उत्तर :
जीवाणु तथा कवक आदि सूक्ष्म जीव अवशेषो का अपमार्जन करते है | ये जीव जटिल कार्बनिक पदार्थो को सरल अकार्बनिक पदार्थो में बदल देते है |ये पदार्थ मिट्टी अवशोषित लेती है अतः ये सूक्ष्म जीव पुन : च्रकण में सहयोग करते है तथा पर्यावरण को गंदगी से बचाते है |

पेज – 296

प्रश्न 1. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्रा को किस प्रकार प्रभावित करती है।
उत्तर :
ऑक्सीजन के तीन परमाणु संलागित होकर ओजोन O3 का एक अणु बनाते है | ओजोन की परत वायुमंडल के ऊपरी सतह में होते है यह हमे सूर्य की हानिकारक पराबैगनी विकिरणों को अवशोषित कर लेती है | अत : ओजोन हमे कई बीमारियोँ जैसे त्वचा का कैंसर , अल्सर आदि से सुरक्षा प्रदान करती है |

प्रश्न 2. आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :

  1. हमे अजैविक पदार्थ की तुलना में जैविक पदार्थो का प्रयोग करना चाहिए | हमें  प्लास्टिक की थैली की जगह कागज या , जुट के थैली प्रयुक्त करने चाहिए |
  2. जैविक  कचरे को ऐसी जगह निपटना चाहिए जहाँ से ये पुन : च्रकण के लिए तैयार हो सके |

अभ्यास 

प्रश्न 1. निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं-
(a)  घास, पुष्प तथा चमड़ा |
(b)  घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक |
(c) फलों के  छिलके , वेफक एवं नींबू का रस |
(d) केक, लकड़ी एवं घास |
उत्तर :
(a) , (c) ,(d) |

प्रश्न 2. निम्न से कौन आहार शृंखला का निर्माण करते हैं-
(a)  घास, गेहूँ तथा आम |
(b) घास, बकरी तथा मानव |
(c)  बकरी, गाय तथा हाथी |
(d)  घास, मछली तथा बकरी |
उत्तर :
(b) घास, बकरी तथा मानव |

प्रश्न 3. निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं-
(a)  बाजार जाते समय सामान के  लिए कपड़े का थैला ले जाना |
(b)  कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट ( बल्ब ) तथा पंखे का स्विच बंद करना |
(c)  माँ द्वारा स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के  बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना|
(d)  उपरोक्त सभी |
उत्तर :
(d)  उपरोक्त सभी |

प्रश्न 4. क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के  सभी जीवों को समाप्त कर दें ( मार डाले ) ?
उत्तर :
आहार शृंखला का प्रत्येक पोषी स्तर महत्वपूर्ण है | यदि हम एक पोषी स्तर के जीवो को समाप्त कर दे तो अगले स्तर के जीवों को भोजन नहीं होगा और वे भूखे मरेंगे तथा पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जायेगा | खाघ शृंखला में ऊर्जा का प्रवाह खत्म हो जाएगा |

प्रश्न 5. क्या किसी पोषी स्तर के  सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के  जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है?
उत्तर :
नहीं , यह प्रभाव भिन्न – भिन्न नहीं होगा | किसी भी एक पोषी स्तर के प्रभावित होने पर सभी स्तर एक समान रूप से प्रभावित होगे | इसके अतिरिक्त किसी भी पोषी स्तर  के जीवों को हटाने पर परितंत्र होता है | प्रत्येक पोषी स्तर  अपने से निचले एवं ऊपरी दोनों ही स्तरों को समान रूप से प्रभवित करता है |

प्रश्न 6. जैव आवर्धन  क्या है? क्या पारितंत्र के  विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर :
आहार श्रृंखला में​ रासायनिक अजैविक  पदार्थ का अत्यधिक मात्रा में संचित होना जैव आवर्धन कहलाता है | इसकी सर्वाधिक मात्रा मानव में पाई जाती है भिन्न स्तरों का जैविक  आवर्धन भी भिन्न है | यह मात्रा स्तरों में ऊपर की ओर बढ़ती है |

प्रश्न 7. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर :
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से  पर्यावरण प्रदूषित होता है | ये विघटित नहीं होते | अत: ओनके निपटान की समस्या भी आती है | ये अनेक समस्याएँ उत्पन्न करते है |

  1. परितंत्र के सदस्यों का ह्रास करते है |
  2. जैव आवर्धन  निर्मित करके उसके वृद्धि करते हैं |
  3. जल , भूमि तथा वायु प्रदुषण फैकते  है |

प्रश्न 8. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर :
जैव निम्नीकरणीय कचरा एक सिमित समय तक ही पर्यावरण को  प्रदूषित  करता है | इसके पश्चात नष्ट होने पर समाप्त हो जाता है तथा पुन : चक्रण में भी उपयोगी है | इनके विघटन के पश्चात वातावरण में बदबू तथा विषैली गैसों उत्पन्न होती है |

प्रश्न 9.ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है। इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर :
ओजोन परत O3 सूर्य की हानिकारक  पराबैंगनी विकिरणों से हमारी रक्षा करती है | इसकी क्षति से ये विकिरणों को धरती तक पहुँचकर त्वचा के रोग तथा त्वचा का  कैसर उत्पन्न करता है | अतः यह हमारे लिए चितां का विषय है | क्लोरोफ्लोरो कार्बन जिनका उपयोग रेफ्रिजरेटर एवं अग्निशामक में  होता है , ओजोन को क्षति पहुँचा रहे है | इस क्षति को सिमित करने के लिए हमे क्लोरोफ्लोरो कार्बन  तथा रासायनिक पदार्थ का उपयोग कम से कम करना चाहिए |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

(1 अंक वाले अतिरिक्त प्रश्नोत्तर )

प्रश्न 1. ओजोन परत के अवक्षय के लिए मुख्यत: उत्तरदायी योगिको के समूह का नाम लिखो ?
उत्तर :
क्लोरोफ्लुओरो कार्बन (CFCs) |

प्रश्न 2. पारितंत्र के दो प्राकृतिक सफाई प्रतिनिधिओ (एजेंटों) के नाम बताईये ?
उत्तर :
अपमार्जक (Decomposer) और स्कावेंजर्स (scavengers) |

प्रश्न 3. UNEP का विस्तृत रूप लिखो ?
उत्तर :
यूनाइटेड नेशन्स एनवायरमेंट प्रोग्राम अर्थात् संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम |

प्रश्न 4. किन्ही दो कृत्रिम (मानवनिर्मित) पारितंत्रो के उदहारण लिखिए ?
उत्तर :
जलजीवशाला तथा एक बगीचा |

प्रश्न 5. दो प्राकृतिक पारितंत्रो के नाम लिखो ?
उत्तर :
वन , तालाब तथा झील |

प्रश्न 6. एक हानिकारक रसायन एक खाद्य श्रृखंला में जिसमे मछली , शैवाल तथा चिड़िया है , में सर्वाधिक सांद्रण किसमे लगा है ?
उत्तर :
चिड़िया में सर्वाधिक हानिकारक रसायन का सांद्रण मिलेगा |

प्रश्न 7. पारितंत्र किसे कहते है ?
उत्तर :
किसी क्षेत्र के सभी जीव तथा वातावरण के अजैव कारक संयुक्त रूप से परितंत्र बनाते है |

प्रश्न 8. पारितंत्र में एक पोषी स्तर से अगले पोषी स्तर पर स्थानांतरित होने के लिए उपलब्ध 10% उर्जा किस रूप में जाती है ?
उत्तर :
रासायनिक उर्जा के रूप में |

प्रश्न 9. वे जीव जो सौर उर्जा का प्रयोग करते हुए अकार्बनिक योगिको  से कार्बोहायड्रेट का संश्लेषण कर लेते है |
उत्तर :  उत्पादक |

प्रश्न 10.किसी उच्चतर पोषी स्तर के जीव, जो निम्नतर पोषी स्तर के अंतर्गत आने वाली अनेक प्रकार के जीवो से अपना भरण – पोषण प्राप्त करते है, क्या बनाते है ?
उत्तर :
आहार-जाल |

(2 अंक वाले अतिरिक्त प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. पोषी स्तर किसे कहते है ? जीवो की संख्या अधिकतम किस स्तर पर होती है ?
उत्तर :

  • आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण अथवा कड़ी पोषी स्तर बनाते है |
  • उत्पादक स्तर (प्रथम पोषी स्तर ) पर जीवो की संख्या अधिकतम होती है |

प्रश्न 2. एक जलजीवशाला बनाते समय हमें किन – किन बातो का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर :
किसी जलजीवशाला को बनाते समय निम्न बातो का ध्यान रखना चाहिए:-

  1. इनमे उन जीवो को एकसाथ नहीं रखना चाहिए जो एक – दुसरे को खा जाते है |
  2. इनमें उनके लिए खाना तथा ऑक्सीजन की पूर्ती पर्याप्त मात्रा में करनी चाहिए |

प्रश्न 3. एक स्थलीय परितंत्र में हरे पौधे द्वारा सौर ऊर्जा का कितना प्रतिशत खाद्य ऊर्जा में बदलता है ? प्रत्येक पोषी स्तर पर इस ऊर्जा का कितना प्रतिशत भाग अगले स्तर के लिए उपलब्ध होता है?
उत्तर :
एक स्थलीय परितंत्र में हरे पौधे द्वारा सौर ऊर्जा का केवल 1% प्रतिशत खाद्य ऊर्जा में बदलता है | और प्रत्येक पोषी स्तर पर इस ऊर्जा का केवल 10%प्रतिशत भाग अगले स्तर के लिए उपलब्ध होता है |

प्रश्न 4. किसी आहार श्रृंखला में चार से अधिक पोषी स्तर क्यों पाए जाते हैं ?
उत्तर :
उर्जा प्रवाह के 10% नियम के अनुसार पाँचवें और उससे आगे के पोषी अत्र के जीवों को मिलाने वाली उर्जा बहुत कम हो जाती है जो उसके जीवन के लिए पर्याप्त चरण पर अत्यधिक उर्जा का ह्रास होता हैं |

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13 Magnetic Effects of Electric Current (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13 Magnetic Effects of Electric Current (Hindi Medium)

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Chapter 13. विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

अध्याय-समीक्षा

  • प्राकृतिक चुंबक को मैग्नेटाईट के नाम से जाना जाता है |
  • दिकसूचक सुई का उतरोन्मुखी सिरा ठीक उतर की ओर संकेत न करके लगभग उतर की ओर संकेत करता है। दिकसूचक पठन में होने वाले इस विचलन को चुम्बकीय दिक्पात कहते है ।
  • बेलन की आकृति में लपेटे तार की अनेक वृत्ताकार फेरों को परिनलिका कहते है ।
  • 19वीं शताब्दी के अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक, हैंस क्रिश्चियन ऑर्स्टेड ने वैद्युतचुंबकत्व को समझने में एक निर्णायक भूमिका निभाई। सन् 1820 ई. में उन्होंने अकस्मात यह खोजा कि किसी धातु के तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पास में रखी दिक्कसूची में विक्षेप उत्पन्न हुआ।
  • अपने प्रेक्षणों के आधार पर ऑर्स्टेड ने यह प्रमाणित किया कि विद्युत तथा चुंबकत्व परस्पर संबंधित परिघटनाएँ हैं। उनके अनुसंधन ने आगे जाकर नयी-नयी प्रौद्योगिकियों जैसे-रेडियो, टेलीविजन, तंतु प्रकाशिकी आदि का सृजन किया। उन्हीं के सम्मान में चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ऑर्स्टेड रखा गया है।
  • दिक्सूची एक छोटा चुंबक होता है। इसका एक सिरा जो उत्तर की ओर संकेत करता है उत्तर ध्रुव कहलाता है, तथा दूसरा सिरा जो दक्षिण की ओर संकेत करता है दक्षिण ध्रुव कहलाता है।
  • किसी चुंबक के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र होता है जिसमें उस चुंबक के बल का संसूचन किया जा सकता है।
  • किसी चुंबकीय क्षेत्र के निरूपण के लिए चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का उपयोग किया जाता है। चुंबकीय क्षेत्र रेखा वह पथ है जिसके अनुदिश कोई परिकल्पित स्वतंत्र उत्तर ध्रुव गमन करने की प्रवृत्ति रखता है।
  • चुंबकीय क्षेत्र के किसी बिंदु पर क्षेत्र की दिशा उस बिंदु पर रखे उत्तर ध्रुव की गति की दिशा द्वारा दर्शायी जाती है। जहाँ चुंबकीय क्षेत्र प्रबल होता है, वहाँ क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे के निकट दिखाई जाती हैं।
  • किसी विद्युत धरावाही धातु के तार से एक चुंबकीय क्षेत्र संबद्ध होता है। तार के चारों ओर क्षेत्र रेखाएँ अनेक संकेंद्री वृतों के रूप में होता है | दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।
  • विद्युत चुंबक में नर्म लौह-क्रोड होता है जिसके चारों ओर विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली लिपटी रहती है।
  • कोई विद्युत धरावाही चालक चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर बल का अनुभव करता है। यदि चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युत धारा की दिशाएँ परस्पर एक-दूसरे के लंबवत हैं तब चालक पर आरोपित बल की दिशा इन दोनों दिशाओं के लंबवत होती है, जिसे फ्रलेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा प्राप्त किया जाता है।
  • विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करती है।
  • वैद्युतचुंबकीय प्रेरण एक ऐसी परिघटना है जिसमें किसी कुंडली में, जो किसी ऐसे क्षेत्र में स्थित है जहाँ समय के साथ चुंबकीय क्षेत्र परिवर्तित होता है, एक प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
  • चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन किसी चुंबक तथा उसके पास स्थित किसी कुंडली के बीच आपेक्षित गति के कारण हो सकता है। यदि कुंडली किसी विद्युत धरावाही चालक के निकट रखी है तब कुंडली से संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र या तो चालक से प्रवाहित विद्युत धारा में अंतर के कारण हो सकता है अथवा चालक तथा कुंडली के बीच आपेक्षित गति के कारण हो सकता है।
  • प्रेरित विद्युत धारा की दिशा फ्रलेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम द्वारा प्राप्त की जाती है।
  • विद्युत जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है। यह वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के आधार पर कार्य करता है।
  • हम अपने घरों में प्रत्यावर्ती विद्युत शक्ति 220 V पर प्राप्त करते हैं जिसकी आवृत्ति 50 Htz है। आपूर्ति का एक तार लाल विद्युतरोधन युक्त होता है जिसे विद्युन्मय तार कहते हैं। दूसरे पर काला विद्युतरोधन होता है जिसे उदासीन तार कहते हैं। इन दोनों तारों के बीच 220 V का विभवांतर होता है। तीसरा तार भूसंपर्क तार होता है जिस पर हरा विद्युतरोधन होता है। यह तार भूमि में गहराई पर दबी धातु की प्लेट से संयोजित होता है।
  • भूसंपर्कण एक सुरक्षा उपाय है जो यह सुनिश्चित करता है कि साधित्र धात्विक आवरण में यदि विद्युत धारा का कोई भी क्षरण होता है तो उस साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को गंभीर झटका न लगे।
  • विद्युत परिपथों की लघुपथन अथवा अतिभारण के कारण होने वाली हानि से सुरक्षा की सबसे महत्वपूर्ण युक्ति फ्यूज है।

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 250 :

प्रश्न 1. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर:
चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित इसलिए हो जाती है क्योंकि दिक्सूचक की सुई की नोक चुम्बक के ध्रुव की भांति कार्य करता है | जब सुई को दंड चुंबक के पास लाया जाता है जो ये सुई को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करता है जिससे विक्षेपित होता है |

पेज – 255 :

प्रश्न 1. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13 Magnetic Effects of Electric Current (Hindi Medium) 1

प्रश्न 2. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं –

  1. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में समाहित हो जाती है |
  2. चुम्बक के अंदर, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा इसके दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होता है |
  3. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बंद वक्र होती हैं |
  4. जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए घनी होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र मजबूत होता है |
  5. दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी एक दुसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं |

प्रश्न 3. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक – दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती  है क्योंकि   प्रतिच्छेद बिन्दु पर दिक् सूची रखने पर दो दिशाओं की ओर संकेत करेगा जो संभव नहीं हैं ।

पेज –  256 – 257 :

प्रश्न 1. मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दी गई आकृति एक वृताकार पाश का है जिसकी चुंबकीय क्षेत्र को दर्शाया गया है | दक्षिण अंगुष्ठ नियम लागु करने पर हम पाते हैं कि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के अंदर मेज के तल की लंबवत बाहर की ओर निर्देशित होती है जबकि पाश के बहार यह अंदर की ओर निर्देशित होती है |
"NCERT

प्रश्न 2. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर:
जब किसी क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान हो तो रेखायें एक-दुसरे के समान्तर, समान दुरी पर और समान लंबाई की होती हैं |
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13 Magnetic Effects of Electric Current (Hindi Medium) 3.jpg

प्रश्न 3. सही विकल्प चुनिएः
किसी विद्युत धरावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र-

(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(d) सभी बिन्दुओं पर सामान रहता है |
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13 Magnetic Effects of Electric Current (Hindi Medium) 4

पेज – 259 : 

प्रश्न 1. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुबंकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान,
(b) चाल,
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर:
(c) वेग और (d) संवेग

प्रश्न 2. क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए, और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर:
(i) यदि छड AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए तो छड के विस्थापन में भी वृद्धि होती है |
(ii) यदि अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए तो छड AB का विस्थापन भी बढेगा |
(iii) यदि छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए तो इस पर लगने वाला बल भी बढेगा क्योंकि विस्थापन बढ़ता है |

प्रश्न 3. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फ़ा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर:
(d) उपरिमुखी

पेज – 261 : 

प्रश्न 1. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
उत्तर:
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम :
इस नियम के अनुसार, अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत हों |यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्रा की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा। इसी नियम को फ्लेमिंग का वामहस्त नियम कहते है |
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13 Magnetic Effects of Electric Current (Hindi Medium) 5

प्रश्न 2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर:
विद्युत मोटर का सिद्धांत :
विद्युत मोटर का कार्य करने का सिद्धांत विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधारित है | चुंबकीय क्षेत्र में लौह-क्रोड़ पर लिपटी कुंडली से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह एक बल का अनुभव करती है | जिससे मोटर का आर्मेचर चुंबकीय क्षेत्र में घूमने लगता है | कुंडली के घूमने की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार होता है | यही विद्युत मोटर का सिद्धांत हैं |

प्रश्न 3. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्-परिवर्तक का कार्य करता है | दिक्-परिवर्तक एक युक्ति है जो परिपथ में विद्युत-धारा के प्रभाव को उत्क्रमित कर देता है |

पेज – 264 : 

प्रश्न 1. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए |
उत्तर:

  1. कुन्डली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति कराकर ।
  2. कुन्डली के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन कराकर ।

पेज – 265 – 266 :

प्रश्न 1. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए |
उत्तर:
विद्युत जनित्र का सिद्धांत विद्युत चुंबकीय प्रेरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन ) पर आधारित है | जब एक आयताकार कुंडली को एक सामान चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो यह कुंडली के सिरों पर प्रेरित विद्युत उत्पन्न करता है | यही विद्युत जनित्र का सिद्धांत है |

प्रश्न 2. दिष्ट धारा के कुछ स्रोत के नाम लिखिए |
उत्तर:
सेल, बैट्री और D.C जनित्र या डायनेमो आदि दिष्ट धारा के स्रोत हैं |

प्रश्न 3. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों का नाम लिखिए |
उत्तर:
A.C जनित्र और इनवर्टर आदि जो प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं |

प्रश्न 4. सही विकल्प का चयन कीजिए –
ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुंडली प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है?

(a) दो
(b) एक
(c) आधा
(d) चौथाई
उत्तर:
(c) आधा

पेज – 267 

प्रश्न 1. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम हैं –

  1. फ्यूज का उपयोग |
  2. भूमि संपर्क तार का उपयोग |

प्रश्न 2. 2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220 V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 । है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विद्युत तंदूर की शक्ति (P) = 2 kW = 2000 W
अत: विद्युत तंदूर द्वारा ली गई धारा (I) = P/V
= 2000/220 = 9 A (लगभग)
जबकि विद्युत परिपथ का विद्युत धारा अनुमतांक 5 A है और तंदूर 9 A की दर से धारा लेता है, इसलिए यह परिपथ अतिउष्मता अथवा अतिभारण के कारण टूट जायेगा |

प्रश्न 3. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर: घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए |

  1. एक अकेले शोकेट से एक से अधिक उपकरण नहीं जोड़ने चाहिए |
  2. हमेशा परिपथ में विद्युत उपकरण पार्श्व क्रम में ही संयोजित करने चाहिए |
  3. परिपथ में उपयुक्त फ्यूज का उपयोग करना चाहिए |
  4. अतिभारण से बचाने के लिए एक ही समय में अधिक विद्युत उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए |

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धरावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उदभव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

प्रश्न 2. वैद्युतचुंबकीय प्रेरण की परिघटना-
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर:
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैंμ
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर:
(a) जनित्र

प्रश्न 4. किसी ac जनित्रा तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि-
(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि कब जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि कब जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान-
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए-
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकर विद्युत धरावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है। (गलत)
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। (सही)
(c) किसी लंबी वृत्ताकर विद्युत धरावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है। (सही)
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है। (गलत)

प्रश्न 7. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।

प्रश्न 8. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धरावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धरण कर सकते हैं?

प्रश्न 9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धरावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?

प्रश्न 10. मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्रा द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्रा की दिशा क्या है?

प्रश्न 11. विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सि(ांत तथा कार्यविध् िस्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है?

प्रश्न 12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।

प्रश्न 13. कोई विद्युतरोध्ी ताँबे के तार की वुंफडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक-
;पद्ध वुंफडली में ध्केला जाता है।
;पपद्ध वुंफडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।
;पपपद्ध वुंफडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।

प्रश्न 14. दो वृत्ताकार वुंफडली । तथा ठ एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि वुंफडली । में विद्युत धरा में कोई
परिवर्तन करें तो क्या वुंफडली ठ में कोई विद्युत धरा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।

प्रश्न 15. निम्नलिखित की दिशा को निर्धरित करने वाला नियम लिखिएμ
;पद्ध किसी विद्युत धरावाही सीध्े चालक के चारांे ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्रा,
;पपद्ध किसी चुंबकीय क्षेत्रा में, क्षेत्रा के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीध्े चालक पर आरोपित बल,
तथा
;पपपद्ध किसी चुंबकीय क्षेत्रा में किसी वुंफडली के घूर्णन करने पर उस वुंफडली में उत्पन्न प्रेरित
विद्युत धारा।

प्रश्न 16. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्रा का मूल सि(ांत तथा कार्यविध् िस्पष्ट कीजिए। इसमें
ब्रुशों का क्या कार्य है?

प्रश्न 17. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?

प्रश्न 18. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धतु के आवरण वाले विद्युत साध्त्रिों को भूसंपर्कित करना क्यों
आवश्यक है?

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 16 Management of Natural Resources (Hindi Medium)

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Chapter 16. प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

अभ्यास

प्रश्न 1: अपने घर को पर्यावरण – मित्र बनाने के लिए आप उसमे कौन -कौन परिर्वतन सुझा सकतें हैं?
उत्तर :-

  1. कम उपयोग – इसका अर्थ हैं  की आपको कम, से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए करना चाहिए ; जैसे – बिजली के पंखे एवचं बल्ब का स्विच बंद कर देना , खराब नल की मरम्मत करना , ताकि जल व्यर्थ टपके आदि |
  2. पुन : चक्रण – इसका अर्थ हैं की आपको प्लास्टिक , कागज और धातु की वस्तुओ को कचरे में नही फेकना चाहिए बल्कि उनका उपयोग करना चाहिए |
  3. पुनः उपयोग – यह पुन : चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि उसमे भी कुछ ऊर्जा व्यय होती है |इसमें हम किसी वस्तु का उपयोग बार – बार कर सकते है |

प्रश्न 2: इस अध्याय हमने देखा की जब वन हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं | इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं आप ऐसा क्यों सोचते हैं ?
उत्तर :-
वन एवं वन्य जन्तुओं के चारों दावेदारों में से वन के अन्दर एवं इसकेनिकते रहने वाले स्थानीय लोग सर्वाधिक उपयुक्त हैं , क्योकिं वे सदियों से वनों का उपयोग संपोषित तरीकों से करते चले आ रहे हैं | वे वृक्षों के ऊपर चढ़कर कुछ शाखाएं एवं पत्तियां ही काटते हैं , जिससे समय केव साथं – साथ उनका पुन : पूरण भी होता रहता हैं | इसके अनेक प्रमाण तथा बेकार कहे जाने वाले वन मूल्य 12.5 करोड़ आँका होगा |

प्रश्न 3:- अकेले व्यकित के रूप भिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए किया कर सकते है ?
उत्तर :
प्राकृतिकं पदों की खपत कम निम्न तरीको से की जा सकती है-

  1. CFls का प्रयोग कर |
  2. सौर कूकर , सौर जल उष्मक का प्रयोग कर कोयले करोसीन और LPG की बचत की जा सकती हैं |
  3. टपकने वाले नलों की मरम्मत  कर हम पानी की बचत कर सकते हैं |
  4. रेड लाइट , पर कार या एनी वाहनों को बंद करके पेट्रोल / डीजल की बचत की जा सकती हैं |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 (1 अंक वाले अतिरिक्त प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. जल का संदूषित होना किस वर्ग के जीवाणु की उपस्थिति को दर्शाता हैं ?
उत्तर : कोलीफार्म जीवाणु |

प्रश्न 2. जैव विविधता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जैव विविधता का अर्थ है किसी क्षेत्र में पाए जाने वाली पादपजात और प्राणी जात की विभिन्न स्पीशीज |

प्रश्न 3. जीवाश्म इंधनों का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करना क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर :
जीवाश्म इंधनों का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करना आवश्यक हैं क्योंकि यह सीमित एवं अनविकरणीय हैं तथा इससे प्रदूषण बढ़ता हैं |

प्रश्न 4. GAP का पूरा नाम लिखो ? 
उत्तर :
गंगा एक्शन प्लान |

प्रश्न 5. चिपको आन्दोलन कहा हुआ था ?
उत्तर :
चिपको आन्दोलन गढ़वाल के “रैनी” नामक गाँव में हुआ था |

प्रश्न 6. “चिपको आन्दोलन” का क्या कारण था ?
उत्तर : 
चिपको आन्दोलन स्थानीय निवासियों को वनों से अलग करने की नीति का परिणाम था | गाँव के समीप वृक्ष काटने का अधिकार ठेकेदारों को दे दिया गया था , इसीलिए चिपको आन्दोलन हुआ |

प्रश्न 7. जैव विविधता के नष्ट होने से क्या प्रभाव हो सकता है ?
उत्तर :
जैव विविधता के नष्ट होने पर पारिस्थितिक स्थायित्व नष्ट हो जाता हैं |

प्रश्न 8. हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान के जल संग्रहण की एक – एक पारंपरिक व्यवस्था का नाम बताइए ?
उत्तर :

  • हिमाचल प्रदेश – कुल्ह
  •  राजस्थान – खादिन

प्रश्न 9. MPN (एम० पी० एन ) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
MPN = MOST PROBABLE NUMBER : सार्वप्रायिक संख्या |

प्रश्न 10. अलवण जलीय पौधे और जंतुओ के जीवन के लिए सबसे अधिक सहायक pH परास क्या हैं ?
उत्तर :
6.5 – 7.5 |

प्रश्न 11. एक सफल वन संरक्षण क्रियानीति में क्या शामिल होना चाहिए ?
उत्तर :
एक सफल वन संरक्षण क्रियानीति में सभी भौतिक और जैविक संघटकों के संरक्षण के लिए व्यापक कार्यक्रम शामिल होना चाहिए |

प्रश्न 12. कोयला तथा पेट्रोलियम के दहन से कौन – कौन सी विषैली गैसें निकलती हैं ?
उत्तर :
नाइट्रोज एवं सल्फर के ऑक्साइड तथा कार्बन मोनो ऑक्साइड विषैली गैसें हैं |

प्रश्न 13.प्राकृतिक संसाधन किसे कहते है ? 
उत्तर :
वे सभी पदार्थ जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते है तथा जिनका हम उपयोग करते है प्राकृतिक संसाधन कहलाते है |

प्रश्न 14. खनन प्रदुषण किसे कहते है ? 
उत्तर :
खनन प्रदुषण इसलिए होता है क्योंकि धातु के निष्कर्षण के साथ बड़ी मात्रा में धातुमल भी निकलता है |

प्रश्न 15. जल संभर प्रबंधन क्या है ?
उत्तर :
जल संभर प्रबंधन का तात्पर्य है जल एवं मिटटी का संरक्षण करना ताकि जैव मात्रा का उत्पादन में वृद्धि हो सके |

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium)

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Chapter 12. विद्युत

अध्याय-समीक्षा 

  • कांच कि छड को जब रेशम के धागे से रगडा जाता है तो इससे प्राप्त आवेश को धन आवेश कहते हैं|
  • एबोनाईट कि छड को ऊन के धागे से रगडा जाता है तो इस प्रकार प्राप्त आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है |
  • इलेक्ट्रानों कि कमी के कारण धन आवेश उत्पन्न होता है |
  • इलेक्ट्रानों कि अधिकता से ऋण आवेश उत्पन्न होता है |
  • समान आवेश एक दुसरे को प्रतिकर्षित करती हैं |
  • असमान आवेश एकदूसरे को आकर्षित करती हैं |
  • जब विद्युत आवेश विराम कि स्थिति में रहती हैं तो इसे स्थैतिक विद्युत कहते हैं |
  • जब विद्युत आवेश गति में होता है तो इसे धारा विद्युत कहते हैं |
  • विद्युत आवेश के बहाव को विद्युत धारा कहते है |
  • विद्युत धारा किसी चालक/तार से होकर बहता है |
  • विद्युत धारा एक सदिश राशि है |
  • इलेक्ट्रोंस बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल पर ऋण आवेश के द्वारा प्रतिकर्षित होते हैं तथा धन टर्मिनल पर धन आवेश पर आकर्षित होते हैं | इसलिए इलेक्ट्रोंस ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं |
  • वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत आवेश को आसानी से प्रवाहित होने देते हैं चालक कहलाते हैं | उदाहरण : तांबा, सिल्वर, एल्युमीनियम इत्यादि |
  • अच्छे चालक धारा के प्रवाह का कम प्रतिरोध करते हैं |
  • कुचालकों का धारा के प्रवाह की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है |
  • वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं होने देते हैं वे पदार्थ विद्युत के कुचालक कहलाते हैं | उदाहरण : रबड़, प्लास्टिक, एबोनाईट और काँच इत्यादि |
  • चालकता किसी चालक का वह गुण है जिससे यह अपने अंदर विद्युत आवेश को प्रवाहित होने देते हैं |
  • अतिचालकता किसी चालक में होने वाली वह परिघटना है जिसमें वह बहुत कम ताप पर बिल्कुल शून्य विद्युत प्रतिरोध करता है |
  • कूलाम्ब का नियम : किसी चालक के दो बिन्दुओं के बीच आवेशों पर लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल, आवेशों के  गुणनफल (q1,q2) के अनुक्रमानुपाती होते हैं और उनके बीच की दुरी (r) के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होते हैं | 

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 222

प्रश्न 1. विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर :

प्रश्न 2. विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर : 

प्रश्न 3. एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर : 

पेज – 224

प्रश्न 1. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर : 

प्रश्न 2. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओ के बीच विभवांतर 1V है?
उत्तर : 

प्रश्न 3. 6 V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर : 

पेज – 232

प्रश्न 1. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर : 

प्रश्न 2. समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों?
उत्तर : 

प्रश्न 3. मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर : 

प्रश्न 4. विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के बनाए जाते हैं?
उत्तर : 

प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिएः
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
उत्तर : 

पेज – 237

प्रश्न 1. किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2 V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5 Ω प्रतिरोधक, एक 8 Ω प्रतिरोधक, एक 12 Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर : 

प्रश्न 2. प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभावांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
उत्तर : 

पेज – 240

प्रश्न 1. जब (a) 1 Ω तथा 106 Ω (b) 1 Ω, 103 Ω तथा 106 Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निर्णय करेंगे।
उत्तर : 

प्रश्न 2. 100 Ω का एक विद्युत लैम्प, 50 Ω का एक विद्युत टोस्टर तथा 500 Ω का एक जल फ़िल्टर 220 V के विद्युत स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। उस विद्युत इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत इस्तरी से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होती है?
उत्तर : 

प्रश्न 3. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:

प्रश्न 4. 2 Ω, 3 Ω तथा 6 Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 4 Ω, (b) 1 Ω हो?
उत्तर:

प्रश्न 5. 4 Ω, 8 Ω, 12 Ω तथा 24 Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से (a) अधिकतम (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके |
उत्तर: 

पेज – 242

प्रश्न 1. किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर:

प्रश्न 2. एक घंटे में 50 W विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न उष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर :

प्रश्न 3. 20 Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत इस्तरी 5 A विद्युत धारा लेती है। 30 s में उत्पन्न उष्मा परिकलित कीजिए।
उत्तर : 

पेज – 245

प्रश्न 1. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर: 

प्रश्न 2. कोई विद्युत मोटर 220 V के विद्युत स्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
उत्तर : 

अभ्यास-प्रश्नावली 

प्रश्न 1. प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R′ अनुपात का मान
क्या है-
(a)  1/25
(b)  1/5
(c)   5
(d)   25
उत्तर: (d)   25

NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 1

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता?
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R
उत्तर:
(b) IR2
हल: P = VI = I2R = V2/R

प्रश्न 3. किसी विद्युत बल्ब का अनुमंताक 220 V; 100 W है। जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है?
(a) 100 W
(b) 75 W
(c) 50 W
(d) 25 W
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 2

प्रश्न 4. दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1:2
(b) 2:1
(c) 1:4
(d) 4:1
उत्तर: (c) 1:4
हल :
चालक के पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं,
∴  R1 = R2  ….. (1)
माना श्रेणी क्रम में जुड़े प्रतिरोध का तुल्य प्रतिरोध R = R1 + R2 = 2R1 (समी० 1 से)
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 3
श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 4

प्रश्न 5. किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
उत्तर:
वोल्टमीटर को हमेशा पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है ।

प्रश्न 6. किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 × 10–8 Ω m है। 10 Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?
उत्तर:
तार का व्यास d = 0.5 mm
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 5
चूँकि प्रतिरोध R तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है ।
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 6

प्रश्न 7. किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत धाराओं I के संगत मान आगे दिए गए हैं।
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 7
V तथा I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12 Electricity (Hindi Medium) 8

प्रश्न 8. किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12 V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
उत्तर :-
वोल्ट = 12v ,

प्रश्न 9. 9 V की किसी बैटरी को 0.2 Ω, 0.3 Ω, 0.4 Ω , 0.5 Ω तथा 12 Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12 Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी?

प्रश्न 10. 176 Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत स्रोत से संयोजन से 5 A विद्युत धारा प्रवाहित हो?

प्रश्न 11. यह दर्शाइए कि आप 6 Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध (i) 9 Ω, (ii) 4 Ω हो।

प्रश्न 12. 220 V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10 W है। यदि 220 V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5 A है तो इस लाइन के दो तारों वेफ बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते है?

प्रश्न 13. किसी विद्युत भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 24 Ω है तथा इन्हें पृथक-पृथक, श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220 V विद्युत स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं?

प्रश्न 14. निम्ललिखित परिपथों में प्रत्येक में 2 Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिएः
(i) 6 V की बैटरी से संयोजित 1 Ω तथा 2 Ω श्रेणीक्रम संयोजन
(ii) 4 ट बैटरी से संयोजित 12 Ω तथा 2 Ω का पार्श्वक्रम संयोजन।

प्रश्न 15. दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W; 220 V तथा दूसरे का 60 W; 220 Vहै, विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत मेंस से कितनी धारा ली जाती है?

प्रश्न 16. किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है: 250 W का टी.वी. सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120 W का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?

प्रश्न 17. 8 Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15 A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।

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NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 11 Human Eye and Colourful World (Hindi Medium)

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Chapter 11. मानव-नेत्र एवं रंगबिरंगी दुनियाँ

अध्याय-समीक्षा

  • मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान एवं सुग्राही ज्ञानेंद्रिय हैं। यह कैमरे की भांति कार्य करता हैं ।
  • हम इस अद्भूत संसार के रंग बिरंगे चीजो को इसी द्वारा देख पाते हैं। इसमें एक क्रिस्टलीय लेंस होता है।
  • प्रकाश सुग्राही परदा जिसे रेटिना या दृष्टिपटल कहते हैं इस पर प्रतिबिम्ब बनता हैं ।
  • प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता हैं। इस झिल्ली को कॉर्निया कहते हैं ।
  • कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है। जिसे परितारिका कहते हैं।
  • यह पुतली के साइज को नियंत्रित करती है। जबकि पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को नियंत्रित करता हैं।
  • लेंस दूर या नजदीक के सभी प्रकार के वस्तुओं का समायोजन कर वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाता है।
  • अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता हैं समंजन क्षमता कहलाती हैं।
  • ऐसा नेत्र की वक्रता में परिवर्तन होन पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती हैं ।
  • नेत्र की वक्रता बढ़ने पर फोकस दूरी घट जाती हैं। जब नेत्र की वक्रता घटती हैं तो फोकस दूरी बढ़ जाती है।
  • एक स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए देखने की न्यूनतम दुरी 25 cm होती है |
  • कभी कभी अधिक उम्र के कुछ व्यक्तियों में क्रिस्टलीय लेंस पर एक धुँधली परत चढ़ जाती है। जिससे लेंस दूधिया तथा धुँधली हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिन्द कहते हैं। इसे शल्य चिकित्सा के द्वारा दूर किया जाता हैं।
  • कभी कभी नेत्र धीरे – धीरे अपनी समंजन क्षमता खो देते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति वस्तुओं को आराम से सुस्पष्ट नही देख पाते हैं। नेत्र में अपवर्तन दोषो के कारण दृष्टि धुँधली हो जाती हैं। इसे दृष्टि दोष कहते हैं।
  • निकट-दृष्टि दोष (मायोपिया) में कोई व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु दूर रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का दूर बिन्दु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता हैं ।
  • इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर न बनकर दृष्टिपटल के सामने बनता है। इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अपसारी (अवतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।
  • दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) में कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु निकट रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का निकट बिन्दु समान्य निकट बिन्दू 25 सेमी पर न होकर दूर हट जाता हैं ।इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल पर न बनकर दृष्टिपटल के पीछे बनता है।
  • ऐसे व्यक्ति को स्पष्ट देखने के लिए पठन सामग्री को नेत्र से 25 सेमी से काफी अधिक दूरी पर रखना पडता हैं । इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अभिसारी (उतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।
  • आयु में वृद्धि होने के साथ साथ मानव नेत्र की समंजन – क्षमता घट जाती हैं। अधिकांश व्यक्तियों का का निकट बिन्दु दूर हट जाता हैं इस दोष को जरा दूरदृष्टिता कहते है । इन्है पास की वस्तुए अराम से देखने में कठिनाई होती हैं।
  • यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे धीरे दुर्बल होने के कारण तथा क्रिस्टलीय लेंस की लचीलेपन में कमी के कारण उत्पन्न होता हैं ।
  • इसे द्विफोकसी लेंस के उपयोग से दूर किया जा सकता है।
  • पृथ्वी के उपर वायुमंडल में जैसे – जैसे हम ऊपर जाते हैं, वायु हल्की होती जाती हैं । सुर्योदय होने के पहले एवं सुर्यास्त होने बाद सूर्य से चलने वाली किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तित  होकर हमारी आँख तक पहुँच जाती हैं । जब हम इन किरणों को सीधा देखते हैं तो हमें सूर्य की अभासी प्रतिबिम्ब क्षैतिज से उपर दिखाई देता है।
  • रेटिना पर बनने वाली प्रतिबिंब की प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा होता है |
  • सूर्य के प्रकाश के वर्ण निम्न वर्णक्रम में दिखाई देते हैं – बैगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, एवं लाल ।

पाठगत-प्रश्न:

पेज – 211

प्रश्न 1. नेत्रा की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
मानव को दूर तथा पास की वस्तुएँ पूर्णत: देखते के लिए नेत्र सुनियोजित करते पड़ते है | इस प्रकार मानव के अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिससे वह अपनी फोकस दुरी कोण सुनियोजित कर लेता है , समाजंन क्षमता कहलाती है |

प्रश्न 2. निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने वेफ लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर :
अवतल लेंस |

प्रश्न 3. मानव नेत्रा की सामान्य दृष्टि के  लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर :
सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिदुं नेत्र से अनंत दुरी तक तथा निकट बिंदु नेत्र से 25CM की दुरी पर होती है |

प्रश्न 4. अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट  पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीडि़त है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर :
इस विद्यार्थी को निकट – दृष्टि दोष है निकट दृष्टि दोष ( मायोपिया ) को किसी उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस द्वारा संशोधित किया जाता है |

अभ्यास

प्रश्न 1. मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का कारण है | 
(a) जरा-दूरद्दष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर :
(b) समंजन |

प्रश्न 2. मानव नेत्रा जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं वह है |
(a) कॉर्निया

(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर :
(d) दृष्टिपटल |

प्रश्न 3. सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग-
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5m
उत्तर :
(a) 25 cm |

प्रश्न 4. अभिनेत्रा लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है |
(a) पुतली द्वारा

(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर :
(c) पक्ष्माभी द्वारा |

प्रश्न 5. किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोध्ति करने के लिए -5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संधोजिन करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधिन करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी –
(a) दूर की दृष्टि के लिए |
(b) निकट की दृष्टि के लिए ।
उत्तर : 

प्रश्न 6.  किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर : 

प्रश्न 7.  चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है।
उत्तर : 

प्रश्न 8.  सामान्य नेत्र 25 cm  से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर :
मानव की सुस्पष्ट देखने की न्यूनतम दुरी 25cm है | 25cm से कम दुरी पर रखी हुई वस्तु से टकरकार प्रतिबिंब हुए प्रकाश की किरणों का दृष्टिपटल पर वस्तु सुस्पष्ट नहीं दिखाई देगी | क्योंकि मानव नेत्र की क्षमता 25cm से बढाई नहीं जा सकता है |

प्रश्न 9. जब हम नेत्रा से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी का क्या होता है?
उत्तर :
प्रतिबिंब दूरी सदैव एक जैसी रहती है | इसका कारण है कि वस्तु की दुरी मानव नेत्र के लेंस की फोकस दुरी इस प्रकार समायोजित हो जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टि पटल पर ही बने |

प्रश्न 10. तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी के वायुमंडल का अपवर्तनांक निरंतर परिवर्तित होता रहता है | आँखों में प्रवेश करने वाला तारों का प्रकाश निरंतर अपवर्तन के कारण अनियमित रहता है एवं उस झिलमिलाहट के कारण तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते है |

प्रश्न 11. व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते ?
उत्तर :
ग्रहों से पृथ्वी की दुरी काफी कम है | ग्रह प्रकाश के भंडार होते है | जो प्रकाश किरणें ग्रहों से आती है उनमें अपवर्तन नहीं होता है | निकटता व प्रकाश का भंडार होने के साथ – साथ उनकी स्थिति में परिवर्तन नहीं होता अत: वे टिमटिमाते हुए प्रतीत नहीं होते |

प्रश्न 12.  सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर :
सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज पर होता है | उस स्थिति में सूर्य की किरणें पहले पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की मोटी परतों तक पहुँचती है उसके पश्चात् हमारी  आँखों तक | कम तंरग दैधर्य के प्रकाश के अधिकतर भाग का वायुमंडल के कणों द्वारा प्रकीर्णन हो जाता है | इस प्रकार केवल लंबी प्रकाश किरणें (लाल) हमारे नेत्रों में प्रवेश कर पाती है और हमें सूर्य रक्ताभ प्रतीत होती है |

प्रश्न 13.  किसी अतंरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर : 
अतंरिक्ष पर वायुमंडल ना होने के कारण वहाँ प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है, क्योंकि वायु के महीन कण ही प्रकाश को प्रकिर्णित करते है | यही कारण है कि अतंरिक्ष यात्रियों को आकाश काला दिखाई देता है |

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1: मानव नेत्र का एक सवच्छ एवं नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर : 

प्रश्न 2: मानव नेत्र क्या है ? इसका कार्य विधि एव विभिन्न अंगको का वर्णन करो।
उत्तर :
मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान एवं सुग्राही ज्ञानेंद्रिय हैं। यह कैमरे की भांति कार्य करता हैं । हम इस अद्भूत संसार के रंग बिरंगे चीजो को इसी द्वारा देख पाते हैं। इसमें एक क्रिस्टलीय लेंस होता है। प्रकाश सुग्राही परदा जिसे रेटिना या दृष्टिपटल कहते हैं इस पर प्रतिबिम्ब बनता हैं । प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर नेत्र में प्रवेश करता हैं। इस झिल्ली को कॉर्निया कहते हैं । कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है। जिसे परितारिका कहते हैं। यह पुतली के साइज को नियंत्रित करती है। जबकि पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को नियंत्रित करता हैं। लेंस दूर या नजदीक के सभी प्रकार के वस्तुओं का समायोजन कर वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाता है।

प्रश्न 3: नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता हैं समंजन क्षमता कहलाती हैं। ऐसा नेत्र की वक्रता में परिवर्तन होन पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती हैं । नेत्र की वक्रता बढ़ने पर फोकस दूरी घट जाती हैं। जब नेत्र की वक्रता घटती हैं तो फोकस दूरी बढ़ जाती है।

प्रश्न 4: किसी वस्तु को देखने के लिए न्युनतम दूरी कितनी होती हैं ?
उत्तर :
25 सेंटीमीटर ।

प्रश्न 5: मोतियाबिन्द क्या है ? इसे कैसे दूर किया जाता हैं ?
उत्तर :
कभी कभी अधिक उम्र के कुछ व्यक्तियों में क्रिस्टलीय लेंस पर एक धँुधली परत चढ़ जाती है। जिससे लेंस दूधिया तथा धुँधली हो जाता है। इस स्थिति को मातियाबिन्द कहते हैं। इसे शल्य चिकित्सा के द्वारा दूर किया जाता हैं।

प्रश्न 6: दृष्टि दोष क्या हैं ? यह कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर :
कभी कभी नेत्र धीरे – धीरे अपनी समंजन क्षमता खो देते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति वस्तुओं को आराम से सुस्पष्ट नही देख पाते हैं। नेत्र में अपवर्तन दोषो के कारण दृष्टि धुँधली हो जाती हैं। इसे दृष्टि दोष कहते हैं।
यह समान्यतः तीन प्रकार के होते हैं।

  1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)
  2. दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया)
  3. जरा – दूरदृष्टिता (प्रेसबॉयोपिया)

प्रश्न 7: निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया) किस प्रकार का दृष्टि दोष हैं ? इसे कैसे दूर किया जाता हैं ?
उत्तर :
निकट-दृष्टि दोष (मायोपिया) में कोई व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु दूर रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का दूर बिन्दु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता हैं । इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर न बनकर दृष्टिपटल के सामने बनता है। इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अपसारी (अवतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।

प्रश्न 8: दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) क्या हैं ? इसे कैसे दूर किया जाता है 
उत्तर :
दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) में कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख तो सकता हैं परन्तु निकट रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति का निकट बिन्दु समान्य निकट बिन्दू 25 सेमी पर न होकर दूर हट जाता हैं ।इसमें प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल पर न बनकर दृष्टिपटल के पीछे बनता है। ऐसे व्यक्ति को स्पष्ट देखने के लिए पठन सामग्री को नेत्र से 25 सेमी से काफी अधिक दूरी पर रखना पडता हैं । इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अभिसारी (उतल ) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता हैं।

प्रश्न 9: दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) के उत्पन्न होने के क्या कारण ह0ैं ?
उत्तर :
दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपरमायोपिया) के उत्पन्न होने के निम्न कारण हैं ।

  1. अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का अत्यधिक बढ़ जाना।
  2. नेत्र गोलक का छोटा हो जाना ।

प्रश्न 10: निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया) के उत्पन्न होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर :
निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)के उत्पन्न होने के निम्न कारण हैं ।

  1. अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना ।
  2. नेत्र गोलक का लंबास हो जाना ।

प्रश्न 11: जरा – दूरदृष्टिता क्या हैं ? इस दोष के क्या कारण हैं ? इसे कैसे दूर किया जाता हैं ।
उत्तर :
आयु में वृद्धि होने के साथ साथ मानव नेत्र की समंजन – क्षमता घट जाती हैं। अधिकांश व्यक्तियों का का निकट बिन्दु दूर हट जाता हैं इस दोष को जरा दूरदृष्टिता कहते है । इन्है पास की वस्तुए अराम से देखने में कठिनाई होती हैं। यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के धीरे धीरे दुर्बल होने के कारण तथा क्रिस्टलीय लेंस की लचीलेपन में कमी के कारण उत्पन्न होता हैं । इसे द्विफोकसी लेंस के उपयोग से दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 12: द्विफोकसी लेंस का उपयोग नेत्र के किस दोष के लिए उपयोग किया जाता हैं  ?
उत्तर :
द्विफोकसी लेंस में उतल तथा अवतल दोनो प्रकार के लेंस होते है। जरा दूरदृष्टिता दोष के रोगी के लिए उपयोग किया जाता हैं। जिन्हे निकट तथा दूर दृष्टि दोष दोनो से पिडित होंते हैं।

प्रश्न 13: पक्ष्माभी पेशियों का प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर :
ये पेशियाँ अभिनेत्र लेंस की वक्रता और उसके सम्बन्ध में फोकस दूरी को परिवर्तित करते हैं तथा विभिन्न वस्तुओं को समंजित करने में नेत्र की सहायता करते हैं ।

प्रश्न 14: निकट बिन्दु क्या हैं ?
उत्तर :
वह न्युनतम दूरी, जिस पर रखी वस्तु को बिना किसी प्रयास के असानी से देखा जा सकता हैं । निकट बिन्दु कहलाता हैं ।

प्रश्न 15: दूर बिन्दु क्या हैं ?
उत्तर :
एक समान्य आँख की देखने की अधिकतम दूर बिन्दु जहाँ स्थित किसी वस्तु को देखा जा सकता हैं। दूर बिन्दु कहलाता हैं । यह बिन्दु अनंत पर स्थित होती हैं ।

प्रश्न 16: पुतली से नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को पुतली कैसे नियंत्रित करता हैं ?
उत्तर :
मन्द प्रकाश में पुतली बडी तथा तेज प्रकाश में पुतली छोटी हो जाती हैं ।

प्रश्न 17: पारितारिका का कार्य लिखो।
उत्तर :
यह पुतली के आकार को नियंत्रित करता हैं ।

प्रश्न 18: प्रकाश का विक्षेपण क्या हैं ?
उत्तर :
प्रकाश के अवयवी वर्णो में विभाजन को प्रकाश का विक्षेपण कहते हैं ।

प्रश्न 19: प्रिज्म कोण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रिजम के दो पार्श्व फलको के बीच के कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं ।

प्रश्न 20: इन्द्रधनुष कैसे बनता हैं ?
उत्तर :
वायुमंउल में विद्यमान जल की सूक्ष्म बूँदों द्वारा सूय्र के प्रकाश के अपवर्तन के कारण इन्द्रधनुष बनता हैं ।

प्रश्न 21: सूर्य के प्रकाश के वर्णक्रम के वर्ण जिस क्रम में दिखाइ देते है उस क्रम में उनका नाम लिखो। 
उत्तर :
बैगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, एवं लाल ।

प्रश्न 22: दृष्टि निर्बध क्या हैं ?
उत्तर :
रेटिना पर बना प्रतिबिम्ब वस्तुएँ के हटाए जाने के 1/10 सेकेण्ड बाद तक स्थिर रहता हैं । इसे दृष्अि निर्बध कहते हैं ।

प्रश्न 23: दो आखें की क्या उपयोगिता हैं ?
उत्तर :
दो आखो से देखने की निम्न उपयोगिता हैं ।

  1. वस्तु की दूरी का ठीक अंदाजा लगाया जा सकता हैं ।
  2. दोनो आँखें एक दूसरे को सेकेण्ड के एक भाग के लिए अराम देते हैं ।

प्रश्न 24: सुर्योदय होने के पहले एवं सुयास्त होने बाद भी हमें सूर्य क्यों दिखाइ देता हैं ?
उत्तर :
पृथ्वी के उपर वायुमंडल में जैसे – जैसे हम ऊपर जाते हैं, वायु हल्की होती जाती हैं । सुर्योदय होने के पहले एवं सुर्यास्त होने बाद सूर्य से चलने वाली किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तित  होकर हमारी आँख तक पहुँच जाती हैं ।़ जब हम इन किरणों को सीधा देखते हैं तो हमें सूर्य की अभासी प्रतिबिम्ब क्षैतिज से उपर दिखाई देता है।

प्रश्न 25: क्या कारण हैं कि सूर्योदय से पहले ही और सूर्यास्त के बाद तक हमे सूर्य दिखाई देता हैं ?
उत्तर :
वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्योदय से पहले ही और सूर्यास्त के बाद तक हमे  दरअसल सूर्य का अभासी प्रतिबिम्ब दिखाई देता रहता है। इसलिए सूर्योदय से 2 मीनट पहले ही और सूर्यास्त के 2 मीनट बाद तक हमे सूर्य दिखाई देता हैं।

प्रश्न 26: आकाश का रंग नीला प्रतीत होता है ?
उत्तर :
आकाश का रंग नीला प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण नीला प्रतीत होता है।

प्रश्न 27: रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर :
रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति वास्तविक तथा उल्टा होती है।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 11 are helpful to complete your homework.